देश में नैनो तरल यूरिया का जैसे-जैसे बढ़ा उत्पादन वैसे-वैसे यूरिया के आयात में दर्ज की गई गिरावट
राज एक्सप्रेस। इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड' (इफ्को) ने एक अगस्त, 2021 से नैनो-तरल यूरिया का व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया था। कंपनी 500 मिलीलीटर की 6 करोड़ बोतलों का उत्पादन कर रही है। इफ्को द्वारा नैनो तरल यूरिया का उत्पादन बढ़ने का सकारात्मक असर हमारे कृषि क्षेत्र पर दिखाई दे रहा है। इसके बाद से देश में यूरिया के आयात में कमी आने लगी है। रसायन और उर्वरक मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2021-22 और 2022-23 में यूरिया के आयात में कमी आई है। यह एक अच्छा संकेत है कि भारतीय कृषि में जैसे-जैसे नैनो यूरिया का प्रयोग बढ़ रहा है, वैसे-वैसे यूरिया के आयात में कमी आ रही है।
दो सालों में कम हुई यूरिया की खपत
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार यूरिया का आयात, वित्त वर्ष 2021-22 में 91.36 लाख टन, 2020-21 में 98.28 लाख टन, 2019-20 में 91.23 लाख टन और 2018-19 में 74.81 लाख टन किया गया है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार इससे पता चलता है कि 2018-19 से 2020-21 के बीच यूरिया का आयात बढ़ा है, लेकिन, वर्ष 2021-22 और 2022-23 में यूरिया के आयात में कमी आई है। इफको ने एक अगस्त, 2021 को नैनो-तरल यूरिया का व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया था। नैनो यूरिया का उत्पादन पिछले वित्त वर्ष में 290 लाख बोतल (प्रत्येक 500 मिलीलीटर) और इस वित्त वर्ष में 21 मार्च तक 452.11 लाख बोतल रहा है।
ठोस यूरिया का ही तरल रूप है नैनो यूरिया
नैनो यूरिया ठोस यूरिया का ही तरल रूप है। इसके 500 मिलीलीटर की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करता है। यह तरल यूरिया किसानों के लिए काफी सुविधाजनक और किफायती साबित हुआ है। इस वजह से हाल के दिनों में नैनो यूरिया सामान्य यूरिया का बेहतर विकल्प बनकर सामने आया है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, फसल की ग्रोथ के लिए नैनों यूरिया का छिड़काव होता है, प्रति एकड़ 500 एमएल की बोतल में दो बार छिड़काव हो जाता है।
6 करोड़ बोतलों का उत्पादन करती है इफ्को
इफको इस समय 500 मिलीलीटर की 6 करोड़ नैनो लिक्विड यूरिया की बोतलों का उत्पादन कर रही है, जबकि किसानों को 5 करोड़ यूनिट बेची जा चुकी हैं। उर्वरक की यह मात्रा 22 लाख टन ठोस यूरिया के समान है। नैनो यूरिया लिक्विड फर्टिलाइजर के छिड़काव से ठोस यूरिया के मुकाबले 50 प्रतिशत से भी कम में काम हो जाता है। उर्वरक कंपनी इफको अपने नैनो तरल यूरिया को 25 देशों तक पहुंचाना चाहती है, जिसके लिए इन देशों को सैंपल भिजवाए हैं। कंपनी ने एक्सपोर्ट के हिसाब से दिसंबर 2024 तक 30 करोड़ बोतलें बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
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