क्या घाटे वाली और शेल कंपनियों को सियासी फंडिंग से रोका जाना चाहिए ? जानिए इस पर वित्तमंत्री ने क्या कहा

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा अगर कॉरपोरेट फंड कर सकते हैं, तो उन्हें फंड देना चाहिए। वे किस कानून के तहत ऐसा कर पाएंगे इस पर काम करने की जरूरत है।
Finance Minister Nirmala Sitaraman
Finance Minister Nirmala SitaramanRaj Express
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हाईलाइट्स

  • चुनावी बांड प्रणाली सही नहीं हो सकती, हम इसे और पारदर्शी बनाने का प्रयास करेंगे

  • कॉरपोरेट राजनीतिक दलों को फंड देने को स्वतंत्र हैं, पर इसके लिए प्रणाली होनी चाहिए

  • सीतारमण ने कहा राजनीतिक दलों को चंदा देने की पिछली प्रणाली पूरी तरह अपूर्ण थी

राज एक्सप्रेस । वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में आयोजित कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कॉरपोरेट फंड कर सकते हैं, तो उन्हें फंड देना चाहिए। वे किस कानून या योजना के तहत ऐसा कर पाएंगे इस पर काम करने की जरूरत है। कोई यह नहीं कह रहा है कि पार्टियों को फंड नहीं दिया जाना चाहिए। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कॉरपोरेट राजनीतिक दलों को फंड देने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन इसके लिए एक कानून या प्रणाली होनी चाहिए, जिस पर काम करने की जरूरत है।

वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ ज़राबी के इस सवाल कि क्या घाटे में चल रही कंपनियों और शेल कंपनियों को राजनीतिक फंडिंग से रोका जाना चाहिए और पार्टियों की कॉर्पोरेट फंडिंग को लेकर लापरवाही क्यों बरती जा रही है, निर्मला सीतारमण ने कहा कहा कोई यह नहीं कह रहा कि पार्टियों को फंड नहीं दिया जा सकता। लेकिन यह नियमानुसार होना चाहिए ।

घाटे में चल रही और शेल कंपनियों पर रोक लगाने के सवाल पर, वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा उस मोर्चे पर कुछ मुद्दे हैं, जिनपर हमें गौर करने की जरूरत है। आप शेल कंपनियों और घाटे में चल रही कंपनियों को ऐसा नहीं कर सकते। बता दें कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर चुनावी बांड पर डेटा प्रकाशित करने के बाद आया है।

राजनीतिक चंदा देने के लिए चुनावी बांड खरीदने वाली संस्थाओं की सूची में कॉर्पोरेट जगत के कई बड़े नाम शामिल हैं। स्टील टाइकून लक्ष्मी मित्तल, सुनील भारती मित्तल की भारती एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, डीएलएफ, पीवीआर, बिड़ला, बजाज, जिंदल, स्पाइसजेट, इंडिगो और गोयनका आदि आदि।

हालांकि यह पहले से ही ज्ञात है कि सत्तारूढ़ भाजपा को सबसे अधिक 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का डोनेशन मिला है। दूसरे स्थान पर कांग्रेस पार्टी को को लोगों ने इलेक्टोरल बांड के माध्यम से चंदा दिया है। आंकड़ों में केवल प्रत्येक इकाई या व्यक्ति द्वारा दान की गई राशि का खुलासा किया। इन आंकड़ों में यह नहीं बताया गया है कि किसने किस पार्टी को चंदा दिया है।

चुनावी बांड मुद्दे के बारे में चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह महज एक धारणा है कि छापे और दान के बीच एक संबंध है। ईसीआई आंकड़ों के अनुसार, चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को योगदान देने वाली शीर्ष तीस फर्मों में से लगभग आधे की जांच प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो और आयकर विभागों सहित केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा की गई है।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि कल्पना कीजिए तब क्या होगा अगर जिन कंपनियों ने चुनावी बांड के रूप में चंदा दिया है और उसके बाद भी हम प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के माध्यम से उनके दरवाजे पर गए और दस्तक दी? निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह एक धारणा है कि प्रवर्तन निदेशालय ने जाकर उनके दरवाजे खटखटाए। वे खुद को बचाना चाहते थे इसलिए वे राजनीतिक चंदे के रूप में धन लेकर आए। उसी में दूसरी धारणा यह भी है कि क्या आप आश्वस्त हैं कि उन्होंने भाजपा को ही चंदा दिया है? यह भी तो हो सकता है कि उन्होंने इलेक्टोरल बांड के माध्यम से क्षेत्रीय पार्टियों चंदा दे दिया हो।

उन्होंने कहा चुनावी बांड प्रणाली सही नहीं हो सकती है। हमें चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सबक लेना चाहिए। इसके इर्द-गिर्द कोई नया कानून हो भी सकता है और नहीं भी। मैं कोई टिप्पणी नहीं कर रही हूँ, लेकिन हम प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने का प्रयास करेंगे। निर्मला सीतारमण ने कहा कि राजनीतिक दलों को चंदा देने की पिछली प्रणाली पूरी तरह से अपूर्ण थी। यह चुनावी ट्रस्ट योजना का संदर्भ था, जिसे 2013 में यूपीए सरकार द्वारा पेश किया गया था।

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