यूक्रेन युद्ध के पहले रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार था ईयू
यूक्रेन युद्ध की वजह से ईयू ने लगाई थी रूस से तेल की आपूर्ति
रूस ने यूरोप को छोड़ तेल का निर्यात भारत और चीन की ओर मोड़ा
इस तरह अनेक कोशिशों के बाद भी बाधित नहीं हुई आपूर्ति श्रृंखला
राज एक्सप्रेस। रूस के उप-प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने बताया कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने अपने शिपमेंट को पूर्व की ओर मोड़कर अपने तेल निर्यात के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों पर काफी हद तक काबू पा लिया है। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन पर हमले से पहले तक यूरोपीय संघ रूसी कच्चे तेल और तेल उत्पादों का सबसे बड़ा खरीदार था। हालाँकि, यूरोपीय यूनियन ने पिछले साल 5 दिसंबर से रूसी कच्चे तेल और तेल उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया था। वजह यह थी कि ईयू यूक्रेन के साथ युद्धरत रूस दबाव बनाने के लिए उसके वित्तीय संसाधनों को सीमित करना चाहता था। यूरोपीय सामरिक रणनीतिकारों का मानना था कि ऐसा करने से मास्को वित्तीय दबाव में आ जाएगा। सीमित वित्तीय संसाधनों के बीच उसके सामने पीछे हटने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं रह जाएगा।
रूस के उप-प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने एक रूसी टेलीविजन चैनल से बातचीत में बताया कि इस साल, रूसी तेल और पेट्रोलियम निर्यात में यूरोप की हिस्सेदारी घटकर केवल 4 फीसदी से 5 फीसदी रह गई है। नोवाक ने बताया रूस ने प्रतिबंध लगने के तुरंत बाद अपनी आपूर्ति की दिशा भारत और चीन की ओर बदल कर इसके प्रभावों को काफी कुछ सीमित कर दिया है। ऐसा करने से यूरोपीय यूनियन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का असर खत्म हो गया और हमारा निर्यात पूर्ववत जारी रहा। इस दौरान रूस के लिए भारत एक प्रमुख एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन के रूप में सामने आया।
नोवाक ने कहा कि पहले भारत को वस्तुतः निर्यात नहीं किया जाता था। पिछले दो सालों की अवधि में भारत को किया जाने वाला निर्यात का कुल हिस्सा बढ़कर लगभग 40% हो गया। तुलनात्मक रूप से, पिछले साल ऐसे निर्यात में रूसी तेल और तेल उत्पादों में चीन की हिस्सेदारी 50% तक थी। नोवाक ने कहा कि अब स्थिति यह है कि लैटिन अमेरिका और अफ्रीका जैसे कई देशों ने रूस से ऊर्जा खरीदने में रुचि दिखाई है। रूस को उम्मीद है कि इस साल उसके तेल और गैस से आने वाला राजस्व 9 ट्रिलियन रूबल या लगभग 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
हालांकि, यह 2022 में अर्जित कुल राजस्व 11.6 ट्रिलियन रूबल से काफी कम है। राजस्व में यह गिरावट कच्चे तेल के दामों में गिरावट की वजह से आई है। सरकारी मीडिया एजेंसी तास के अनुसार, रूसी उप प्रधानमंत्री नोवाक ने पश्चिमी प्रतिबंधों पर पलटवार करते हुए उन्हें पूरी तरह से अवैध करार दिया है। नोवाक ने कहा पिछले सालों में प्रतिबंधों से निपटने में रूस का अनुभव साबित करता है कि वह इस तरह के व्यापार प्रतिबंधों पर अपने स्तर पर काबू पाने में पूरी तरह से सक्षम है।
रूस का अपने ऊर्जा भंडार के निर्यात को यूरोप के स्थान पर भारत की ओर मोड़ने की वजह से ही तमाम प्रतिबंधों के बाद भी यूक्रेन के साथ युद्ध को 22 वें माह तक खींचने में सफल रहा है। रूस की अर्थव्यवस्था अब तक लचीली दिखाई दे रही है। रूस ने इस साल की तीसरी तिमाही में 5.5 फीसदी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर्ज की है। हालाँकि, रूस द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आर्थिक आँकड़ों को सत्यापित कर पाना संभव नहीं है। रिपोर्ट बताती है कि देश की अधिकांश वृद्धि बड़े पैमाने पर सैन्य और सरकारी खर्च की वजह से है।
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