एफआईआई ने पिछले सप्ताह भी बिकवाली का क्रम जारी रखा
सेक्टोरल इंडेक्स में बीते सप्ताह गिरावट देखने को मिली है
300 कंपनियां अगले हफ्ते घोषित करेंगी तिमाही नतीजे
बजटीय प्रावधान शेयर बाजार पर डालेंगे सबसे अधिक असर
राज एक्सप्रेस । बीते सप्ताह बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स और एनएसई के निफ्टी में एक-एक फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। कई छुट्टियों वाले बीते सप्ताह के अंतिम दिन सेंसेक्स 70700 और निफ्टी 21352 अंक के स्तर पर बंद हुआ था। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले सप्ताह भी बिकवाली का क्रम जारी रखा। इसकी वजह से कई कंपनियों के स्टॉक्स में गिरावट देखने को मिली है। सेक्टोरल सेगमेंट में देखने की कोशिश करें तो निफ्टी मीडिया इंडेक्स में 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है। निफ्टी रियल्टी इंडेक्स में 4.5 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल रही है। निफ्टी बैंक इंडेक्स 2.6 प्रतिशत गिरा है। जबकि, निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स में 2 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है।
जबकि, निफ्टी फार्मा इंडेक्स में 1.7 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है। निफ्टी मिडकैप-100 में 1.7 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप-100 में 0.7 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। कल सोमवार से नया कारोबारी सप्ताह शुरू हो रहा है। अगले सप्ताह कौन-कौन से फैक्टर्स शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे आइए उन्हें समझने का प्रयास करें। अगले सप्ताह 300 से अधिक कंपनियां अपनी दिसंबर 2023 तिमाही के नतीजे घोषित करेंगी। इनमें आईटीसी, बजाज फाइनेंस, एलएंडटी, सन फार्मा, मारुति सूजुकी, टाइटन और अडाणी पोर्टस जैसी कंपनियां शामिल हैं।
इसके अलावा एनटीपीसी, अडाणी इंटरप्राइजेज, भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन, अडाणी टोटल गैस, कोचीन शिपयार्ड, डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज, पिरामल फार्मा, स्ट्राइड़्स फार्मा, वोल्टास, बैंक आफ बड़ौदा, डाबर इंडिया के नतीजों पर भी लोगों की नजरें रहेंगी। इसके साथ ही इसी सप्ताह अंतरिम बजट भी पेश किया जाने वाला है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगी। उम्मीद है कि वित्तमंत्री खपत को बढ़ावा देने, उत्पादन के क्षेत्र में सुधार नीतियों को लागू करने, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए आधिक धन की व्यवस्था और कृषि पर अधिक ध्यान देने संबंधी उपायों की घोषणाएं कर सकती हैं। बजट में किए जाने वाले ऐलान शेयर बाजार की दिशा को सबसे अधिक प्रभावित करेंगे।
फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की अगली बैठक 30-31 जनवरी को आयोजित होगी। 12-13 दिसंबर 2023 को हुई बैठक में ब्याज दरों को 5.25 से 5.50 फीसदी पर स्थिर रखा गया था। हालांकि फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि महंगाई का दबाव कम होने पर 2024 में कम से कम तीन बार दरों में कटौती की जा सकती है। उम्मीद है कि फेडरल ओपन मार्केट कमेटी मौजूदा स्तरों पर प्रमुख ब्याज दरों को बनाए रखने का विकल्प चुन सकती है। ब्याज दरें शेयर बाजार को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडर रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की टिप्पणी पर उत्सुकता से नजर रखेगा। अगले सप्ताह शेयर बाजार के प्राइमरी मार्केट में भी हलचल रहने वाली है। इस दौरान छह नए आईपीओ लांच होने वाले हैं।
मेनबोर्ड सेगमेंट में बीएलएस ई-सर्विसेज का 310 करोड़ रुपये का आईपीओ 30 जनवरी को खुलेगा और एक फरवरी को बंद रहेगा। एसएमई सेगमेंट में मेगाथर्म इंडक्शन, हर्षदीप हॉर्टिको, मयंक कैटल फूड और बावेजा स्टूडियोज के इश्यू 29 जनवरी को खुलेंगे। जबकि, गेब्रियल पेट स्ट्रैप्स का आईपीओ 31 जनवरी को खुलेगा। पहले से खुले फोनबॉक्स रिटेल, डेलाप्लेक्स और डॉकमोड हेल्थ टेक्नोलोजिज के आईपीओ 30 जनवरी को बंद होंगे। नए सप्ताह में 10 नई कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध की जाने वाली हैं। इनमें से ईपैक ड्यूरेबल का आईपीओ 30 जनवरी को, नोवा एग्रीटेक का 31 जनवरी को, क्वालिटेक लैब्स के शेयर 29 जनवरी को शेयर बाजार में लांच किए जाएंगे।
जबकि, यूफोरिया इनफोटेक इंडिया 30 जनवरी को, कॉन्स्टेलेक इंजीनियर्स और एडिक्टिव लर्निंग टेक्नोलोजी 30 जनवरी को, ब्रिस्क टेक्नोविजन 31 जनवरी को लिस्ट किया जाएगा, जबकि फोनबॉक्स रिटेल, डेलाप्लेक्स और डॉकमोड हेल्थ टेक्नोलोजिज के आईपीओ दो फरवरी को सूचीबद्ध किए जाएंगे। इसके साथ ही वाहनों की बिक्री के आंकड़ों पर निवेशकों का ध्यान रहने वाला है। ये आंकड़े एक फरवरी को सामने आएंगे। दिसंबर 2023 में वाहनों की बिक्री में सालाना आधार पर 4.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली थी।
बीते सप्ताह विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 12194.38 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है। जबकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 9701.96 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी है। जनवरी में अब तक एफआईआई ने 35778.08 करोड़ रुपये की भारतीय इक्विटी बेची है। इसके विपरीत डीआईआई ने 19976.66 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी है। इन आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि निकट अवधि में मार्केट में अधिक अस्थिरता देखने को मिल सकती है। अमेरिका में बॉन्ड पर बढ़ी यील्ड चिंता का विषय बन सकती है।
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