राज एक्सप्रेस। पिछले एक साल में भारत का रक्षा बजट काफी बढ़ गया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार प्रतिरक्षा पर सबसे अधिक धन खर्च करने वाले देशों में भारत चौथे स्थान पर आ गया है। कई देशों के बीच बढ़ते तनावों के बीच दुनिया भर में 2022 में सैन्य खर्च साल 2021 की अपेक्षा 3.7 प्रतिशत बढ़कर 2240 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। यह जानकारी थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (एसआईपीआरआई या सिपरी) ने दी है। सिपरी के आंकड़े बताते हैं कि आज के समय में सभी देश पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग, आर्थिक विकास और अन्य जरूरी मुद्दों पर ध्यान देने की जगह हथियारों की खरीद और अन्य सैन्य तैयारियों पर अपने बजट का बहुत बड़ा हिस्सा खर्च कर रहे हैं। चीन और पाकिस्तान के दो मोर्चों पर एक साथ चुनौती का सामना कर रहे भारत ने भी हाल के सालों में अपना रक्षा बजट बढ़ाया है।
बता दें कि सिपरी आयुध निरस्त्रीकरण और हथियार नियंत्रण पर शोध करने वाला संस्थान है। सिपरी के आंकड़ों में सामने आया है कि 2022 में कुल वैश्विक सैन्य खर्च 3.7 प्रतिशत बढ़कर 2,240 बिलियन डॉलर (1,83,46,48,48,000 रुपये) तक पहुंच गया है और यह खर्च के मामले में अब तक का रिकार्ड है। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण यूरोप ने कम से कम 30 सालों में अपनी सबसे तेज वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दर्ज की है।
सिपरी के मुताबिक सैन्य खर्च के मामले में 10 सबसे बड़े देशों में नंबर एक पर अमेरिका है, उसका रक्षा बजट 877 अरब डॉलर का है। दूसरे स्थान पर चीन है, जिसका रक्षा बजट 292 अरब डॉलर है। वहीं, 86.4 अरब डॉलर के साथ रूस तीसरे स्थान पर और 81.4 अरब डॉलर (66,66,78,21,00,000 रुपये) के साथ चौथे स्थान पर भारत है। इसके बाद 5वें स्थान पर सऊदी अरब जिसका रक्षा बजट 75 अरब डॉलर है। 6वें स्थान पर ब्रिटेन है जिसका रक्षा बजट 68.5 अरब डॉलर है, 7वें स्थान पर जर्मनी है जिसका रक्षा बजट 55.8 अरब डॉलर हैं। वहीं फ्रांस 53.6 अरब डॉलर रक्षा बजट के सात 8वें, दक्षिण कोरिया 46.4 अरब डॉलर बजट के साथ 9वें और जापान 46 अरब डॉलर रक्षा बजट के साथ 10वें स्थान पर है।
सिपरी के अनुसार चीन और रूस के आंकड़े पारदर्शिता की कमी के कारण अनुमानित हैं। माना जाता है कि इनके वास्तविक आंकड़े कहीं ज्यादा होंगे। यूक्रेन को 44 अरब डॉलर खर्च के साथ 11वें स्थान पर रखा गया है। दूसरी ओर, भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी आर्थिक संकट के बीच अपने रक्षा खर्च में लगातार बढ़ोतरी करता रहा है। वह सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने और अन्य गतिविधियों से भारत को अस्थिर करने की जुगत में लगा रहता है। हाल के सालों में उसने अपना रक्षा बजट इस तरह बढ़ाया है कि उसकी अर्थव्यवस्था के लिए संकट पैदा हो गया है। सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान इस लिस्ट में 10.3 अरब डॉलर के रक्षा खर्च के साथ 24वें स्थान पर है।
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