2034 तक देश की जीडीपी का आकार 10.3 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा
इस अवधि तक 1.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा रियल एस्टेट बाजार
जीडीपी में रियल एस्टेट की हिस्सेदारी 10.5% के आसपास हो जाएगी
राज एक्सप्रेस । औद्योगिक संगठन सीआईआई और नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास हो रहा है। इसके समानांतर देश का रियल एस्टेट सेक्टर भी तेजी से विकास कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 10 सालों में देश की आबादी में वृद्धि के साथ-साथ शहरों की ओर पलायन भी बढ़ जाएगा। शहरों की ओर पलायन होने से रियल एस्टेट सेक्टर का तेज विकास होगा। इस दौरान करीब 7.8 करोड़ नए मकानों की जरूरत पड़ेगी।
आवासीय मकानों के साथ-साथ ऑफिस स्पेस और विनिर्माण इकाई लगाने के लिए भूमि और वेयरहाउस की जरूरत में बढ़ोतरी होगी। सीआईआई और नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2034 तक देश की जीडीपी का आकार 10.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसमें रियल इस्टेट सेक्टर का योगदान 1.5 ट्रिलियन डॉलर के आसपास होगा। जीडीपी में रियल एस्टेट की हिस्सेदारी 10.5 प्रतिशत के आसपास हो जाएगी। रियल एस्टेट सेक्टर का आकार 2023 में 482 अरब डॉलर का था।
वर्ष 2034 तक देश की आबादी 1.55 अरब पहुंचने की उम्मीद है। इस अवधि तक अनुमान के मुताबिक 42.5 प्रतिशत लोग शहर में रहने लगेंगे। इस मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त रूप से 7.8 करोड़ मकानों की जरूरत होगी। इस दौरान टियर-2 और टियर-3 शहरों का भी भी तेज विकास होगा। इन शहरों में भी नए मकानों की मांग तेजी से निकलेगी। वर्ष 2034 तक रियल एस्टेट के आवासीय सेक्टर का बाजार आकार 906 अरब डॉलर हो जाएगा।
रियल एस्टेट सेक्टर के आफिस सेक्टर का आकार बढ़कर 125 अरब डॉलर का हो जाएगा। जिस गति से देश की अर्थव्यवस्था विकास कर रही है, उसे देखते हुए साल 2034 तक ऑफिस स्पेस के रूप में 2.7 अरब वर्ग फुट स्थान की जरूरत पड़ेगी। आंकड़ों के अनुसार इस साल जनवरी से मार्च के बीच देश के 8 प्रमुख शहरों में मकानों की बिक्री में पिछले साल की तुलना में 68 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली। इस साल आठ बड़े शहरों में 1.10 लाख करोड़ मूल्य के मकान की बिक्री हुई, जबकि पिछले साल जनवरी-मार्च में यह बिक्री 66,155 करोड़ रुपये की थी।
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