पेट्रोलियम मंत्रालय ने CREA की भारत के कच्चे तेल के निर्यात वाली रिपोर्ट की खारिज, भारत पर लगा आरोप

हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई जिसके अनुसार भारत G-7 देशों को रूस के कच्चे तेल का निर्यात कर रहा था। हालांकि, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने CREA की रिपोर्ट की खारिज, भारत पर लगा आरोप
पेट्रोलियम मंत्रालय ने CREA की रिपोर्ट की खारिज, भारत पर लगा आरोपKavita Singh Rathore - RE
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राज एक्सप्रेस। भारत और रूस के रिश्ते किसी से नहीं छुपे हैं। दोनों ही देशों के बीच अच्छे संबंध होने के कारण आयात निर्यात होता रहता है। इसी कड़ी में रूस से भारत कच्चे तेल का आयात होता है। ऐसे में हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई जिसके अनुसार भारत G-7 देशों को रूस के कच्चे तेल का निर्यात कर रहा था। हालांकि, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया है।

मंत्रालय ने की रिपोर्ट खारिज :

दरअसल, हेलसिंकी स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में भारत पर आरोप लगाए गए थे कि, भारत का नाम ऐसे 5 देशों की लिस्ट में शुमार है, जो रूस से कच्चे तेल का आयात कर उसे रिफाइन करके यूरोपियन यूनियन और कुछ G-7 देशों को निर्यात करता है। हालांकि, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने CREA द्वारा जारी भारत की रूस से सस्ती कीमत पर कच्चे तेल की खरीद से संबंधित रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने ट्वीट कर लिखा कि ,

"सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर की रिपोर्ट, विश्व में चौथे सबसे बड़े तेल शोधक देश भारत की छवि को धूमिल करने का एक भ्रामक प्रयास है। यह वैश्विक स्तर पर आपूर्ति माँग की गतिशीलता और एक प्रमुख रिफाइंड प्रोडक्ट के निर्यातक के तौर पर भारत के लंबे इतिहास की समझ की कमी को दर्शाता है।"

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय

CREA की रिपोर्ट :

हेलसिंकी स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) ने 1 मई को जारी रिपोर्ट में कहा था कि, 'भारत, चीन सहित शीर्ष उन पाँच देशों में शामिल है, जो सस्ते रूसी कच्चे तेल की खरीदी कर रहा है और इसे रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों में परिवर्तित कर यूरोप और जी G-7 देशों में निर्यात कर रहा है।

मंत्रालय का जवाब :

CREA की रिपोर्ट के जवाब में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कहा कि, "एक संप्रभु देश के रूप में, भारत अंतर्राष्ट्रीय कानून की शर्तों के तहत वस्तुओं का आयात या निर्यात करने के लिए स्वतंत्र है, और उसके वैध कारोबार को लॉन्ड्रोमैट (धुलाई की मशीन) कहने का तात्पर्य एक "अवैध" गतिविधि से है, जिस पर भारत कड़ी आपत्ति जताता है। रूस या अन्य स्थानों से 60 डॉलर प्रति बैरल से कम कच्चे तेल का आयात किसी भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध के तहत नहीं आता है। दुनिया भर में रिफाइनर से डीजल खरीदने पर 'गठबंधन देश' द्वारा कोई आत्म-प्रतिबंध भी नहीं लगाया है। 'व्हाइटवाश्ड आयल' जैसे शब्द का उपयोग करना कपट पूर्ण शरारत को दर्शाता है। भारत आयात के माध्यम से रूस सहित कई देशों से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, जो जगज़ाहिर है और न ही इसे लेकर भारत को कोई खेद है, जैसा कि विगत वर्ष के कई मंत्रिस्तरीय बयान स्पष्ट करते हैं।"

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