राज एक्सप्रेस। साल 2020 टेलिकॉम कंपनियों के लिए भी कुछ ठीक नहीं रहा। क्योंकि, साल की शुरूआती महीनों में ही कोर्ट ने सभी टेलिकॉम कंपनियों को 'एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू' (AGR) की रकम चुकाने के आदेश जारी कर दिए थे। इन आदेशों के बाद कई टेलिकॉम कंपनियों की मुश्किलें काफी बढ़ गईं थीं। क्योंकि, इन कंपनियों के AGR की रकम कहीं ज्यादा थी। हालांकि, बाद में इन कंपनियों की मुश्किल 10 साल के लिए टल गई थीं क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने AGR की बकाया रकम के भुगतान को लेकर टेलीकॉम कंपनियों को समय दे दिया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर टेलिकॉम कंपनियों की मुश्किल बढ़ा दी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया टेलीकॉम कंपनियों को झटका :
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए AGR की बकाया रकम का भुगतान करने के लिए 10 साल का समय दे दिया था। हालांकि, कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि, कंपनियों को AGR की बकाया रकम का 10% भुगतान दी गई समय सीमा के अंदर करना होगा। बाकि की रकम के लिए उनके पास 10 साल का समय है। इसके बाद टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट AGR पुनर्गणना को लेकर याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को ठुकरा कर Airtel, Vodafone, Idea, Tatatel को बड़ा झटका दे दिया है। जी हां, कोर्ट ने AGR पुनर्गणना पर टेलीकॉम याचिका को रद्द करने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला :
सुप्रीम कोर्ट ने AGR की रकम के मामले में बड़ा फैसला लेते हुए 'एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू' (AGR) गणना में त्रुटियों के सुधार के लिए टेलीकॉम, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया सहित अन्य सभी कंपनियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस मामले की सुनवाई शुक्रवार दिनांक 23 जुलाई को जस्टिस एलएन राव और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच द्वारा की गई। इस फैसले के बाद टेलिकॉम कंपनियों की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई है। सरल शब्दों में समझे तो, सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों की AGR बकाया रकम की गणना में हुई गलतियों को सुधारने की मांग याचिकाओं कोद्वारा की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
कंपनियों की AGR की रकम :
बताते चलें, कोर्ट द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, टेलिकॉम कंपनियों की बकाया रकम निम्लिखित है।
Airtel की AGR की कुल रकम 43,000 करोड़ रुपए है जबकि, बकाया रकम 18,000 करोड़ रुपए
वोडाफोन की AGR की कुल रकम 58,000 करोड़ रुपए है जबकि, बकाया रकम 25,000 करोड़ रुपए
सॉलिसिटर जनरल द्वारा दी गई जानकारी :
सॉलिसिटर जनरल द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दी गई जानकारी में कहा गया है कि, 'टेलीकॉम विभाग (DoT) ने त्रुटियों के सुधार की अनुमति देने के लिए कोई निर्देश साझा नहीं किया है और सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले तीन मौकों पर माना है कि AGR की मांग की पुनर्गणना नहीं की जा सकती है।'
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