राज एक्सप्रेस। आज देश के साथ ही पूरी दुनिया की सबसे बढ़ी समस्या कोरोना वायरस की बना हुआ है। क्योंकि, देश में कोरोना और मौत दोनों का ही आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि देश में कोरोना का वेक्सिनेशन भी तेजी से जारी है, लेकिन फिर भी कोरोना से बने हालात दिन-प्रति-दिन काफी गंभीर होते जा रहे है। ऐसे में Mahindra ग्रुप की सब्सिडियरी कंपनी 'टेक महिंद्रा' (Tech Mahindra) कंपनी द्वारा ड्रग मॉलिक्यूल खोजने को लेकर बहुत बड़ा दावा किया गया है। यदि कंपनी का यह दावा सही साबित हुआ तो, यह बहुत बढ़ी खुशखबरी साबित हो सकती है।
Tech Mahindra का बड़ा दावा :
दरअसल, देश में जारी कोरोना की दूसरी लहर से चारों तरफ तबाही का माहौल है। भारत में हर दिन सैकड़ों लोगों की जाने जा रही है। ऐसे में देशभर में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जारी है और यदि कोई कंपनी इसके खिलाफ वायरस को खत्म करने की कोई भी दवा या ड्रग मॉलिक्यूल खोजने का दावा करती है तो, यह देश के लिए बहुत बड़ी राहत की बात होगी और ऐसा ही दावा Mahindra ग्रुप की सब्सिडियरी कंपनी Tech Mahindra ने किया है। कंपनी का कहना है कि, उसके द्वारा अब एक ऐसे ड्रग मॉलिक्यूल की खोज की गई है, जो कोरोना वायरस को खत्म करने में सक्षम माना जा रहा है।
रीगेन बायोसाइंस के साथ मिलकर ढूंढा :
बताते चलें, Tech Mahindra कंपनी ने यह ड्रग मॉलिक्यूल रीगेन बायोसाइंस के साथ मिलकर ढूंढ निकाला है। हालांकि, कंपनी ने इस बारे में अभी खुल कर कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन संभावना जताई है कि, कंपनी द्वारा खोजी गई दवा कोरोना वायरस को खत्म कर सकती है। खबरों की मानें तो, कंपनी अपने पार्टनर के साथ ही मिलकर पेटेंट के लिए भी आवेदन करने वाली है। बता दें, कंपनी ने FDA से मान्यता प्राप्त 8,000 मॉलिक्यूल में से 10 ड्रग मॉलिक्यूल को शॉर्टलिस्ट किया। कंपनी ने इसका परीक्षण एक 3D फेफड़ा तैयार कर उस पर किया है। इसके पेटेंट होते ही इस पर आगे की रिसर्च की जा सकेगी।
टेक महिंद्रा के ग्लोबल हेड ने बताया :
इस मामले में जानकारी टेक महिंद्रा के ग्लोबल हेड निखिल मल्होत्रा के द्वारा सामने आई है, उन्होंने बताया है कि, 'पेटेंट होने तक मॉलिक्यूल के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता। टेक महिंद्रा और रीगेन बायोसाइंस रिसर्च की प्रक्रिया में हैं। मेकर्स लैब टेक महिंद्रा की रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्म है। मेकर्स लैब ने कोरोनावायरस का कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग एनालिसिस शुरू किया। इस कम्प्यूटेशनल डॉकिंग और मॉडलिंग स्टडीज के आधार पर टेक महिंद्रा और साझेदार कंपनी ने FDA से मान्यता प्राप्त 8 हजार मॉलिक्यूल में से 10 ड्रग मॉलिक्यूल को शॉर्टलिस्ट किया। इन 10 ड्रग मॉलिक्यूल को तकनीक के जरिए फिल्टर किया। इन पर बेंगलुरु में परीक्षण किया गया। इसके बाद इनकी संख्या को 3 पर लाया गया।'
परीक्षण में आई यह बात सामने :
बताते चलें, कंपनी द्वारा जब इसका परीक्षण एक 3D फेफड़े पर किया गया तब यह बात सामने आइ है कि, यह एक मॉलिक्यूल रिसर्च के अनुसार कार्य कर रहा है। मल्होत्रा ने बताया कि, 'हमने कम्प्यूटेशनल एनालिसिस पूरा किया और हमारे साझेदार ने क्लीनिकल एनालिसिस पूरा किया। यह तकनीक भविष्य में दवा की खोज के लिए रेडी टेक्नोलॉजी है। अभी इसकी जानवरों पर और स्टडी की जरूरत है, लेकिन हमें भरोसा है कि, यह तकनीक बायोलॉजिकल कम्प्यूटेशन में ड्रग डिस्कवरी मैकेनिज्म में कमी लाएगी। हम इसकी ऐफिकेसी की जांच के लिए और स्टडी कर रहे हैं। पूरी दुनिया में कई दवाओं पर ट्रायल चल रहा है। अभी लोग जानलेवा कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने के लिए केवल वैक्सीन पर निर्भर हैं।'
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