सितंबर में 57.5 पर रहा पीएमआई, 5 माह के निचले स्तर पर पहुंची विनिर्माण सेक्टर से जुड़ी गतिविधियां
हाईलाइट्स
सितंबर में मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई दर गिरावट के साथ 57.5 पर आ गयी है, जो अगस्त माह में 58. 6 के स्तर पर थी।
विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि की रफ्तार कम जरूर हुई है, लेकिन इसमें ग्रोथ अब भी जारी है क्योंकि पीएमआई अब भी 50 से ऊपर बनी हुई है
राज एक्सप्रेस। भारत में सितंबर माह में विनिर्माण गतिविधियों में गिरावट देखने को मिली है। इस वजह से सितंबर में मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई दर गिरावट के साथ 57.5 पर आ गयी है, जो अगस्त माह में 58. 6 के स्तर पर थी। पीएमआई में गिरावट की नए ऑडर्स में कमी को प्रमुख वजह माना जा रहा है। गौर करने की बात है कि देश में विनिर्माण सेक्टर से जुड़ी गतिविधियां सितंबर में 5 माह के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। इसके पीछे की प्रमुख वजह नए ऑर्डर्स में कमी रही है। कहा जा रहा है कि इसकी वजह से विनिर्माण गतिविधियों मे कमी देखने में आई है। एसएंडपी ग्लोबल इंडिया की ओर से जारी किए गए सितंबर के आंकड़ों में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई गिरकर 57.5 के स्तर पर आ गई है, जबकि ये अगस्त में 58.6 के स्तर पर थी।
नए आर्डर्स नहीं मिलने की वजह से आई गिरावट
विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि की रफ्तार जरूर कम हुई है, लेकिन इसमें ग्रोथ अब भी जारी है। पीएमआई 50 से ऊपर बनी हुई है। जब भी पीएमआई 50 से ऊपर होती है तो इससे यह समझा जाता है कि मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के अर्थशास्त्र एसोसिएट निदेशक पोलियाना डी लीमा ने कहा कि भारत के मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री ने सितंबर में मंदी के हल्के संकेत दिखाए। इसके पीछे का कारण नए ऑडर्स में कमी आना है। इसकी वजह से उत्पादन में धीमापन आ गया है। उन्होंने कहा मांग और आपूर्ति में वृद्धि देखी गई है। कंपनियों को एशिया, यूरोप, नॉर्थ अमेरिका और मध्यपूर्व के ग्राहकों से नए आर्डर मिल रहे हैं।
हर माह महंगाई डेटा जारी करती है एसएंडपी ग्लोबल इंडिया
सर्वे में कहा गया है कि महंगाई में कमी आने से इनपुट मूल्य को नियंत्रित रखने में मदद मिली है। कम मूल्य पर उत्पादन की वजह से सप्लाई चेन को स्थिर रखने में मदद मिली है। हालांकि, अधिक लेबर कॉस्ट, बिजनेस में मांग अधिक होने के कारण उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हो गई है। एसएंडपी ग्लोबल इंडिया हर माह मैन्युफैक्चरिंग डेटा जारी करती है। यह डेटा 400 कंपनियों के पैनल से सवालों के आधार पर तैयार किया जाता है।
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