देश में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिहाज से बनाई गई हैं नीतियां
हम अपने देश के विनिर्माण क्षेत्र को वैश्विक जरूरतों के अनुरूप ढ़ालने का कर रहे हैं प्रयास
हम चाहते हैं दुनिया के बड़े कारोबारी भारत आएं , यहां मौजूद सुविधाओं का लाभ उठाएं।
भारत में पर्याप्त संख्या में कुशल वर्कफोर्स मौजूद, यहां बहुत कम आती है उत्पादन लागत
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि केंद्र सरकार ने देश को विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों के एक आकर्षक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से नीतियां तैयार की हैं। बातचीत में उन्होंने न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने पर प्रकाश डाला, बल्कि बताया निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए अब तक सरकार ने क्या किया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विस्तार से बताया कि देश में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के विकास का देश की समूची अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
राज एक्सप्रेस । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार ने भारत को विनिर्माण और सेवाओं के लिहाज से एक आकर्षक गंतव्य के रूप में विकसित करने के लिए नीतियां बनाई हैं। इन नीतियों का उद्देश्य यह है कि यहां न केवल घरेलू जरूरतों के लिहाज से उत्पादन किया जाए, बल्कि निर्यात के लिए भी उत्पादन किया जाए। अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क की पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बैठक टलने पर किए गए सवाल पर उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हम अपने विनिर्माण सेक्टर को को वैश्विक जरूरतों के अनुरूप ढ़ालने का प्रयास कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि दुनिया के सभी बड़े कारोबारी भारत आएं और यहां मौजूद सुविधाओं का लाभ उठाएं।
निर्मला सीतारमण ने कहा उनके लिए फायदे की बात यह है कि भारत में बड़ी संख्या में कुशल वर्कफोर्स मौजूद है। साथ ही यहां उत्पादन लागत भी बहुत कम आती है। निर्मला सीतारमण ने कहा निवेश को आकर्षित करने के लिहाज से नीतियां बनाई गई हैं। हम चाहते हैं कि निर्माता और निवेशक न केवल भारत के लिए बल्कि निर्यात के लिए भी भारत आएं और उत्पादन करें। संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि हम नीतियों के माध्यम से निर्माताओं और निवेशकों को आकर्षित करने का प्रयास जारी रखेंगे। भारत में उनके लिए जरूरी सभी चीजें उपलब्ध हैं। निर्मला सीतारमण ने कहा जब बड़ी कंपनियां भारत आने में रुचि दिखाएंगी, तो हम उनके लिए निवेश को आकर्षक बनाने का हरसंभव प्रयास करेंगे।
निर्मला सीतारमण ने कहा इस प्रक्रिया में, यदि चर्चा करने के लिए कुछ भी होगा, तो हम निश्चित रूप से चर्चा करेंगे। सीतारमण ने कहा हमने जो कुछ भी करने का प्रयास किया है, वह नीति के माध्यम से किया है। निर्मला सीतारमण ने इस बात पर जोर देते हुए कि केंद्र सरकार के मौजूदा दृष्टिकोण ने, खासकर जब से उद्योग विशेषज्ञों ने चीन प्लस वन की चर्चा शुरू की है, मदद की है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत में नीतियों को इस तरह से तैयार किया गया है ताकि भारत को विनिर्माण और सेवाओं के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाया जा सके। हम भारत के विनिर्माण सेक्टर को योजनाबद्ध तरीके से विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। चीन से इतर राह देखने वाले उद्यमियों के लिए भारत से बेहतर कोई दूसरा स्थान नहीं हो सकता।
मुद्रास्फीति के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के तहत एक महीने को छोड़कर, यह कभी भी सहनशीलता सीमा को पार नहीं कर पाई, जबकि उससे पहले (2014 से पहले) अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में थी और मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में थी। उस समय (2014 से पहले) किसी को भी देश से कोई उम्मीद नहीं थी। केंद्रीय वित्तमंत्री ने कहा कि बहुत कड़ी मेहनत के बाद, हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरे हैं और आत्मविश्वास से कह रहे हैं कि अगले दो से ढाई साल में हम तीसरे स्थान पर होंगे। निर्मला सीतारमण ने रोजगार पर बोलते हुए कहा कि औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों में पूर्ण डेटा की कमी थी, पर केंद्र की पहल ने लाखों लोगों के लिए रोजगार सुनिश्चित किया है।
उन्होंने कहा मैं स्वीकार करती हूं कि डेटा अपर्याप्त है और यह बात मैं गर्व से नहीं कह रही हूं। बल्कि, इस कमजोरी स्वीकार कर रही हूं। रोजगार के संबंध में मैं बस इतना कह सकती हूं कि विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों और स्टार्टअप को जो पैसा दिया गया है, करोड़ों लोगों ने समर्थन प्राप्त किया है। अक्टूबर 2022 से लेकर के बीच नवंबर 2023 में रोजगार मेले के जरिए मोदी ने 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरियां दी हैं। जब उस नियम के बारे में सवाल किया गया, जिसके तहत बड़ी कंपनियों को सामान या सेवाएं प्राप्त करने के 45 दिनों के भीतर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को भुगतान करने की आवश्यकता होती है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह कानून 2007-08 से अस्तित्व में है। यह कोई नया कानून नहीं है। बाद में एमएसएमई खुद आए और कहा कि 45 दिन का भुगतान उस वित्तीय वर्ष के भीतर नहीं हो रहा है। लेकिन उस वित्तीय वर्ष के भीतर, इस राशि को व्यय के रूप में दिखाया गया है और उस सीमा तक कर का भुगतान नहीं किया जा रहा है। हमने जो कुछ किया वह उस फाइनेंस एक्ट के माध्यम से किया, जो एक फरवरी 2023 को संसद में पारित किया गया था। हमने सिर्फ इतना कहा कि कर उपचार वही रहेगा। जिस वर्ष आप एमएसएमई को भुगतान करते हैं, आपको उसी वर्ष दावा करना होगा।
निर्मला सीतारमण ने सवाल किया कि जब आपने भुगतान ही नहीं किया है, तो आप दावा कैसे कर सकते हैं ? अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर होने के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि यह उतार-चढ़ाव वैश्विक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव के साथ-साथ मध्य पूर्व से कच्चे तेल की आपूर्ति में अनिश्चितता के कारण आया है। यह एक अस्थाई दौर है। इससे पहले, 'विकसित भारत-2047' पर गुजरात के उद्योग जगत के नेताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत कुल पूंजी का 28 प्रतिशत राज्य में आया है, जिसने पिछले 10-12 वर्षों में उल्लेखनीय अलर्टनेस दिखाई है।
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