मूर्छा के दौर में सेक्टर्स को कितनी मिलेगी सरकारी संजीवनी!

मंत्रिमंडल ने एक तरह से चुनिंदा सीपीएसई में विनिवेश के लिए सैद्धांतिक मंजूरी और दूरसंचार कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम किश्त भुगतान के लिए दो साल की मोहलत दी है।
Telecom Spectrum Auction Installment
Telecom Spectrum Auction InstallmentKavita Singh Rathore -RE
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हाइलाइट्स:

  • टेलीकॉम कंपनियों को मिली राहत

  • एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो पर है कर्ज

  • किश्त चुकाने के लिए मिला 2 साल का समय

  • बीपीसीएल जैसे बड़े नामों को मिलाकर कुल पांच PSUs को बेचने की भी है तैयारी

राज एक्सप्रेस। कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंदी के दौर में किए जाने वाले सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने तकनीक, प्रतिस्पर्धा और मंदी जैसी कई समस्याओं से जूझ रहे टेलिकॉम सेक्टर को स्पेक्ट्रम किश्त जमा करने में 2 साल का और वक्त दिया। वहीं इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड के जरिए रोजगार के सृजन की भी उम्मीद जताई।

कंपनियों को मिली राहत :

दरअसल सरकार ने एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो प्राइवेट कंपनियों को स्पेक्ट्रम की नीलामी की किश्त जमा करने के लिए 2 साल का समय दे दिया जाएगा। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घाटे में चल रही सभी टेलिकॉम कंपनियों को मोहलत देने की घोषणा की, सरकार के इस फैसले से सभी कंपनियों ने राहत की सांस ली। बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि,

"टेलीकॉम कंपनियों पर बढ़ते वित्तीय दबाव के चलते स्पेक्ट्रम नीलामी की किश्त को दो साल तक के लिए टाल दिया गया है। हालांकि इन सभी कंपनियों को किश्त के भुगतान पर बनने वाले ब्याज को भी अदा करना पड़ेगा।

निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री

दूरसंचार मंत्री ने बताया :

दूसरी तरफ दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि,

  • टेलीकॉम सेक्टर पर 7.88 लाख करोड़ रुपये की भारी रकम का कर्ज है।

  • यह कर्ज 31 अगस्त 2017 के आंकड़ों के मुताबिक बताया गया है।

  • आकड़ो के अनुसार, इस कर्ज में भारतीय कंपनियों का कुल कर्ज 1.77 लाख करोड़ रुपये है।

  • इसमें विदेशी कंपनियों का कुल कर्ज 83,918 करोड़ रुपये है।

  • इस कर्ज में बैंक/FI पर कुल 2.61 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।

  • कर्ज में बैंक गारंटी की रकम 50,000 करोड़ रुपये है।

  • दूरसंचार विभाग की डेफर्ड स्पेक्ट्रम लायबिलिटीज की रकम 2.95 लाख करोड़ रुपये है।

  • तीसरे पक्ष की देनदारियों की रकम 1.80 लाख करोड़ रुपये हैं और इस प्रकार कुल देनदारियों की रकम 7.88 लाख करोड़ रुपये है।

पाट दी बड़ी खाई :

फाइनेंस मिनिस्टर ने बताया कि कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया कि एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और रिलायंस जियो को स्पेक्ट्रम की 42 हजार करोड़ की किस्त जमा करने में 2 साल की राहत प्रदान की जाए।

टेलिकॉम जगत में डूबते-उतराते नज़र आ रहे भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया समूह ने सरकार से पेनाल्टी के साथ ही ब्याज में राहत देने की विनती की थी। बुधवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट मीटिंग में टेलिकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम भुगतान पर दो साल की छूट देने की जानकारी वित्त मंत्री सीतारमण ने दी।

इन टेलिकॉम कंपनियों को मिलेगी राहत :

कैबिनेट की बैठक में वित्त मंत्री द्वारा टेलीकॉम कंपनियों को यह मोहलत साल 2020-21 और 2021-22 के लिए दी गई है। वहीं वित्त मंत्री सीतारमण ने ये भी कहा कि, "सरकार द्वारा लिए गए फैसले से एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो कंपनियों को लगभग 42 हजार करोड़ रुपये की राशि के भुगतान से 2 साल के लिए राहत मिलेगी।

खुद मानी परेशानी :

खुद वित्त निर्मला सीतारमण ने दूरसंचार जगत की परेशानियों को देखते हुए स्पेक्ट्रम ऑक्शन की किश्तों को जमा करने का वक्त कंपनियो के लिए और दो साल बढ़ा दिया। वित्त मंत्री ने यह भी साफ किया कि डिफर्ड स्पेक्ट्रम पेमेंट्स का बाकी किस्तों में बराबर विभाजन किया जाएगा। और टेलिकॉम कंपनियों के लिए डिफर्ड स्पेक्ट्रम पेमेंट्स पर निर्धारित दर से ब्याज का भुगतान करने का प्रावधान भी किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था :

गौरतलब है पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेट ग्रॉस रेवेन्यु (AGR) से जुड़े मामले में सरकार के पक्ष में अपनी राय रखी थी। सुको ने AGR की गणना में कंपनियों के नॉन-कोर रेवेन्यूज़ को भी शामिल करने की बात कही थी। ऐसा करने से कंपनियों पर लाइसेंस फीस, पेनाल्टी और ब्याज को मिलाकर लगभग 92 हजार करोड़ से अधिक का बोझ बढ़ गया था।

स्पेक्ट्रम यूसेज़ चार्जेस (SUC) :

ये शुल्क लगने से अक्टूबर तक कंपनियों पर अनुमानित तौर पर तकरीबन 55 हजार करोड़ अतिरिक्त बोझ बढ़ा। हालांकि स्पेक्ट्रम किश्त भुगतान में राहत की खबरों से बीएसई पर बुधवार को वोडा आइडिया के शेयर में बढ़त जबकि एयरटेल के शेयर्स में मामूली गिरावट हुई। जियो ऑनर कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर भी बढ़त के साथ क्लोज़ हुए।

कमेटी बनी सेतु :

टेलिकॉम कम्पनियों की गुहार के बाद कंपनियों को राहत की समीक्षा के लिए केंद्र सरकार ने कैबिनेट सचिव राजीव गाबा की अगुवाई में एक समिति का गठन किया था। इस समिति में सेक्टर के सचिवों को भी शामिल किया गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक टेलिकॉम जगत में बीते 3 सालों से जारी प्राइज़ वॉर से स्थिति और चिंताजनक हो गई है। कंपनियों पर सात लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज चिंता जाहिर करने के लिए काफी है।

सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइज़ेस :

इसके अलावा सरकार ने सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइज़ेस (CPSE) में सरकार की हिस्सेदारी में कटौती के प्रस्ताव पर विचार करने के भी संकेत दिए। बताया गया कि कैबिनेट की मीटिंग में इस अहम प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई।

मिलीजुली राय :

बाजार जगत के जानकारों ने इस कदम को स्वागत योग्य माना है। साथ ही सरकार से एजीआर बकाया के बारे में भी विचार करने की राय दी। एक्सपर्ट्स का मानना है कि वर्तमान चाल नकदी प्रवाह के दृष्टिकोण से राहत प्रदान करेगी। लेकिन यह सुनिश्चित नहीं है कि यह दीर्घकालिक दृष्टिकोण से राहत मिलेगी या फिर नहीं!

पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स :

सरकार ने बीपीसीएल (BPCL), शिपिंग कॉर्प, कॉन्कॉर (CONCOR) जैसे बड़े नामों को मिलाकर कुल पांच पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSUs) को बेचने की रजामंदी दिखाई है।वित्त मंत्री ने कहा कैबिनेट ने कुछ सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइज़ेस (CPSE) में से हाथ खींचने का (डिसइन्वेस्टमेंट) का सैद्धांतिक निर्णय लिया है। इसमें भारत सरकार का 53.2 फीसदी हिस्सेदारी वाला भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) भी शामिल है।

IRCB :

वित्त मंत्री ने इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड बिल (IRCB) के अप्रूवल की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस बिल के लागू होने से रोजगार की सुनिश्चितता होगी।

प्याज आयात :

कैबिनेट ने बारिश के कारण प्रभावित हुई प्याज की आवक के कारण विदेशों से प्याज आयात करने का निर्णय लिया है। कुल 1.2 लाख मीट्रिक टन प्याज आयात करने की अनुमति की भी जानकारी प्रेस को दी गई।

दिल्ली की अवैध कॉलोनियां :

कैबिनेट मीटिंग में दिल्ली और एनसीआर की अवैध कॉलोनियों को वैध कर जरूरी साधनों की व्यवस्था करने के बारे में भी वित्त मंत्री ने बताया। कहा कि केंद्र सरकार नागरिकों के हित में इस बारे में निर्णय लेने अग्रसर है।

दिल्ली की अवैध कॉलोनियां :

कैबिनेट मीटिंग में दिल्ली और एनसीआर की अवैध कॉलोनियों को वैध कर जरूरी साधनों की व्यवस्था करने के बारे में भी वित्त मंत्री ने बताया। कहा कि केंद्र सरकार नागरिकों के हित में इस बारे में निर्णय लेने अग्रसर है।

यूनिफाइड रेगुलेशन अथॉरिटी :

इसी तरह सभी वित्तीय सेवाओं में यूनिफाइड रेगुलेशन अथॉरिटी के लिए किये जा रहे प्रयासों के बारे में भी वित्त मंत्री ने जानकारी दी। बताया कि आठ संगठनों एवं रेगुलैटरी बॉडीज़ को साथ लाया जाएगा। सेबी, आरबीआई, पीएफआरबी मिलकर कामकाज पर निगरानी रख सकेंगे।

इस साल की शुरुआत में अपने बजट भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020 के लिए 1,05,000 करोड़ रुपये के विनिवेश (डिसइन्वेस्टमेंट) लक्ष्य का निर्धारण किया था। सवाल लाजिमी है कि, क्या सरकार को अपना वित्तीय घाटा पूरा करने के लिए यही तरीका और लक्ष्य नज़र आ रहा है?

सरकार ने मार्च तक बीपीसीएल और एयर इंडिया को बेचने की मंशा जताई है। सरकार का मानना है कि इन दोनों बड़ी संस्थाओं का निजीकरण होने से मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकार के डिसइन्वेस्टमेंट का टारगेट पूरा हो जाएगा।

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