हाइलाइट्स :
रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ने जांच में किया ई-टिकट बुकिंग रैकेट का खुलासा
ई-टिकट की बुकिंग के काले धंधे से कमाते थे 10 से 15 करोड़ रुपये तक महीना
मामले की जांच में कर्नाटक पुलिस के अलावा आईबी, एनआईए, रॉ, ईडी भी कर रही
रैकेट का मास्टर माइंड साल 2016 में भी हो चुका है गिरफ्तार
राज एक्सप्रेस। ऑनलाइन के इस दौर में लगभग लोग ट्रेन के लिए ई-टिकट ही बुक करते हैं, लेकिन क्या अपने सोचा है कभी कि, इसका कितना पैसा रेलवे के पास जाता है और कितना दलालों के पास। वहीं, अब रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) ने ई-टिकट की बुकिंग करने वाले दलालों के रैकेट का बहुत बड़ा खुलासा किया है। दलालों का यह रैकेट मात्र रेलवे की ई-टिकटिंग की गैरकानूनी बुकिंग के धंधे से लगभग 10 से 15 करोड़ रुपये तक महीना कमा रहे थे और रेलवे को धोखा दे रहे थे।
कैसे हुआ खुलासा :
रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) ने शक के आधार पर ही भारत के कई शहरों में ई-टिकट की बुकिंग करने वाले दलालों पर छापामारी की। जिससे एक बहुत बड़े रैकेट का खुलासा हुआ। खुलासे में सामने आया कि, यह पूरे दलाल ई-टिकट की बुकिंग करने का काम ब्लैक में करते थे और इसका धंधा चला रहे थे। फ़ोर्स ने इस मामले से जुड़े 27 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनसे पूछताछ के बाद एक और बहुत बड़ी बात सामने आई है।
यह बात आई सामने :
पूछताछ से पता चला कि, इन दलालों के रैकेट के तार टेरर फाइनेंसिंग से जुड़े पाए गए। इसके अलावा यह लोग रेलवे की आँखों में धूल झोंक कर मात्र ई-टिकटिंग की बुकिंग के काले धंधे से हर महीने 10 से 15 करोड़ रुपये कमा रहे थे। यह रैकेट इन पैसों को बिटकॉइन (Bitcoin) में बदल लेते थे। इस मामले में 10 दिन पहले एक गुलाम मुस्तफा नाम का एक व्यक्ति बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था, जो ई-टिकट बनाने और कन्फर्म करने वाले सॉफ्टवेयर की बिक्री करता था। RPF ने मुस्तफा के पास से एक लेपटॉप भी जब्त किया था। जिससे बहुत सी अंदरूनी जानकारी प्राप्त करने में मदद मिली।
लैपटॉप की जांच से सामने आया :
जब फ़ोर्स ने लेपटॉप की जांच की तब गुलाम मुस्तफा के तार पाकिस्तान, बांग्लादेश, मिडिल ईस्ट और नेपाल तक से जुड़े पाए गए। अब फ़ोर्स के अलावा IB, NIA, RAW, ED और कर्नाटक की पुलिस इस मामले और गुलाम मुस्तफा से जुड़े तारों की जाँच कर रही है। उन्हें शंका है कि, मुस्तफा का टेरर लिंक से कोई कनेक्शन निकल सकता है, क्योंकि मुस्तफा पाकिस्तान के एक समूह तबलीग-ए-जमात को फॉलो करता है। उसके लेपटॉप के अलावा मोबाइल फोन में भी इन देशों से जुड़े लोगों के नंबर मिले हैं। मुस्तफा का इन लोगों से लगातार संपर्क होता था।
रैकेट का मास्टरमाइंड :
गुलाम मुस्तफा से हुई पूछताछ से सामने आया कि, वो झारखंड के गिरिडीह का रहने वाला है, वो पहले वहीं रेलवे काउंटर पर ब्लैक में टिकिट बेचा करता था। बाद में वो ई-टिकट बनाने और कन्फर्म करने वाले सॉफ्टवेयर की बिक्री करने लगा। जब मुस्तफा का संपर्क इस पूरे रैकेट के मास्टरमाइंड हामिद अशरफ से हुआ, तब से वो भी इस रैकेट से जुड़ गया। याद दिलाते चलें कि, हामिद अशरफ को साल 2016 में CBI द्वारा ई-टिकट के सॉफ्टवेयर बेचने के मामले में ही गिरफ्तार किया गया था, जो बेल मिलने पर दुबई भाग गया था। इतना ही नहीं मास्टरमाइंड हामिद अशरफ का नाम गोंडा के एक स्कूल में हुए बम धमाके से भी जुड़ा था।
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