रूस। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच पूरी दुनिया भर के देश कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने की रेस में अभी भी दौड़ लगा ही रहे हैं। जबकि, रूस यह रेस की जीत कर दुनिया की पहली 'स्पूतनिक-वी' नाम की कोरोना वैक्सीन तैयार कर चुका है। वहीं, अब इस वैक्सीन का वितरण शुरू हो गया है। अक्टूबर में 'स्पूतनिक-वी' वैक्सीन की पहली खेप वेनेजुएला पहुंची थी। वहीं, अब रूस की कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-वी एक बार फिर चर्चा में है।
स्पूतनिक-वी से जुड़ी बड़ी खबर :
दरअसल, रूस द्वारा निर्मित कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-वी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है कि, अब इस वैक्सीन का उत्पादन भारत में शुरू किया जाएगा। खबरों की मानें तो, इसका उत्पादन रूस के सॉवरेन वेल्थ फंड और भारतीय दवा कंपनी हेटेरो मिलकर करेगी। स्पूतनिक-वी वैक्सीन के भारत में हर साल 100 मिलियन यानि 10 करोड़ से अधिक डोज तैयार किए जाएंगे। बता दें, दोनों कंपनियों ने स्पूतनिक-वी के इतने डोज के उत्पादन के लिए सहमति जताई है। इस बारे में जानकारी स्पूतनिक-वी ने अपने ट्विटर एकाउंट द्वारा दी है।
रूस की वैक्सीन की कीमत :
रूस द्वारा दावा किया गया था कि, उनके द्वारा तैयार की गई वैक्सीन कोरोना के मरीजों पर 95% तक कारगर साबित हुई है। इसके अलावा रूस की वैक्सीन की एक डोज की कीमत मात्र 10 डॉलर यानि लगभग 750 रुपये तय की गई है। बताते चलें, स्पूतनिक-वी कंपनी द्वारा अपने ट्विटर एकाउंट पर दी गई जानकारी में कहा गया है कि,
हेटरो लैब्स लिमिटेड के डायरेक्टर ने बताया :
हेटरो लैब्स लिमिटेड के डायरेक्टर, इंटरनेशनल मार्केटिंग मुरली कृष्ण रेड्डी ने बताया है कि, 'कोविड -19 के इलाज में स्पूतनिक-वी सबसे कारगर है। वैक्सीन तैयार करने के लिए RDIF के साथ इस पार्टनरशिप से हमें बहुत खुशी है। यह पार्टनरशिप कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमारे कमिटमेंट और मेक इन इंडिया कैम्पेन के मकसद को पूरा करने के लिए एक और कदम है।'
राष्ट्रपति पुतिन ने बताया था सुरक्षित :
गौरतलब हैं कि, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन 'स्पूतनिक-वी' के बारे में जानकारी देते ही यह वैक्सीन विवादों में गिर गई थी। हालांकि, उसके बाद राष्ट्रपति पुतिन ने इस वैक्सीन को पूर्ण रूप से सुरक्षित और प्रभावी बताया था। इतना ही नहीं उन्होंने इसका ट्रायल अपनी बेटी पर भी किया था। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस वैक्सीन को मंजूरी मिलने को लेकर बताया कि, रूस द्वारा दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन तैयार करने के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार पूरे नियमों का सख्ती से पालन करते हुए ही मंजूरी दी गई है। साथ ही बीते महीनों के दौरान इस वैक्सीन का ट्रायल कुछ दर्जन लोगों पर किया गया। इसके बाद इसे अब अप्रूवल मिल गया है।
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