QES: जुलाई-सितंबर तिमाही में 9 प्रमुख क्षेत्रों में रोजगार बढ़ा

QES के दूसरे दौर की रिपोर्ट में भी महिला श्रमिकों के योगदान में 32.1 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि पहले दौर में 29.3% की वृद्धि दर्ज की गई थी।
भारत के रोजगार में हुई वृद्धि : QES
भारत के रोजगार में हुई वृद्धि : QESNeelesh Singh Thakur – RE
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हाइलाइट्स

  • सरकार ने दी खुशखबरी

  • देश के रोजगार में हुई वृद्धि

  • महिला रोजगार प्रतिशत में सुधार

राज एक्सप्रेस। क्वाटर्ली एम्पलॉयमेंट सर्वे (QES/क्यूईएस) अर्थात भारत के तिमाही रोजगार सर्वेक्षण में नौ चयनित क्षेत्रों के लिए जून के तीन महीनों की तुलना में भारत के औपचारिक क्षेत्र से जुड़े रोजगार में जुलाई से सितंबर 2021 की तिमाही में 2 लाख तक रोजगार की वृद्धि हुई।

विनिर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य और आईटी/बीपीओ क्षेत्र सहित नौ प्रमुख क्षेत्रों में नौकरियों में अनुमानित तौर पर कुल 3.10 करोड़ रोजगार की वृद्धि हुई।

गौरतलब है कि; जुलाई और सितंबर 2021 के बीच कोविड -19 महामारी कुछ हद तक कम होने से राज्यों में प्रतिबंध हटा दिए गए थे। मूल्यांकन किए गए अन्य क्षेत्र परिवहन, व्यापार, निर्माण, आवास और रेस्तरां, स्वास्थ्य और वित्तीय सेवाओं से संबंधित हैं।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सर्वाधिक –

रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र ने अधिकतम वृद्धि दर्ज की और अब इसमें कुल रोजगार का 39.1% हिस्सा है। इसके बाद शिक्षा 22% और स्वास्थ्य 10.8 फीसदी है।

पिछले साल का सर्वे -

पिछले साल सितंबर में जारी सर्वेक्षण के पहले दौर में, इन क्षेत्रों में रोजगार 2013-14 में छठी आर्थिक जनगणना में रिपोर्ट किए गए 2.37 करोड़ की तुलना में 2021-22 की पहली तिमाही में 29% बढ़कर 3.08 करोड़ हो गया था।

महिला श्रम योगदान में वृद्धि -

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा सोमवार को जारी क्यूईएस (QES) के दूसरे दौर की रिपोर्ट में भी महिला श्रमिकों के योगदान में 32.1 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि क्यूईएस के पहले दौर में 29.3% की वृद्धि दर्ज की गई थी।

नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग करके साक्ष्य आधारित नीति पर सरकार की अवधारणा को मजबूत करने के लिए सर्वेक्षण की योजना बनाई गई है।

मंत्रालय ने बताया कि, नौ चयनित क्षेत्रों में नियमित श्रमिकों का योगदान अनुमानित कार्यबल का 87% हिस्सा है, जिसमें केवल 2% कैजुअल कर्मचारी हैं। जबकि निर्माण क्षेत्र में 20% श्रमिक संविदा पर थे और 6.4% कैजुअल वर्कर थे।

यादव ने कहा कि सरकार ने पहले रोजगार क्षेत्र के आंकड़े प्राप्त करने के लिए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस/PLFS) का इस्तेमाल किया था।

हालांकि, जबकि पीएलएफएस ने केवल श्रम बाजार के बारे में आपूर्ति पक्ष की जानकारी का संकेत दिया था, क्यूईएस (QES) अब मांग पक्ष सहित रोजगार की स्थिति की एक समग्र तस्वीर पेश कर रहा है।

“क्यूईएस नियमित अंतराल पर मांग पक्ष से रोजगार का एक समेकित दृष्टिकोण देता है। यह डेटा सरकार को साक्ष्य-आधारित नीति बनाने में मदद करेगा।”
भूपेंद्र यादव, केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री

दूसरे दौर में नौ चयनित गैर-कृषि क्षेत्रों में अनुमानित कार्यबल मेे 87 प्रतिशत नियमित श्रमिकों को दिखाया गया, जिसमें आकस्मिक श्रमिकों की श्रेणी में योगदान केवल 2% था। निर्माण क्षेत्र में, यह संख्या अधिक है, 20% श्रमिक संविदात्मक हैं और 6.4% आकस्मिक श्रमिक हैं।

सर्वेक्षण ने यह भी सुझाव दिया कि 98.3% प्रतिष्ठान घरों के बाहर स्थित थे, हालांकि आवास और रेस्तरां क्षेत्र में 5.1% इकाइयां घरों के भीतर से संचालित होती पाई गईं।

कर्मचारियों का प्रतिशत -

महत्वपूर्ण रूप से, क्यूईएस ने संकेत दिया कि सर्वेक्षण किए गए 90% प्रतिष्ठानों में 100 से कम कर्मचारी थे। आईटी/बीपीओ क्षेत्र में लगभग 30% प्रतिष्ठानों में कम से कम 100 कर्मचारी थे। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े 19% प्रतिष्ठानों में 100 या अधिक कर्मचारी थे। परिवहन क्षेत्र में, 14% प्रतिष्ठान 100 या अधिक श्रमिकों के साथ काम कर रहे थे।

शिक्षा का प्रतिशत -

सर्वेक्षण में इन नौ क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता के बारे में भी परिणाम सामने आए।

आईटी/बीपीओ क्षेत्र में कार्यरत 91.6% स्नातक या उच्चतर शिक्षा प्राप्त थे, वित्तीय सेवाओं में लगभग 60% के पास कम से कम स्नातक की डिग्री थी।

नौ में से सात क्षेत्रों (शिक्षा और स्वास्थ्य को छोड़कर) में लगभग 28% लोगों के पास मैट्रिक या उससे कम का प्रमाण पत्र था। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य क्षेत्र में, 18% गैर-नैदानिक कर्मचारी मैट्रिक या उससे कम शिक्षित थे।

डिस्क्लेमर आर्टिकल मीडिया एवं एजेंसी रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त जानकारी जोड़ी गई हैं। इसमें प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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