PM Modi and Biden
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अमेरिका के लिए रवाना हुए पीएम मोदी , प्रीडेटर ड्रोन, जेट इंजन और होवित्जर जैसे अहम समझौतों पर लगेगी मुहर

रूस-यूक्रेन युद्ध और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल से पैदा तनाव के बीच बीच पीएम मोदी अमेरिका की यात्रा पर रवाना हो गए हैं।
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राज एक्सप्रेस । रूस-यूक्रेन युद्ध और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के लगातार बढ़ते दखल के बीच बीच पीएम मोदी अमेरिका की यात्रा पर रवाना हो गए हैं। पीए मोदी की अमेरिका यात्रा कई दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी अमेरिका में 21 से 23 जून तक रहेंगे। इसके बाद 23 से 25 जून तक मिस्र की यात्रा पर जाएंगे। इस यात्रा में भारत और अमेरिका के बीच प्रतिरक्षा, स्पेस और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग के कई बेहद महत्वपूर्ण करारों पर मुहर लग सकती है। अमेरिका यात्रा के दौरान पीएम मोदी टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के अलावा अन्य प्रमुख अमेरिकी कारोबारियों से भी मुलाकात करेंगे। इस बातचीत में मस्क और प्रधानमंत्री के बीच भारत में टेस्ला की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने पर भी बातचीत हो सकती है।

साझा हितों से जुड़े मुद्दों पर होगी चर्चा

पीएम मोदी 21 से 23 जून तक अमेरिका प्रवास में ड्रोन, रक्षा-उत्पादन और विकास से जुड़ी औपचारिकताओं को पूरा करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच होने वाली चर्चाओं में साझा हितों से जुड़े हुए द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन के बीच होने वाली चर्चा रक्षा सह-उत्पादन और सह-विकास से जुड़े हुए तमाम बिंदुओं पर केंद्रित होगी। द्विपक्षीय रक्षा सहयोग का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा में प्रमुखता के साथ शामिल रहेगा। इसके अलावा मजबूत व्यापारिक रिश्तों को बढ़ाने पर भी बातचीत होगी। तकनीक का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया जाएगा। दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच टेलिकॉम, स्पेस, उभरती हुई चुनौतीपूर्ण तकनीक, मैन्युफैक्चरिंग और निवेश भी शामिल है।

अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन की खरीद पर लगेगी मुहर

रक्षा मंत्रालय ने पिछले हफ्ते अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन 31 एमक्यू-9बी की खरीद को हरी झंडी दे दी है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी इस इस यात्रा में प्रीडेटर ड्रोन खरीद की 3 बिलियन डॉलर की इस डील पर अंतिम मुहर लग जाएगी। अमेरिका का बेहद खतरनाक ड्रोन 1200 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखता है। तालिबान और आईएसआईएस के खिलाफ अमेरिका ने इन ड्रोन्स के जरिए अचूक हमले किए। भारत को अपनी लंबी समुद्री सीमा और थल सीमा की निगरानी के लिए भी इस ड्रोन की खास जरूरत थी।

ड्रोन डील से बढ़ेगी निगरानी

इस डील फाइनल होने के बाद भारतीय नेवी को 14 और सेना-वायुसेना को 8-8 ड्रोन मिलेंगे। चीन के साथ हिंद महासागर में चल रहे पावर गेम के लिहाज से ये ड्रोन भारत के लिए काफी उपयोगी साबित होंगे। हिंद महासागर में इनकी तैनाती से इंडियन नेवी को चीनी मंसूबों पर पानी फेरने में मदद मिलेगी। इनकी मदद से उनपर लगातार निगरानी रखने और बढ़-चढ़कर अपने मिशन को चलाने में मदद मिलेगी। राफेल विमानों के आने बाद एयर डिफेंस पावर को मजबूत बनाने के लिए भारत लगातार प्रयास कर रहा है। इस वक्त तेजस मार्क-2 के लिए नए इंजन की जरूरत है। पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान जीई एफ414 इंजिन का निर्माण भारत में होने पर मुहर लग जाएगी। इससे जेट इंजन भारत में बनने लगेगा। इसके लिए अमेरिका टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर सहमत हो गया है।

स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहन का साझा उत्पादन

इसके साथ ही, स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहन का साझा उत्पादन की स्थिति भी भारत के लिए महत्वपूर्ण है। स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहन, दुनिया की सबसे ताकतवर बख्तरबंद गाड़ियां मानी जाती हैं। अपने मोबाइल गन सिस्टम के साथ, 105 एमएम की तोप और एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस ये वाहन टैंकों को भी तबाह करने की ताकत रखते हैं। अमेरिका ने अपने सबसे शक्तिशाली स्ट्राइकर वाहन को भारत के साथ मिलकर बनाने का ऑफर दिया है। पीएम मोदी के इस दौरे पर इस डील पर भी मुहर लग जाएगी।

एम-777 लाइट होवित्जर का अपग्रेडेशन

भारत के पास इस वक्त एम-777 लाइट होवित्जर तोप हैं, जो लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक के पहाड़ी इलाकों में चीन का मुकाबला करने के लिए तैनात हैं। मोदी के अमेरिकी दौरे से पहले अमेरिका ने इसे अपग्रेड कर इसकी रेंज बढ़ाने का ऑफर दिया है। इससे इस तोप की मारक क्षमता बढ़ जाएगी। भारत चाहता है कि वह हवा से हवा में मार करने वाले अमेरिकी मिसाइल और लंबी रेंज वाले आर्टिलरी बम का निर्माण अपने देश में करे। माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच इस समझौते पर भी पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान मुहर लग जाएगी।

भारत के लिए क्यों हत्वपूर्ण हैं ये डिफेंस डील ?

भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ सालों में रक्षा संबंध बेहतर हुए हैं। जानकार इसकी वजह दोनों देशों के साझा हित मानते हैं। चीन हिंद महासागर क्षेत्र में आक्रामक रुख अपनाए हुए है। इसे लेकर अमेरिका के साथ उसका टकराव शुरू हो गया है। अमेरिका भारत को चीन का मजबूत प्रतिद्वंदी मानता है। दोनों देश ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिलकर क्वाड सुरक्षा समूह का भी हिस्सा हैं, जो चीन को कड़ा संदेश देता है। साथ ही मुक्त और निष्पक्ष हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। साथ ही चीन अक्सर अमेरिका पर हिंद महासागर में बीजिंग का मुकाबला करने के लिए एक मंच के रूप में क्वाड का इस्तेमाल करने का आरोप लगाता रहा है। दूसरी ओर अमेरिका भारत को रूसी हथियारों से दूर करने की कोशिश कर रहा है। उधर, भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हुई झड़प के बीच अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाया है। पीएम मोदी के इस दौरे में भारत-अमेरिका के बीच जो करार होने वाले हैं, वे दक्षिण एशिया में भारत को पावरहाउस बनाने में सहायक साबित होंगी।

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