कंपनी को आरबीआई के नियमों के दायरे में लाना कंपनी की पुनर्गठन योजना का उद्देश्य
आरबीआई ने कंपनी को 2022 में 'अपर लेयर एनबीएफसी' के रूप में वर्गीकृत किया था
अपर लेयर एनबीएफसी के लिए नोटिफाई होने के 3 साल में बाजार में लिस्ट होना जरूरी
राज एक्सप्रेस। टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस का जल्दी ही आईपीओ आने की खबर है। हालांकि इस बारे में अब तक कोई आधिकारिक सूचना सामने नहीं आई है। आरबीआई ने कंपनी को सितंबर 2022 में 'अपर लेयर एनबीएफसी' के रूप में वर्गीकृत किया था और आरबीआई के नियमों के अनुरूप अपर लेयर एनबीएफसी को नोटिफाई करने के तीन साल के भीतर शेयर बाजार में लिस्ट किया जाना जरूरी होता है। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि टाटा संस भारतीय रिजर्व बैंक (आबीआई) की ओर से निर्धारित नियमों का पालन करने के लिहाज से इन दिनों अपनी रिस्ट्रक्चरिंग योजना पर काम कर रही है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अपर लेयर एनबीएफसी की अनिवार्य लिस्टिंग से छूट देने के टाटा संस के अनौपचारिक अनुरोध के बाद आरबीआई ने कोई रियायत देने से मना कर दिया है। अपर लेयर एनबीएफसी को महत्वपूर्ण माना जाता है। आरबीआई के मना करने के बाद टाटा संस ने निर्धारित नियमों का पालन करने के लिए एक रिस्ट्रक्चरिंग योजना पर काम शुरू किया है। कंपनी के रिस्ट्रक्चरिंग प्लान का उद्देश्य अपने परिचालन पर किसी भी नकारात्मक प्रभाव को कम करते हुए आरबीआई नियमों के अनुरूप बनना है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नियमों का पालन करने के लिए टाटा संस कई विकल्पों पर काम कर रही है। इनमें से एक वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी टाटा कैपिटल में टाटा संस की हिस्सेदारी को किसी अन्य एंटिटी को ट्रांसफर करने का भी विकल्प है। टाटा संस के 'अपर लेयर' में होने का यह एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है। 'अपर लेयर' स्टेटस का अन्य बातों के अलावा, कंपनी की उधार लेने की लागत पर प्रभाव पड़ सकता है।
आरबीआई के नियमों के अनुसार, अगर किसी 'कोर इनवेस्टमेंट कंपनी' के पास 100 करोड़ रुपये से कम संपत्ति है और वह पब्लिक फंड नहीं जुटाती है, तो वह सीआईसी या 'अपर लेयर' एनबीएफसी के रूप में वर्गीकृत होने से बच सकती है। इसके साथ ही उसे शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की भी जरूरत नहीं होगी। टाटा संस आरबीआई के साथ सीआईसी यानी 'अपर लेयर' एनबीएफसी के रूप में पंजीकृत है। यह वर्गीकरण कंपनी को एक सख्त रेगुलेटरी स्ट्रक्चर का पालन करने के लिए बाध्य करता है। कंपनी को सितंबर 2025 तक शेयर बाजार में लिस्ट होना होगा।
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