राज एक्सप्रेस। अमेरिका के सिलिकॉन वैली और सिग्नेचर बैंक डूब चुके हैं। अमेरिका के 6 और बैंकों पर भी बंद होने का खतरा पैदा हो गया है। इसे देखते हुए मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने फर्स्ट रिपब्लिक बैंक, जिओन्स बैनकॉपोरेशन, वेस्टर्न एलिएंस बैनकॉर्प, कॉमेरिका इंक, यूएमबी फाइनेंशियल कॉर्प और इंट्रस्ट फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन को रिव्यू में डाल दिया है। सोचने की बात है कि आखिर अमेरिकी बैंक एक-एक कर डूब क्यों रहे हैं। हैरानी की बात है अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक एसवीबी सिर्फ 48 घंटे में डूब गया और सिग्नेचर बैंक ने तो लोगों को संभलने का भी मौका नहीं दिया। लोगों के अरबों रुपये इन बैंकों में फंसे हुए हैं। अमेरिकी बैंकिंग इतिहास में अब तक तीन बैंक इस तरह अचानक लोगों को हैरानी में डालते हुए बंद हो चुके हैं। पहली बार 2008 के आर्थिक मंदी के दिनों में वाशिंगटन म्यूचुअल लोगों को हैरानी में डालते हुए अचानक बंद हो गया था। इस साल सिलीकान वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक भी इस सूची में शामिल हो गए हैं। अमेरिका में कुछ और बैंकों पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है। सवाल यह है कि इस समय बैंकिंग उद्योग के बाद नियामकीय जरूरतों से अधिक नकदी मौजूद है, फिर किस वजह से बैंक दीवालिया हो रहे हैं। अमेरिका के छह और बैंकों का प्रदर्शन भी बेहद निराशाजनक है। कहा जा रहा है कि ये बैंक भी अगले दिनों में डूब सकते हैं।
व्यावसायिक बैकों के सामने सबसे बड़ा रिस्क लोन डिफॉल्ट के मामलों का बढ़ना होता है। इसे क्रेडिट जोखिम भी कहते हैं। लेकिन गौर करने की बात यह है कि यहां क्रेडिट जोखिम का मामला नहीं है। दरअसल, बैंकिंग उद्योग दो बड़े जोखिमों के कारण संकट में फंस गया है। पहला कारण ब्याज दर जोखिम बढ़ना है और दूसरा लिक्विडिटी रिस्क। इन दो वजहों से ही बैंकिंग उद्योग पर संकट के बादल छा गए हैं। किसी बैंक में एक बैंक में ब्याज दर जोखिम तब प्रभावी होता है, जब बहुत छोटी अवधि में ब्याज दरों में भारी इजाफा हो जाए। अमेरिका में मार्च 2022 से ठीक ऐसा ही हो रहा है। फेडरल रिजर्व आक्रामक होकर ब्याज दरें बढ़ा रहा है। फेडरल रिजर्व अब तक ब्याज दर में 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। महंगाई के 40 साल के उच्च स्तर पर चले जाने के चलते अमेरिकी केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों में यह इजाफा करना पड़ा है। इसके डेट पर यील्ड अचानक जबरदस्त बढ़ गई है।
एक साल के यूएस गवर्नमेंट ट्रेजरी नोट्स पर यील्ड मार्च 2023 में 17 साल के उच्च स्तर 5.25 फीसदी पर पहुंच गई है। वहीं, 30 साल के ट्रेजरी पर यील्ड करीब 2 फीसदी बढ़ गई है। जैसे-जैसे सिक्योरिटीज पर यील्ड बढ़ी, इसकी कीमतें गिरती गईं। यह यील्ड काफी कम अवधि में तेजी से बढ़ी। इससे पहले से इश्यू किये डेट की मार्केट वैल्यू, चाहे वह कॉरपोरेट बॉन्ड्स हों या गवर्नमेंट ट्रेजरी बिल्स, तेजी से गिरीं। विशेष रूप से लंबी अवधि के डेट को बहुत अधिक नुकसान हुआ।उदाहरण के लिए, एक 30 साल के बॉन्ड की यील्ड में 2 फीसदी की बढ़ोतरी से इसकी मार्केट वैल्यू करीब 32 फीसदी गिर सकती है। सिलिकॉन वैली बैंक को इसी से नुकसान हुआ। इस बैंक ने अपने एसेट्स का एक बड़ा हिस्सा- 55 फीसदी यूएस गवर्नमेंट बॉन्ड जैसी फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज में निवेश किया था।
ब्याज दर जोखिम से सिक्योरिटीज मार्केट वैल्यू में गिरावट कोई बड़ी समस्या नहीं है। क्योंकि, निवेशक इसे मैच्योरिटी तक होल्ड करके रख सकते हैं, उस समय उसे बिना किसी नुकसान के ओरिजिनल फेस वैल्यू मिल जाएगी। अनरियलाइज्ड लॉस बैंक की बैलेंस शीट में छुपा रहता है और समय के साथ गायब हो जाता है। अगर निवेशक मैच्योरिटी से पहले सिक्योरिटी को ऐसे समय में बेचता है, जब मार्केट वैल्यू फेस वैल्यू से कम हो, तो अनरियलाइज्ड लॉस एक्चुअल लॉस बन जाता है। ठीक ऐसा ही सिलीकान वैली बैंक ने इस साल की शुरुआत में किया, क्योंकि उसके ग्राहकों ने अपनी नकदी की कमी को पूरा करने के लिए बैंक में जमा राशि को निकालना शुरू कर दिया था। ग्राहकों ने अधिक ब्याज दर मिलने की उम्मीदों के बावजूद ऐसा किया। इससे लिक्विडिटी रिस्क पैदा हो गया। लिक्विडिटी रिस्क एक ऐसा रिस्क है, जिसमें बैंक बिना कोई नुकसान उठाए बिना अपने दायित्वों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाता है। अर्थात बैंक को नुकसान उठाकर अपने ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करना होता है। इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं। मान लीजिए आप अपनी सारी जमा पूंजी और बैंक से कर्ज लेकर एक घर खरीदते हैं। अचानक आपके सामने इमरजेंसी आ जाती है और इस इमरजेंसी में आपको इतनी ही रकम की जरूरत है। आपका सारा पैसा घर में फंसा हुआ है और इसे आसानी से बेचा नहीं जा सकता।
एसवीबी अपने नकद भंडार का उपयोग करके जितना भुगतान कर सकता था, ग्राहक उस सीमा के पार जाकर अपनी जमा राशि निकाल रहे थे। इसलिए अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए बैंक ने 1.8 अरब डॉलर का नुकसान उठाकर अपने सिक्योरिटीज पोर्टफोलियो से 21 अरब डॉलर बेचने का फैसला लिया। इक्विटी कैपिटल में गिरावट के चलते बैंक ने 2 अरब डॉलर की नई पूंजी जुटाने का प्रयास किया। पहले से ही बैंक में अपना विश्वास खो रहे ग्राहकों को बैंक की इस मंशा ने एक बड़ा झटका दिया। वे एकदम से बैंक से अपना पैसा निकालने में जुट गए। यह आश्चर्य का विषय है कि ग्राहकों में पैसा निकालने की ऐसी होड़ मची कि एक अच्छी तरह से कामकाज कर रहा बैंक भी कुछ ही दिनों में दीवालिया हो गया। इसका एक कारण यह भी है कि एसवीबी के कई ग्राहकों के पास फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन द्वारा बीमित 250,000 डालर से अधिक राशि बैंक में जमा थी। ग्राहक जानते थे कि अगर बैंक डूबा तो उनका पैसा नहीं बचेगा। सिलीकान वैली बैंक में जमा लगभग 88 फीसदी रकम बीमित नहीं थी। सिग्नेचर बैंक में भी ठीक यही समस्या पैदा हो गई। सिलीकान वैली बैंक के डूबने के बाद सिग्नेचर बैंक भी लिक्विडिटी रिस्क की चिंताओं से घिर गया। बैंक के ग्राहक हड़बहाड़ट में बैंक से अपना पैसा निकालने लगे। इस बैंक में जमा 90 फीसदी धनराशि बीमित नहीं थी। इसकी वजह से बैंकी संकट में फंस गया।
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