बजट में दिखा आंकड़ों और राजकोषीय अनुशासन पर जोर देते हुए विकास पथ पर आगे बढ़ने का संकल्प

This is the math of Budget 2024: आज पेश किए गए अंतरिम बजट को देश की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में देखा जा सकता है।
Nirmala Sitaraman
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हाईलाइट्स

  • भारत की विकास यात्रा के एक अहम पड़ाव के रूप में देखा जा सकता है यह बजट

  • आइए घोषणाओं के माध्यम से बजट के गणितीय पहलुओं को समझने का प्रयास करें

  • विशेषज्ञों ने कहा बजटीय प्रावधानों से दीर्घकालिक आर्थिक विकास को मिलेगी गति

राज एक्सप्रेस । वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट 2024-25 को भले ही चुनाव पूर्व का बजट रहा हो, लेकिन इसे भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है। यह बजट यथार्थवादी आर्थिक अनुमानों, राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने पर जोर और पूंजीगत व्यय पर निरंतर ध्यान देने की वजह से उल्लेखनीय है। आइए बजट के प्रमुख गणितीय पहलुओं को समझने का प्रयास करें। वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी वृद्धि को 10.5% पर आंका गया है, जो सरकार के सतर्क और यथार्थवादी रुख को दर्शाता है। यह अनुमान न तो बहुत आशावादी है और न ही निराशाजनक, बल्कि यह मौजूदा वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

राजकोषीय समेकन की प्रतिबद्धता व पूंजीगत व्यय पर जोर

सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे को घटाकर 5.1% करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 5.8% से कम है। यह कमी सरकार की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। बजट में पूंजीगत व्यय को 11.1% बढ़ाकर 11.1 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है, जो जीडीपी का 3.4% है। यह वृद्धि बुनियादी ढांचे, सड़क, रेलवे, सिंचाई और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने में मदद करेगी, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

कर राजस्व में वृद्धि का अनुमान, सब्सिडी में कमी

वित्त वर्ष 2025 में सकल कर राजस्व में 11.6% की वृद्धि का अनुमान जताया गया है, जो आर्थिक सुधारों और कर अनुपालन में सुधार के सरकार के प्रयासों का संकेत देता है। हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि यह बढ़ोतरी राजकोषीय समेकन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेस किए गए बजट में खाद्य और उर्वरक सब्सिडी को कम करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस उपाय पर आगे बढने का मतलब हबै कि जिससे राजकोषीय दबाव कम होगा और सरकारी संसाधनों को अन्य विकासमूलक कामों में लगाया जा सकेगा।

देश के अधिकांश आर्थिक विशेषज्ञों ने की सराहना

देश के अधिकांश आर्थिक विशेषज्ञों ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम बजट को सकारात्मक रूप से देखा है। आर्थिक विशेषज्ञों ने इसकी यथार्थवादी अपेक्षाओं और राजकोषीय अनुशासन पर जोर देने की सराहना की है। हालांकि, कुछ अर्थशास्त्रियों ने यह चिंता भी जताई है कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के कारण राजस्व लक्ष्यों को प्राप्त करना कुछ मुश्किल हो सकता है। अंतरिम बजट 2024-25 भारत के विकास पथ पर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह यथार्थवादी आर्थिक अनुमानों, राजकोषीय समेकन की प्रतिबद्धता और पूंजीगत व्यय पर जोर देता है। हालांकि, सरकार को वैश्विक अनिश्चितताओं का सामना करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सावधानी से चलने की जरूरत होगी। कुल मिलाकर, यह बजट एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो भारत को मजबूत और टिकाऊ विकास पथ पर ले जाने में मदद कर सकता है।

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