राकेश झुनझुनवाला
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मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे गए राकेश झुनझुनवाला, राकेश झुनझुनवाला की सफलता की कहानी

आज राकेश झुनझुनवाला हमारे बीच इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य हर किसी को याद हैं और उसी के चलते उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
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राज एक्सप्रेस। पिछले साल तक भारत के शेयर मार्केट में एक नाम जो हर कोई जनता था वो भारत के वॉरेन बफे के नाम से जाने वाले भारत के नामी ग्रामी निवेशक और शेयर बिजनेसमैन 'राकेश झुनझुनवाला' का ही था। शेयर मार्केट में उनके नाम का सिक्का चलता था। आज वो हमारे बीच इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य हर किसी को याद हैं और उसी के चलते उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

राकेश झुनझुनवाला को मिला पद्मश्री पुरस्कार :

बड़े अरबपति निवेशक और स्टॉक मार्केट के ट्रेडर के तौर पर जाने जाने वाले दिवंगत बिजनेसमैन राकेश झुनझुनवाला को देश के शेयर मार्केट के बिग बुल के तौर पर भी पहचान मिली थी। वह एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) थे। पिछले साल 14 अगस्त 2022 को 62 साल की आयु में उनका निधन हो गया थाै। उनकी रूचि कॉलेज के समयसे से ही शेयर मार्केट में हुआ करती थी और उनकी इसी रूचि ने उन्हें शेयर मार्केट को उनका प्रोफेशन बना दिया। वहीँ, अब उनकी मौत के बाद उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हालांकि, उनकी अनुपस्थिति में उनके स्थान पर यह सम्मान उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला में लिया। बता दें, राकेश झुनझुनवाला की तरह ही उनकी पत्नी को भी शेयर मार्केट में काफी इंटरेस्ट रहा है।

राकेश झुनझुनवाला की सफलता की कहानी :

बताते चलें, राकेश झुनझुनवाला का जन्म 5 जुलाई 1960 को हुआ था। उनके पिता राधेश्याम झुनझुनवाला पेशे से एक आयकर विभाग में अधिकारी थे। वह भी शेयर बाजार में पैसा लगाया करते थे। अपने पिता को देख कर राकेश झुनझुनवाला को भी शेयर मार्केट में निवेश करने में रूचि आने लगी। जब उन्होंने यह बात अपने पिता जी से कही तो उन्होंने बेटे राकेश को साफ-साफ कह दिया कि, अगर शेयर बाजार में पैसा लगाना है तो, खुद पैसा कमाओ। उनके पिता ने अपने दोस्तों या किसी से उधार लेने से भी मना कर दिया था। इसके बाद क्या था राकेश झुनझुनवाला को निवेश करने का चस्का तो था ही, जिससे उन्होंने रास्ता निकला। राकेश झुनझुनवाला ने अपने भाई के एक क्लाइंट को मुनाफा दिलाने की बात कह कर पांच हजार रुपये लिए और उसे साल 1985 में शेयर मार्केट में लगाया। बस यहीं से राकेश झुनझुनवाला के सफलता के सफ़र की कहानी शुरू हुई और फिर वह कभी नहीं रुके। हालांकि, कई बार शेयर मार्केट में उतार-चड़ाव देखने को मिला, लेकिन वह अपने अंतिम समय तक शेयर मार्केट से जुड़े रहे।

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