हाइलाइट्स :
जानें भाराराप्रा के प्लान की जमीनी हकीकत क्या हैं
NHAI के FASTag की खूबी और खामियां?
स्पेशल FASTag का किस किसको मिलेगा कैसे लाभ?
एमपी-यूपी में टोल टैक्स प्लाजा की क्या है स्थिति?
राज एक्सप्रेस। भारत सरकार के NHAI (नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) यानी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (भाराराप्रा) ने हाईवे पर टोलफ्री सर्विस शुरू की है। इसमें टोल नाकों पर बगैर रुके शुल्क जमा कर यात्रा समय कम करने का सरकारी प्लान है। लेकिन हमारी पड़ताल कुछ और कहती है। FASTag क्या है, कहां कैसे बनेगा, कैसे काम करेगा, क्या है इसकी जमीनी हकीकत? इस बारे में जानें विस्तार से-
निर्बाध सफर की सुविधा :
खुद के वाहन से यदि आप एक्सप्रेस हाइवे के लंबे सफर पर निकलने वाले हैं तो जरा भारत सरकार के FASTag प्लान की पड़ताल भी कर लें। फास्टैग के नाम से शुरू की गई इस सर्विस में वाहन धारकों-चालकों को नियमों की पूर्ति करने पर बगैर नकद टोल चुकाए निर्बाध सफर करने की सुविधा मिलेगी। इस फास्टैग सर्विस में संबंधित चालकों को बूथ पर कर्मी जीरो ट्रांजेक्शन की रसीद भी देंगे ताकि आगे का सफर बेफिक्र सुनिश्चित हो सके। यह सुविधा भारत में मान्य टोल नाकों पर शुरू भी कर दी गई है।
समाधान की राह :
सरकार ने सड़क पर रफ्तार और टोल नाकों पर पारदर्शी लेनदेन प्रक्रिया लागू करने के लिए FASTag सर्विस शुरू की है। इस स्पेशल सर्विस से निपटान और विवाद प्रबंधन के लिए अंतर-राष्ट्रव्यापी टोल भुगतान परेशानियों का समाधान हो सकेगा।
FASTag क्या है?
FASTag एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) संबंधित टैग है जिसका उपयोग ग्राहकों से सीधे जुड़े हुए प्रीपेड या बचत/चालू खाते से टोल भुगतान करने की व्यवस्था में किया जा रहा है।
फास्टैग स्टिकर को वाहन की विंडस्क्रीन पर चिपका दिया जाता है जिसके बाद संबंधित ग्राहक टोल प्लाजा पर बगैर वाहन रोके या बिना किसी नगद टोल भुगतान के टोलनाकों से तेज रफ्तार ट्रैक से सफर कर सकता है। इस व्यवस्था में टोल का शुल्क सीधे ग्राहक के लिंक किए गए खाते से काट लिया जाता है।
भुगतान की पात्रता :
इस आंतरिक इंटरलिंक्ड नियंत्रण सर्विस में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (NETC) सिस्टम पर लागू प्रक्रियाओं, व्यावसायिक नियमों का तकनीकी जांच से निदान हो सकेगा क्योंकि ग्राहक इन स्पेशल टोल नाकों पर अपने FASTag को भुगतान मोड के रूप में उपयोग करने में सक्षम हो जाता है।
ये तकनीकी विशेषता :
FASTag वो युक्ति है जिसके जरिए तेज गतिमान वाहनों के टोल शुल्क का ऑनलाइन भुगतान रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक के जरिए बगैर वाहन रोके किया जा सकेगा। FASTag (RFID टैग) को वाहन की विंडस्क्रीन पर चिपका दिया जाता है जिसके जरिए ग्राहक ने जिस खाते को फास्टैग से जोड़ा से उस बैंक अकाउंट से टोल शुल्क तकनीकी मदद से जमा हो जाता है।
टोटल कैशलेस :
फास्टैग से संबंधित ग्राहक को कैशलेस भुगतान की सेवा हासिल होगी। इससे उसकी न केवल ईंधन खपत कम होगी बल्कि समय की बचत इस कारण भी होगी कि उसे टोल शुल्क जमा करने के लिए नाकों पर कतार में रुकना नहीं पड़ेगा। नकद लेनदेन के बजाए ऑनलाइन पेमेंट सुविधा के कारण चिल्लर-रुपयों की झंझट का भी समाधान हो जाएगा।
NETCs का उद्देश्य :
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम यानी राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली को इन व्यापक उद्देश्यों से तैयार किया गया है।
एक संयुक्त अंतर-पारिस्थितिक तंत्र बनाने के लिए। साथ ही देश भर में उपयोग करने में सक्षम एक अंतर सुरक्षित सुरक्षा ढांचा प्रदान करने के उद्देश्य से इसकी परिकल्पना की गई है।
सरल और मजबूत फ्रेमवर्क ताकि लेनदेन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ सके।
भारत सरकार के उप लक्ष्य खुदरा भुगतानों के इलेक्ट्रॉनिकीकरण का लक्ष्य हासिल होगा।
टोल प्लाजा के आसपास वाहनों की संख्या को कम करके वायु प्रदूषण को कम करने में कारगर।
ईंधन की खपत कम होगी।
कैश हैंडलिंग में कमी आएगी।
उपयोगकर्ता के खाते का केंद्रीयकरण होगा साथ ही ऑडिट में मदद मिल सकेगी।
एक वाहन का एक :
नियम के मुताबिक एक FASTag एक वाहन के लिए ही जारी होगा। इसे दूसरे वाहन में उपयोग नहीं किया जा सकता है। FASTag को नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (NETC) के किसी भी सदस्य बैंक से खरीदा जा सकता है।
रीचार्ज जरूरी :
यदि कोई FASTag प्रीपेड खाते से जुड़ा हुआ है, तो ग्राहक को उसे अपने उपयोग के अनुसार रिचार्ज/टॉप-अप करना होगा। ग्राहक के खाते में पर्याप्त बैलेंस न होने की दशा में FASTag टोल प्लाजा पर स्वतः ब्लैकलिस्ट हो जाएगा। इस स्थिति में ग्राहक को बिना रिचार्ज के टोल प्लाजा से यात्रा करते समय NETC की FASTag सेवाओं का लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही और उसे नकद के माध्यम से टोल का किराया चुकाना होगा।
फास्ट प्रोसेस :
राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली की प्रमुख विशेषता और कार्यक्षमताओं में इसका तकनीकी पक्ष प्रमुख तौर पर काबिल-ए-गौर है। दरअसल ऑफ-लाइन सौदे की स्थिति में टोल प्लाजा यूनिट को लेनदेन प्रक्रिया 10 मिनट में पूरी कर इसकी जानकारी ऑनलाइन अपडेट करना होगी।
पारदर्शिता :
ऑनलाइन इंटरकनेक्ट होने से इसमें लेनदेन में पूरी पारदर्शिता रखी गई है। मैंबर बैंक की ओर से मान्य की गईं सेवाओं के बारे में जारी किए गए फास्टैग को देश के सभी टोल प्लाजा पर स्वीकार किया जाएगा। एकरूपता होने के कारण इस नई सुविधा के पहले विभिन्न राज्यों में होने वाली विभिन्न जांच प्रक्रियाओं के मामलों में भी कमी आएगी।
सब ऑनलाइन :
टोल प्लाजा में लागू भुगतान के साधनों को चुनने की सुविधा में लचीलापन होने से ग्राहक अपने FASTag को स्वयं के मौजूदा बचत/चालू खाते अथवा प्रीपेड खाते के आधार पर जारीकर्ता सदस्य बैंकों से लिंक कर सकता है। प्रीपेड खाता खोलने के लिए जारीकर्ता बैंक के साथ मौजूदा संबंध होना अनिवार्य नहीं है।
सनद रहे :
NETC कार्यक्रम में अधिकृत सदस्य बैंकों को ही टैग जारी करने की पात्रता है। अन्य बैंकों को इसकी न तो पात्रता है और न ही किसी और की ओर से जारी फास्टैग टोल प्लाजा पर मान्य होंगे। इसलिए इन अधिकृत सदस्य बैंकों की पड़ताल करके ही खातों को फास्टैग अकाउंट से लिंक करें।
बैंक लिस्ट :
कैशलेस पैमेंट :
फास्टैग सेवा में ग्राहक को उसका गतिमान वाहन एक्सप्रेस हाइवे की स्पेशल लेन से गुजरने पर रोके बगैर ईपैमेंट तरीके से कैशलेस भुगतान करने की सुविधा मिलती है।
रिचार्ज फैसिलिटी :
फास्टैग अकाउंट को मोबाइल की ही तरह ऑनलाइन रिचार्ज किया जा सकता है। ग्राहक FASTag अकाउंट को प्लाजा लिस्ट में सूचीबद्ध जारीकर्ता बैंक के पोर्टल पर UPI/क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड/NEFT/RTGS/ नेट बैंकिंग का उपयोग करके ऑनलाइन रिचार्ज कर सकता है।
कैशबैक ऑफर :
नेशनल हाईवे टोल प्लाजा पर FASTag का उपयोग करते हुए टोल भुगतान पर ग्राहकों के लिए कैशबैक योजना उपलब्ध है। चालू वित्त वर्ष के लिए कैशबैक योजना 2.5% है। हालांकि इस योजना में भी निजी कंपनियों के तमाम ऑफर्स की तरह नीचे एक छोटा सा स्टार (*) लगा है उस पर गौर करना बहुत जरूरी है। क्योंकि इस चेतावनी वाले स्टार के मुताबिक कैशबैक ऑफर सिर्फ पात्र फास्टैग कस्टमर्स को ही मिल सकेगा।
सेवा एवं शर्तें लागू :
कैशबैक केवल राष्ट्रीय राजमार्ग टोल प्लाजा में लेनदेन प्रक्रिया पर लागू होगा। एक बात और खास कि एनएचएआई का निर्णय कैशबैक योजना से संबंधित मुद्दे पर अंतिम और बाध्यकारी रहेगा। इस मामले में NHAI के पास बिना किसी पूर्व सूचना के योजना यांत्रिकी को बदलने/संपादित करने का अधिकार सुरक्षित रहेगा।
NETC ट्रांज़ेक्शन प्रक्रिया :
NETC में टोल प्लाजा से लेनदेन की जानकारी अधिग्रहण सिस्टम को भेजी जाती है। इसके बाद केंद्रीयकृत प्रणाली में एक्वायरिंग सिस्टम इन लेनदेन की जांच कर खाते की जरूरी खाना तलाशी के बाद मान्य/अमान्य कर निर्देश NETC स्विच पर भेजता है। एनपीसीआई इस लेनदेन को संबंधित जारीकर्ता बैंक को भेजता है जो बदले में टैग धारक खाते से लेनदेन की प्रक्रिया आसान बनाता है।
कैमरे का रोल :
जब भी वाहन टोल प्लाजा के ईटीसी (इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन) लेन से गुजरता है, तो टोल प्लाजा का ऑनलाइन कैमरा सिस्टम काम करना शुरू कर देता है। इसके जरिए FASTag से जुड़े विवरण जैसे टैग, आईडी, वाहन वर्ग, आदि की डिकोड की गई जानकारी अगली प्रक्रिया के लिए एक्वायरिंग बैंक को भेजी जाती है। फिर एक्वायर करने वाला बैंक टैग विवरण को मान्य करने के लिए NETC मैपर को एक अनुरोध भेजता है।
NETC मैपर लिस्टिंग :
एक बार टैग आईडी सत्यापित हो जाने के बाद, NETC मैपर वाहन वर्ग, VRN, टैग स्थिति आदि जैसे विवरणों के साथ प्रतिक्रिया करता है। यदि टैग NETC Mapper लिस्ट में दर्ज नहीं है तो मैपर टैग आईडी के पंजीकरण को अमान्य कर देता है।
NETC मैपर से टैग आईडी के सफल सत्यापन के बाद, अधिग्रहणकर्ता उचित टोल किराया की गणना करता है और NETC प्रणाली के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। इसकी अगली प्रक्रिया में NETC सिस्टम ग्राहक के खाते को डेबिट करने के लिए संबंधित जारीकर्ता बैंक को डेबिट अनुरोध स्विच कर प्रक्रिया को आगे बढ़ा देगा।
मिलेगा SMS :
प्रक्रिया की अगली कड़ी में जारीकर्ता होस्ट लिंक्ड टैग यूज़र खाते को डेबिट करेगा और ग्राहक को एक एसएमएस अलर्ट भेजेगा। जारीकर्ता होस्ट NETC प्रणाली को प्रतिक्रिया संदेश भेजेगा।
TAT है खास :
यदि ऑनलाइन प्रक्रिया में निर्धारित TAT (टर्न अराउंड टाईम) के भीतर प्रतिक्रिया नहीं भेजी जाती है, तो लेनदेन को डीम्ड एक्सेप्टेड माना जाता है। NETC प्रणाली परिचित मेजबान की प्रतिक्रिया को सूचना देगी फिर अधिग्रहण करने वाला होस्ट संबंधित टोल प्लाजा सिस्टम को सूचना देगा।
तो शुल्क माफ :
नियम तो यह भी है कि फास्टैग अनुमति वाला वाहन गुज़रते वक्त टोल नाके का सेंसर खराब होने की दशा में संबंधित वाहन मालिक के अकाउंट से टोल का शुल्क नहीं कटेगा। ऐसे में बगैर शुल्क अदा किए ही ग्राहक वाहन से फर्राटा रफ्तार में निकल सकेगा। हालांकि इस सर्विस का लाभ वैध फास्टैग और पूरा बैलेंस रखने वाले वाहनों को ही मिल पाएगा।
जीरो ट्रांजेक्शन रसीद :
इतना ही नहीं ऐसे में टोल प्लाजा संचालक को वाहन मालिक के नाम ट्रांजेक्शन के लिए जीरो ट्रांजेक्शन रसीद भी देना अनिवार्य किया गया है। लेकिन नियमों की जानकारी के अभाव में कई टोल नाकों पर कर्मचारी फास्टैग लाइन पर भी अड़ंगा डाले नज़र आए और शुल्क लेकर ही वाहन आगे बढ़ने दिया गया।
एक अनुमान के मुताबिक एनएचएआई की इस परियोजना में देश के प्रमुख टोल प्लाजा से एक ओर से रोजाना लगभग 12 से 15 हजार वाहनों की आवाजाही होती है। दोनों छोरों के वाहनों को मिलाकर औसतन यह संख्या तकरीबन 25 हजार मानी जा सकती है।
टोल फ्री FASTag :
केंद्र सरकार ने सेना, अर्द्धसैनिक बल और पुलिस स्टाफ के वाहनों को फास्टैग स्टिकर चस्पा कराने की बाध्यता से मुक्त रखा है। सरकार ने इस कैडर के वाहनों के लिए स्पेशल फास्टैग स्टिकर्स की व्यवस्था की है।
यहां बनेंगे यह पास :
स्पेशल फास्टैग स्टिकर्स के लिए संबंधित स्टाफर्स को बैंकों या सीएसी सेंटर के बजाए इंडियन हाईवे मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (आईएचएमसीएल) की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जिसकी विधिवत जांच के बाद आवेदन में दर्शाए गए संबंधित वाहनों के लिए क्षेत्रवार स्पेशल फास्टैग जारी किए जाएंगे।
इस सेवा को लागू करने के लिए देशभर में एनएलएआई के 24 जोन में अफसरों को जिम्मा सौंपा गया है। गौरतलब है सेना स्टाफर्स को आर्मी एंड एयरफोर्स अधिनियम 1901 के तहत हाईवे टोल नाकों पर पूर्ववत छूट की पात्रता दी गई है।
विशेषाधिकार :
केंद्र सरकार ने इसमें राज्यों की आर्म्ड और पैरा मिलिट्री फोर्स के जवानों को भी विशेषाधिकार दिए हैं। संबंधित वर्ग को आवेदन करते वक्त भी किसी तरह का शुल्क नहीं चुकाना होगा। हालांकि यह अलग बात है कि सरकार ने छूट की पात्रता तो दे दी है लेकिन सुविधा का लाभ संबंधित वर्ग को फिलहाल मिलना नहीं शुरू हो पाया है।
ये डॉक्यूमेंट्स जरूरी :
स्पेशल फास्टैग के लिए नियमानुसार भरा गया आवेदन पत्र, वाहन का पंजीकरण पत्रक, पहचान पत्र (आधार, पैन, वोटर कार्ड आदि), छूट की पात्रता का प्रमाण पत्र (सर्विस पहचान पत्रक या अन्य मान्य दस्तावेज) जमा करना अनिवार्य है।
आवेदन प्रक्रिया :
ऑनलाइन आवेदन के लिए आईएचएमसीएल के पोर्टल पर अकाउंट बनाना जरूरी किया गया है। इस प्रक्रिया के बाद आवेदक को आवेदन फॉर्म मिलेगा। इसके संबंधित कॉलम भरने के बाद आईएचएमसीएल के अकाउंट पर लॉगिन कर आवेदक को नियमानुसार जरूरी दस्तावेज साइट पर अपलोड करना होंगे। प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत नियत कार्यदिवसों में राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग आवेदक के दस्तावेजों का सत्यापन कर उन्हें स्पेशल फास्टैग जारी करेगा।
आवेदक और वाहन क्रमांक :
छूट की पात्रता के लिए अपलोड किए गए प्रूफ में दर्ज नाम और वाहन पंजीकरण पत्रक में आवेदक का नाम एक सा होना जरूरी है। ऐसे में मान्य नौकरीपेशा व्यक्ति को ही स्पेशल छूट मिल पाएगी। साथ ही आवेदक अपने परिवार के किसी भी वाहन पर छूट वाला फास्टैग नहीं ले पाएगा।
हकीकत कुछ और :
यह सब तो हुई फास्टैग की सरकारी कवायद लेकिन टोलनाकों पर हकीकत कुछ और ही है। नियम तो यह है कि जब यह छूट के पात्र स्पेशल वाहन टोल नाकों से गुजरेंगे तो टोल बैरियर अपने आप खुल जाएगा और संबंधित वाहन सवार से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। लेकिन जबलपुर में आधी-अधूरे निर्माण और सुविधाओं के बावजूद न केवल टोल शुल्क वसूलना शुरू कर दिया गया है बल्कि शुल्क मुक्त व्हीआईपी वाहनों पर भी फास्टैग चिपकाने की यहां शिकायतें मिलीं हैं।
ऐसे में जबलपुर में कटनी छोर पर सिहोरा जबकि नागपुर मार्ग पर चूल्हा गोलाई के आगे अवैध तरीके से फास्टैस लगाने की खबरें सुर्खियों में रहीं हैं। लोगों ने जांच की तक मांग की है। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि मंडला रूट की सड़क का काम पूरा न होने के बावजूद यहां टोल टैक्स वसूला जा रहा है।
पोर्टल में टेक्निकल प्रॉब्लम :
आईएचएमसीएल ने टोल में छूट की पात्रता के आवेदन के लिए जो पोर्टल बनाया है फिलहाल उसमें भी तकनीकी खामियों की शिकायत मिल रही हैं। कभी ऑवेदन का ऑप्शन नहीं खुल रहा तो कभी पोर्टल।
दरअसल NPCI यानी नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने भारतीय बाजार की इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग जरूरतों के लिहाज से NETC यानी नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन कार्यक्रम का खाका तैयार किया है।
बगैर तैयारी के शुरुआत :
अन्य सेवाओं की ही तरह कहा जा सकता है फास्टैग सर्विस भी बगैर पूरी तैयारी के आनन-फानन शुरू कर दी गई है। न तो टोल नाकों पर जरूरी सुविधाएं मुहैया हैं और न ही रफ्तार को ही गति मिल पा रही है, क्योंकि इन टोल नाकों पर वाहनों की लंबी कतारें लगने से सरकार का सफर में कम वक्त लगने का मकसद फिलहाल तो पूरा होता नहीं दिख रहा।
अनजान कर्मचारी :
कानपुर हाईवे पर अधिकांश नाकों पर कर्मचारी फास्टैग के बारे में टोल नाकों पर लागू होने वाले नियम-कायदों से लगभग अनजान नज़र आए। किन स्पेशल कार्ड धारकों को गुजरने देना है किनके परिचय पत्र यहां मान्य/अमान्य हैं इस बात तक की जानकारी ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों को नहीं है। आलम यह है कि नाकों पर तैनात कर्मचारी वरिष्ठ स्टाफर्स से जानकारी जुटाने में वक्त लगाते रहे और तेज रफ्तार सफर मंथर इंतजार में तब्दील होता रहा।
सेंसर समस्या :
दरअसल एनएचएआई ने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की जो सारी कवायद की है वो पूरी की पूरी तकनीक पर आधारित है। कैमरे के सेंसर्स फास्टैग कोडिंग का मिलान करेंगे इसके बाद कंप्यूटर में डाटा का उचित मिलान होने पर ही वाहन आगे बढ़ सकेंगे। फिलहाल कई टोल प्लाजा के आसपास की सर्विस पर सवाल उठ रहे हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी है।
सिहोरा का दर्द :
राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर जबलपुर और कटनी की तरफ जाने वाली बसों को लेकर भी ऑपरेटर्स का पारा गरम है। ऑपरेटर्स का कहना है कि रोड टैक्स के बाद भी टोल टैक्स लेना सरासर गलत है। सिहोरा के पास मोहतरा टोल प्लाजा पर संचालक इस बारे में प्रदर्शन भी कर चुके हैं।
संचालकों की परेशानी :
बस ऑपरेटर्स के मुताबिक जबलपुर से कटनी के बीच रोजाना चार फेरों के लिए प्रति फेरा 80 रुपए के हिसाब से रोजाना 320 रुपए टोल टैक्स जमा करना पड़ रहा है। बस संचालकों ने हर महीने लगभग 10 हजार रुपए का अतिरिक्त भार पड़ने की बात कही है। संचालकों ने खरीदी के समय शोरूम में रोड टैक्स, फिर डीजल पेट्रोल में सड़क निधि शुल्क वसूलने के बाद टोल शुल्क को गलत करार दिया है
अभिभावक पर बोझ :
सिहोरा के समीपी मोहतरा नाके के आगे के गांवों के स्कूल की बसों पर रोजाना या मासिक टोल टैक्स लगने के कारण संचालकों ने भी स्टूडेंट्स का किराया बढ़ा दिया है। किराया बढ़ने से जेब पर 100 से 125 रुपये तक का अतिरिक्त बोझ पड़ने की बात अभिभावकों ने कही है।
“देखिए स्पेशल फास्टैग न होने की दशा में छूट के पात्र सेना और सरकार के मान्य वाहनों को पूर्व के नियमों के मुताबिक मान्य पहचान पत्र देखकर जाने दिया जा रहा है। ऑनलाइन पोर्टल प्रक्रिया अभी नए दौर में है, फास्टैग पर छूट का लाभ सरकारी नियमों के अनुसार ही दिया जाएगा। लोगों को असुविधा न हो और फास्टैग जल्द चलन में आए इसलिए एजेंसी के एजेंट्स के माध्यम से काउंटर्स के जरिए फास्टैग नियमानुसार वितरित हो रहे हैं। छूट प्राप्त वाहनों पर अवैध फास्टैग लगाने की बात सरासर गलत है।”
ले. कर्नल, शरद चंद सिंह, जनरल मैनेजर (T), PIU, जबलपुरFASTag Toll Plaza
सड़क पर वाहन को गति देने का सरकार का मकसद सराहनीय तो है लेकिन टोल नाकों पर शुल्क वसूलने से पहले व्यवस्थाएं दुरुस्त करना भी केंद्र सरकार के भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की प्राथमिकताओं में शामिल होना चाहिए।
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