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आरबीआई ने इंटरबैंक कॉल मनी मार्केट में होलसेल डिजिटल ई-रुपी प्रायोगिक परीक्षण प्रोजेक्ट शुरू किया

आरबीआई ने इंटरबैंक कॉल मनी मार्केट में होलसेल डिजिटल रुपये के लिए प्रायोगिक परीक्षण की परियोजना शुरू कर दी है।
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हाईलाइट्स

  • इस ई-रुपी कॉल मनी प्रायोगिक परियोजना में हिस्सा ले रहे हैं देश के नौ बैंक

  • इनमें से चार सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख बैंक हैं, जबकि 5 निजी क्षेत्र के बैंक हैं

राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को इंटरबैंक कॉल मनी मार्केट में होलसेल डिजिटल रुपये के लिए प्रायोगिक परीक्षण की परियोजना शुरू कर दी है। देश के नौ बैंक इस ई-रुपी कॉल मनी प्रायोगिक परियोजना में हिस्सा ले रहे हैं। उनमें से चार सार्वजनिक क्षेत्र बैंक हैं जबकि 5 निजी क्षेत्र के बैंक हैं। सरकार के स्वामित्व वाले एक बैंक के डीलर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मंगलवार से शुरू हुई इस परियोजना में चार पीएसयू बैंक और पांच प्राइवेट बैंक हिस्सा ले रहे हैं। हम फिलहाल इसके आकार पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। हमारा ध्यान मुख्य रूप से इसके तकनीकी पहलुओं के परीक्षण पर है।

टी+0 मोड में होंगे ये निपटान

कॉल मनी मार्केट में, बैंक अल्पावधि उधारी और ऋण गतिविधियों में शामिल होते हैं तथा इनमें ब्याज दरें मौजूदा बाजार हालात के हिसाब से तय की जाती हैं। ई-रुपी पायलट परियोजना के लिए परिचालन प्रक्रिया, निपटान को छोड़कर समान बनी हुई है जिसे अब क्लियरिंग कॉर्प ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) पर होने वाले कारोबार में इस्तेमाल ‘रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट’ के बजाय केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल कर पूरा किया जाएगा। डीलरों ने बताया कि ये निपटान टी+0 मोड में होंगे।

इस प्रोजेक्ट का कॉल मनी मार्केट पर नहीं पड़ेगा प्रभाव

इसका मतलब है कि कारोबार उसी दिन निपट जाएगा। निजी बैंक के एक डीलर ने कहा इस पायलट परियोजना से कॉल मनी मार्केट पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। इससे भंडारण लागत और कुछ कर लाभ जैसे अन्य लाभ भी मिल सकते हैं। वृद्धिशील नकदी आरक्षी अनुपात (आई-सीआरआर) की घोषणा के बाद, 10 अगस्त से भारित औसत कॉल दर काफी हद तक रेपो दर से ऊपर बनी हुई है। वेटेड औसत कॉल दर गुरुवार को 6.72 प्रतिशत पर थी, जो बुधवार के स्तर के लगभग नजदीक है।

पिछले साल नवंबर में हुई थी इसकी शुरुआत

इस समय रेपो दर 6.5 प्रतिशत है। आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अजय कुमार चौधरी ने कुछ दिन पहले कहा था कि केंद्रीय बैंक अक्टूबर तक होलसेल डिजिटल रुपी पायलट परियोजना शुरू कर सकता है। ज्ञात हो कि अजय कुमार चौधरी आरबीआई में फिनटेक विभाग के प्रभारी हैं। उल्लेखनीय है कि होलसेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को डिजिटल रुपी-होलसेल (ई-डब्ल्यू) के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत पिछले साल नवंबर में सरकारी प्रतिभूति बाजार के लिए की गई थी।

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