आरबीआई अप्रैल में कर सकता है रेपो रेट में बढ़ोतरी, बैंकों से कर्ज लेने वालों को सिर्फ 2 माह की ही मिली है राहत
राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों से कर्ज लेने वालों को बड़ी राहत दी है। केंद्रीय बैंक की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने रेपो रेट में लगातार छह बार बढ़ोतरी के बाद इस बार कोई बढ़ोतरी नहीं की है। आरबीआई पिछले साल मई से रेपो रेट में 6 बार बढ़ोतरी कर चुका है। इस दौरान रेपो रेट चार फीसदी से 6.5 फीसदी पहुंच चुकी है। माना जा रहा था कि सातवीं बार भी रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की जाएगी, आरबीआई ने इन अनुमानों के उलट रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि यह बैंकों से कर्ज लेने वालों के लिए अस्थाई राहत है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ किया है कि यह एक अस्थाई ठहराव है। आने वाले दिनों में फिर से रेपो रेट में बढ़ोतरी हो सकती है। एमपीसी की अगली बैठक जून के पहले हफ्ते में होने वाली है। संभव है अगली बैठक में रिजर्व बैंक रेपो दर में बढ़ोतरी का निर्णय ले ले।
जानिए, आरबीआई ने क्यों नहीं बढ़ाई रेपो दर
माना जा रहा है कि आरबीआई ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात और भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी स्थिति को देखते हुए रेपो दर में बढ़ोतरी नहीं करने का निर्णय लिया है। फिलवक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत बेहतर स्थिति में है। भारत के सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा रहा है। डॉलर के मुकाबले गिरने के बाद भी रुपया स्थिर है। देश का बैंकिंग सेक्टर भी बेहतर और मजबूत बना हुआ है। हालांकि, महंगाई पर चिंता जताते हुए आरबीआई ने कहा था कि अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला सिर्फ अप्रैल पॉलिसी के लिए है। आने वाले दिनों में स्थिति को देखते हुए फैसला लिया जाएगा। यानी बातों-बातों में आरबीआई ने यह संकेत दे दिया है लोगों की खुशी बहुत दिनों की नहीं है। दो महीने बाद आरबीआई एक बार फिर रेपो रेट बढ़ा सकता है।
आखिर क्या होती है रेपो दर, कैसे करती है प्रभावित
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है। इसके बढ़ने से बैंकों के लिए लागत बढ़ जाती है और वे इसका बोझ ग्राहकों पर डालते हैं। इससे होम लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं। जब होम लोन सस्ता था तो लोगों ने इसका फायदा उठाते हुए मकान या फ्लैट खरीदे थे, लेकिन अब उनके लिए किस्त चुकाना भारी पड़ रहा है। पिछले एक साल से भी कम समय में होम लोन का इंटरेस्ट रेट 6.7 फीसदी से बढ़ाकर 9.25 फीसदी से भी ऊपर पहुंच गया है। आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने से बैंकों ने होम लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे कर दिए हैं। अमूमन रेपो रेट बढ़ने पर बैंक अपने ग्राहकों की किस्त बढ़ाने की जगह लोन की अवधि बढ़ा देते हैं। रेपो रेट में बढ़ोतरी से ग्राहकों के लोन का टेन्योर काफी बढ़ गया है और कई लोगों को अपने रिटायरमेंट के बाद भी कई सालों तक किस्त चुकानी पड़ेगी।
उदाहरण से समझिए कैसे पड़ेगा इसका असर
अगर यह बात आपकी समझ में नहीं आई है, तो इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास कीजिए। उदाहरण के लिए अगर आपने अप्रैल 2019 में 50 लाख रुपये का ब्याज 6.7 फीसदी के रेट पर लिया था, तो उसका लोन मार्च, 2039 में खत्म हो जाता। लेकिन रेपो दर बढ़ने से अब चूंकि उसका रेट 9.25 फीसदी पहुंच चुका है। इस हिसाब से होम लोन नवंबर 2050 में खत्म होगा यानी उसे ओरिजिनल से 132 किस्तें ज्यादा देनी होगी। यानी उसे ओरजिनल टेन्योर से 11 साल ज्यादा किस्त चुकानी पड़ेगी। जब कभी ब्याज दर में बढ़ोतरी होती है, तो बैंक अमूमन आपकी किस्त नहीं बढ़ाते हैं। वे हर महीने जमा होने वाली ईएमआई में कोई बदलाव नहीं करते हैं, बल्कि चुपके से लोन की अवधि बढ़ा देते हैं। हालांकि आप बैंक जाकर अपनी किस्त बढ़ाने का विकल्प चुन सकते हैं। अगर आप इस ऑप्शन को चुनते हैं, तो इससे आपकी मासिक किस्त बढ़ जाएगी, लेकिन आपका मूलधन कम होगा और लोन पर चुकाने वाला कुल ब्याज भी कम होगा। इससे आपका लोन जल्दी खत्म हो जाएगा।
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