AGR मामले में SC ने टेलिकॉम कंपनियों के लिए जारी किए आदेश

एक बार फिर AGR मामला चर्चा में है और टेलीकॉम कंपनियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों के लिए सख्ती से फाइनेंशियल स्टेटमेंट जमा कराने के आदेश जारी किए हैं।
SC issues orders for telecom companies in AGR case
SC issues orders for telecom companies in AGR caseKavita Singh Rathore -RE
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नई दिल्ली। कुछ समय पहले सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को जल्द से जल्द बकाया एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की रकम का भुगतान करने के आदेश दिए थे। हालांकि, टेलिकॉम कंपनियों ने AGR की कुछ रकम जमा कर दी थी परंतु बाकी की राशि जमा करने को लेकर कुछ समय की मौहलत मांगी थी। वहीं, अब एक बार फिर AGR मामला चर्चा में है और टेलीकॉम कंपनियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों के लिए सख्ती से आदेश जारी किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश :

दरअसल, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (SC) ने टेलिकॉम कंपनियों को AGR की बकाया राशि का भुगतान करने को लेकर सख्ती से आदेश जारी किए हैं। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों को अपना 10 साल का फाइनेंशियल स्टेटमेंट (10-year Financial Statement) जमा कराने के भी आदेश दिए हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार से AGR भुगतान को लेकर कंपनियों के प्रस्ताव पर विचार कर जवाब मांगने को कहा है। केंद्र की तरफ से सरकार ने कोर्ट को बताया कि, 'गैर टेलीकॉम PSU से AGR की मांग का आदेश वापस लिया गया है। पिछली सुनवाई में SC ने PSU से AGR की वसूली पर सरकार को फटकार लगाई थी। वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई के लिए जुलाई के तीसरे हफ्ते तक का समय दिया है।

क्या है मामला :

दरअसल, केन्द्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि, दूरसंचार विभाग ने PSU उपक्रमों से AGR की बकाया रकम के चार लाख करोड़ रूपए की मांग का 96% वापस लेने का फैसला किया है। इस ममले पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए सुनवाई के दौरान कोर्ट के जस्टिस अरूण मिश्रा, एस अब्दुल नजीर और एम आर शाह की पीठ को सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जानकारी दी। मेहता ने जानकारी देते हुए बताया कि, टेलिकॉम विभाग ने एक एफिटडेविट जमा किया है। जिसमें इन PSU उपक्रमों से AGR से संबंधित बकाया राशि की मांग करने के कारण के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया है।

टेलिकॉम विभाग का अनुरोध :

बताते चलें, टेलिकॉम विभाग ने जजों की पीठ से अनुरोध करते हुए कहा है कि, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों द्वारा AGR की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए थोड़ा समय और दिया जाए। कोर्ट ने फिलहाल कंपनियों को थोड़ा समय देते हुए फाइनेंशियल स्टेटमेंट जमा कराने के आदेश दे दिए हैं।

वोडाफोन आइडिया के वकील का कहना :

वोडाफोन आइडिया का केस देख रहे वकील मुकुल रोहतगी का कहना है कि, वोडाफोन आइडिया पहले ही दूरसंचार विभाग को 7000 करोड़ रूपए का भुगतान कर चुकी है। वहीं, फिलहाल कंपनी के वित्तीय हालात ठीक नहीं होने के कारण कंपनी कोई बैंक गारंटी नहीं दे सकती है।

कोर्ट का जबाव :

वोडाफोन आइडिया के वकील के कहने पर कोर्ट ने कहा कि, कोरोना वायरस महामारी के फैलने से टेलिकॉम कंपनियों को नुकसान नहीं हो रहा है बल्कि इस समय में कंपनियां धन राशि अर्जित कर रही है। इसलिए कंपनियों को बकाया राशि का कुछ और भाग जमा कराना चाहिए, क्योंकि इन हालातों से बनी स्थिति से जनता को बाहर निकालने के लिए सरकार को धन की आवश्यकता है। बताते चलें, इससे पहले 11 जून को कोर्ट ने टेलिकॉम विभाग को गेल जैसे PSU उपक्रमों से चार लाख करोड़ रुपए का भुगतान पर विचार करने को कहा था।

एयरटेल का कहना :

एयरटेल कंपनी ने बताया है कि, कंपनी AGR की राशि कुछ समय के अंतराल में चुकती आई है। कंपनी ने हाल ही में 18,000 चुकाए थे।

वोडाफोन-आइडिया ने बताया :

वोडाफोन-आइडिया ने बताया है कि, वोडाफोन आइडिया पहले ही दूरसंचार विभाग को 7000 करोड़ रूपए का भुगतान कर चुकी है और फिलहाल कंपनी बकाया रकम की राशि के लिए सिक्युरिटी देने की स्थिति में नहीं है। कंपनी ने पहले सरकार को 15,000 करोड़ बैंक गारंटी दी थी, सरकार उसे ही सिक्युरिटी के तौर पर माने।

दिलचस्प संवाद :

जस्टिस अरुण मिश्रा ने वोडाफोन के वकील से कहा- आप (टेलीकॉम सेक्टर के) अकेले प्लेयर नहीं है। इस पर वोडाफोन के वकील रोहतगी ने जबाव दिया - सबसे बड़ा प्लेयर तो कोर्ट है। इस पर जज ने कहा - नहीं, हम तो रेफरी हैं।

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