एक करोड़ टन गेहूं खुले बाजार में बेचने से 16 साल के निचले स्तर पर आया स्टॉक

धीमी गति से चल रही गेहूं की खरीदः एफसीआइ के आंकड़ों के अनुसार सरकारी गोदामों में संग्रह किए गए गेहूं का स्टॉक 16 सालों के निचले स्तर पर जा पहुंचा है।
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हाईलाइट्स

  • 7.5 मिलियन टन (75 लाख टन) था अप्रैल में गेहूं का कुल भंडार

  • यह एक साल पहले के 8.35 मिलियन टन (83.5 लाख टन) से काफी कम

  • खुले बाजार में एक करोड़ टन गेहूं बेचने की वजह से पैदा हुई यह स्थिति

राज एक्सप्रेस । भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के आंकड़ों के अनुसार सरकारी गोदामों में संग्रह किए गए गेहूं का स्टॉक 16 सालों के निचले स्तर पर जा पहुंचा है। अप्रैल की शुरुआत में गेहूं का भंडार 7.5 मिलियन टन (75 लाख टन) के स्तर पर आ गया, जो एक साल पहले के 8.35 मिलियन टन (83.5 लाख टन) से काफी कम है। बताया जाता है कि स्टॉक में यह कमी गेहूं के मूल्य स्थिर रखने के लिए खुले बाजार में एक करोड़ टन गेहूं बेचने का निर्णय लेने की वजह से आई है। एक करोड़ टन गेहूं खुले बाजार में बेचने से 16 साल के निचले स्तर पर आया स्टॉक। अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि अगर मौजूदा सीजन में गेहूं की पर्याप्त मात्रा में खरीद नहीं हो सकी, तो वैकल्पिक उपाय के रूप में क्या किया जाएगा ?

केंद्र का प्रयास एक करोड़ टन के नीचे न जाए स्टाक

पिछले एक दशक में, 1 अप्रैल को गेहूं का स्टॉक औसतन 16.7 मिलियन टन रहा है। एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार प्रयासरत है कि गेहूं का स्टॉक किसी भी स्थिति मे एक करोड़ टन से नीचे न जाए। सरकार को इस साल किसानों से तीन करोड़ से 3.2 करोड़ टन गेहूं खरीद के अपने लक्ष्य को हरहाल में हासिल करना होगा, केवल इसी तरह अगले सीजन में गेहूं के स्टॉक का स्तर बफर मानक से ऊपर रखा जा सकता है।

2022 व 23 में भी हासिल नहीं हुए थे खरीद लक्ष्य

2022 में केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। मौजूदा स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि आम चुनाव के बाद सरकार शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने पर विचार कर सकती है। साल 2022 और 2023 में भी भारत गेहूं खरीद लक्ष्य को हासिल करने में विफल रहा था, क्योंकि ज्‍यादा गर्मी की वजह से फसल का उत्पादन घट गया था। दूसरी ओर, गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के कारण वैश्विक स्‍तर पर मांग बहुत बढ़ गई थी।

पर्याप्त खरीद नहीं होने पर आयात ही एकमात्र उपाय

घरेलू जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही भारत ने 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। माना जा रहा है कि अगर सरकार गेहूं की पर्याप्त मात्रा में खरीद नहीं कर पाती है, तो वह लोकसभा चुनाव पूरे होने के बाद शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने पर विचार कर सकती है। घरेलू स्तर पर कोई परेशानी नहीं हो, इस लिए चुनाव के बाद पर्याप्त मात्रा में गेहूं की खरीद नहीं हो पाने की स्थिति में भारत को आयात पर निर्भर होना पड़ सकता है। पिछले सप्ताह अमेरिका के कृषि विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का कम गेहूं भंडार इस साल सरकार को 2 मिलियन मीट्रिक टन अनाज आयात करने के लिए मजबूर कर सकता है।

खुले बाजार में मिल रही गेहं की ज्यादा कीमत

एफसीआई का ध्यान उत्तर प्रदेश और ऐसी ही अन्य राज्यों पर है, जहां गेहूं का ज्यादा उत्पादन होता है। बताया जाता है कि यूपी ने ऐतिहासिक रूप से एफसीआई खरीद में 2% से भी कम योगदान दिया है। राज्य सरकार ने रेलवे से अप्रैल में बड़े व्यापारियों को माल ढुलाई कारें उपलब्ध नहीं कराने के लिए कहा है। एक संवाद एजेंसी ने दावा किया है कि उसे एक सरकारी पत्र मिला है, जिसमें यूपी में अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि बड़े व्यापारियों को बड़ी मात्रा में गेहूं की खरीद करने से रोका जाए। बड़े व्यापारियों को गेहूं की खरीद करने से रोकने का मतलब है कि इससे एफसीआई को ज्यादा खरीद करने में मदद मिलेगी। सरकारी खरीद की रफ्तार अब तक काफी सुस्त बनी हुई है। इसकी एक वजह यह भी है कि खुले बाजार में सरकारी केंद्रों के मुकाबले गेहूं की ज्यादा कीमत मिल रही है।

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