Amit Varman
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डाबर की रेलिगेयर के अधिग्रहण की योजना का कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों ने किया मुखर विरोध

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड के स्वतंत्र निदेशकों ने आरबीआई, सेबी व बीमा नियामकों से डाबर के बर्मन्स के खिलाफ धोखाधड़ी समेत कई अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं।
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हाईलाइट्स

  • स्वतंत्र निदेशकों ने आरबीआई, सेबी और बीमा नियामकों को पत्र लिख कर की शिकायतें

  • डाबर के बर्मन्स के खिलाफ धोखाधड़ी समेत कई अनियमितताओं के आरोप लगाए

  • बर्मन्स ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, कहा यह हैरानी में डालने वाली कार्रवाई

राज एक्सप्रेस। रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) के स्वतंत्र निदेशकों ने आरबीआई, सेबी और बीमा नियामकों को पत्र लिखकर डाबर के बर्मन्स के खिलाफ धोखाधड़ी समेत कई अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं। उल्लेखनीय है कि डाबर के प्रमोटर्स ने कंपनी का नियंत्रण पाने के लिए सितंबर में एक खुली पेशकश की थी। डाबर के बर्मन्स की इस पहल ने एक ऐसे व्यवसाय पर लंबे समय तक चलने वाली संभावित अधिग्रहण की लड़ाई के लिए मंच तैयार कर दिया, जिसके पास उधार देने, बीमा बेचने और शेयर बाजार में मध्यस्थ के रूप में काम करने के लिए वैध लाइसेंस हैं।

बर्मन्स ने कहा सभी आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद

दूसरी ओर बर्मन्स ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है। बर्मन परिवार के प्रवक्ता ने इस पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि हम इन आरोपों से हैरान और निराश हैं। उन्होंने कहा कि ये आरोप झूठे, तुच्छ और अपमानजनक हैं। उन्होंने कहा यह आरोप एक अनाम आरईएल कार्यकारी द्वारा किए गए व्यापार की ओर से ध्यान हटाने के लिए है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आरईएल से 18 अक्टूबर के पत्र में लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए सबूत और दस्तावेज की मांग की हैं। सेबी ने पत्र में लगाए गए आरोपों पर ओपन ऑफर मैनेजर जेएम फाइनेंशियल से भी जवाब मांगा है। जेएम फाइनेंशियल ने भी मिलीभगत और अनियमितताओं के आरोप से इनकार किया है।

बर्मन परिवार ने इस तरह बढ़ाई कंपनी में हिस्सेदारी

एफएमसीजी मेजर डाबर के प्रवर्तक अरबपति बर्मन परिवार ने विभिन्न माध्यमों से अगस्त तक आरईएल में 21.5% हिस्सेदारी हासिल कर ली थी। सितंबर में, कंपनी ने 5.27% और हिस्सेदारी खरीदी, इसके बाद पब्लिक ऑफर के माध्यम से अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक अनिवार्य खुली पेशकश शुरू हुई। इसके लिए सेबी की मंजूरी जरूरी है। स्वतंत्र निदेशकों ने अपने पत्र में इस मुद्दे को व्यापक बनाने की मांग की है, जिसमें विनियमित व्यवसायों में काम करने वाली कंपनियों के आरईएल के स्वामित्व पर प्रकाश डाला गया है और तर्क दिया गया है कि व्यवसाय हासिल करने की इच्छुक पार्टी की भी "फिट और उचित" मानदंडों के लिहाज से जांच की जानी चाहिए, जैसी कि इन सेगमेंट्स में लाइसेंस धारकों पर लागू होता है।

चार तरह के कारोबारों में काम करती है रेलिगेयर

उल्लेखनीय है कि आरईएल चार तरह के व्यवसायों में काम करती है। रेलिगेयर फिनवेस्ट छोटे व्यवसायों के लिए ऋणदाता के रूप में काम करता है, केयर हेल्थ इंश्योरेंस एक स्वास्थ्य बीमा प्रदाता कंपनी है, रेलिगेयर हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प होम लोन प्रदान करता है जबकि रेलिगेयर ब्रोकिंग एक स्टॉक ब्रोकरेज है। आरईएल की स्थापना और नियंत्रण 2018 तक रैनबैक्सी और फोर्टिस के सिंह बंधुओं - मालविंदर और शिविंदर द्वारा किया जाता था, जिन्हें अपनी कंपनियों से धन निकालने से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में जेल की सजा काटनी पड़ी थी। ऋणदाताओं द्वारा गिरवी रखे जाने के कारण उन्होंने आरईएल पर नियंत्रण खो दिया था। कंपनी को सुरक्षा प्रदान करने और निकाले गए धन की वसूली के लिए स्वतंत्र निदेशकों वाला एक बोर्ड बनाया गया था।

स्वतंत्र निदेशकों ने कहा नियमों की अनदेखी की जा रही

कार्यकारी अध्यक्ष रश्मी सलूजा के नेतृत्व में बोर्ड ने सफलतापूर्वक काम किया और बाजार ने भी अनुकूल प्रतिक्रिया की । इस समय शेयर 1,085% ऊपर हैं, जो 31 मार्च, 2020 को 19.05 रुपये से बढ़कर बुधवार को बंद होने पर 225.81 रुपये हो गए। कंपनी का वर्तमान में बाजार पूंजीकरण 7,415 करोड़ रुपये है। लेकिन अब बोर्ड कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक - बर्मन परिवार के खिलाफ हो गया है। आरईएल के स्वतंत्र निदेशकों ने आरोप लगाया है कि बर्मन नियामक दायित्वों का उल्लंघन कर रहे हैं जिससे कंपनी को नुकसान हो सकता है। छह सदस्यीय बोर्ड में से पांच स्वतंत्र हैं। ये हैं मलय कुमार सिन्हा, हामिद अहमद, प्रवीण कुमार त्रिपाठी, रंजन द्विवेदी और प्रीति मदान। बोर्ड का नेतृत्व कार्यकारी अध्यक्ष रश्मी सलूजा करती हैं।

अमित बताएं अधिग्रहण के लिए धन कहां से आया

सेबी चेयरपर्सन को लिखे पत्र में आरबीआई गवर्नर के साथ-साथ भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण के प्रमुख सहित अन्य को भी किया गया है। इस मामले से जुड़े एक करीबी व्यक्ति ने कहा चूंकि यह (आरईएल) एक एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी) है, इसलिए इसे आरबीआई की मंजूरी की जरूरत है। इसकी एक बीमा शाखा है, इसलिए आईआरडीएआई की मंजूरी भी जरूरी है। उन्होंने लिखा खुली पेशकश को मंजूरी देने से पहले सेबी सभी हितधारकों के विचारों को भी सुनेगी। पत्र में आरोप लगाया गया है कि पूर्व मालिकों सिंह बंधुओं के साथ मिलीभगत है। यह भी बताया गया है कि डाबर इंडिया के अध्यक्ष मोहित बर्मन के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला अदालत में लंबित है। उनसे यह भी पूछा जाना चाहिए कि अधिग्रहण के लिए उपयोग किए जाने वाले धन का स्रोत बताने की भी मांग की गई है।

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