एसएमई सेगमेंट में देखने को मिले हेराफेरी के संकेत, साक्ष्य एकत्र करने के लिए शुरू की गई जांचः पुरी बुच

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधुरी पुरी बुच ने कहा कि हमें जांच के दौरान एसएमई सेगमेंट में हेरफेर के संकेत मिले हैं।
Madhuri Puri Buch, Chairperson of Securities and Exchange Board of India (SEBI)
Madhuri Puri Buch, Chairperson of Securities and Exchange Board of India (SEBI)Raj Express
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हाईलाइट्स

  • सेबी आईपीओ में कीमतों में हेरफेर और ट्रेडिंग लेवल आदि की भी निगरानी कर रही

  • एसएमई आईपीओ में सुधार के कदम के रूप में खुलासे को लागू करने पर हो रहा विचार

  • गड़बड़ियां रोकने के लिए सेबी ने एएसएम व जीएसएम उपाय लागू का लिया निर्णय

राज एक्सप्रेस । बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधुरी पुरी बुच ने कहा कि हमें जांच के दौरान एसएमई सेगमेंट में हेरफेर किए जाने के संकेत मिले हैं। हम अब विस्तृत जांच के माध्यम से साक्ष्य जुटाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि ऐसा करने वाली कंपनियों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कहा कि हमने ऐसी गतिविधियों को नियंत्रित करने और जांच के दायरे के उपायों पर काम शुरू कर दिया है।

सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने आज सोमवार को मुंबई में महिला फंड मैनेजरों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपनी जांच के दौरान एसएमई सेगमेंट में हेरफेर के पुख्ता संकेत मिले हैं। अब हम साक्ष्यों को एकत्र करने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा सेबी कुछ आईपीओ के मामले में भी कीमतों में हेरफेर और ट्रेडिंग लेवल आदि की निगरानी कर रही है।

माधुरी पुरी बुच ने कहा कि एसएमई आईपीओ में सुधार के शुरुआती कदम के रूप में खुलासे को लागू करने पर विचार किया जा रहा है। निर्मला पुरी बुच ने कहा स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज को बहुत सी शर्तों के पालन में दिक्कतें होती हैं। इस स्थिति में बाजार नियामक फैसिलिलेटर की भूमिका में आना चाहता है। हालांकि, बाजार नियामक को कुछ संस्थाओं द्वारा इस सुविधा ढांचे के दुरुपयोग की शिकायतें मिली हैं।

इसे कम करने के लिए सेबी ने एडीशनल सर्विलांस मेजर (एएसएम) और ग्रेडेड सर्विलांस मेजर (जीएसएम) उपाय लागू का निर्णय लिया है, जो पहले एसएमई बोर्ड पर लागू नहीं थे। माधुरी पुरी बुच ने कहा दरअसल सच्चाई यह है कि ये काफी छोटी कंपनियां होती हैं, जहां मार्केट कैप और फ्री फ्लोट बहुत छोटा होता है, यही वजह है कि आईपीओ के स्तर पर और ट्रेडिंग के स्तर पर हेरफेर करना तुलनात्मक रूप से आसान होता है।

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