9 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 495.75 रुपये पर पहुंचा पेटीएम का स्टॉक
आरबीआई अफसरों और वित्तमंत्री से चर्चा के बाद सुधरा मार्केट सेंटीमेंट
विशेषज्ञों ने कहा इसमें निवेश फिलहाल जोखिमपूर्ण, दूसरे विकल्प खोजें
राज एक्सप्रेस। पेटीएम की मूल कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस के शेयरों में गिरावट का दौर थम गया है। कंपनी के शेयर बीएसई प्लेटफार्म पर 9% तक बढ़कर 495.75 रुपये तक जा पहुंचे हैं। कंपनी के सीईओ विजय शेखर शर्मा और आरबीआई के अधिकारियों तथा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बीच बैठक के बाद बाजार सेंटीमेंट में सुधार आया है। अब निवेशकों को लग रहा है कि वे किसी न किसी अनुकूल समाधान की ओर बढ़ने में सफल होंगे। इसी धारणा के बीच कंपनी के शेयरों में तेजी देखने को मिल रही है। इस स्थिति में शेयर बाजार के विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि फिलहाल इससे दूरी बनाने की जरूरत है। निवेशकों को मीडिया रिपोर्टों और कुछ एजेंसियों के सुझाव के आधार निवेश करना फिलहाल स्थगित रखना चाहिए।
पेटीएम की मूल कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस की रोलर-कोस्टर यात्रा (अत्यधिक परिवर्तनों से युक्त अनुभव) जारी है, कंपनी के शेयर बीएसई पर 9% तक बढ़कर 495.75 रुपये तक जा पहुंचे हैं। कंपनी के सीईओ विजय शेखर शर्मा, आरबीआई के अधिकारियों तथा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बीच बैठक के बाद मार्केट सेंटीमेंट में यह बदलाव देखने को मिला है। सुबह 10:58 बजे, वन 97 कम्युनिकेशंस के शेयर लगभग 40 रुपये या 8.66% की बढ़त के साथ 490.20 रुपये पर कारोबार ट्रेड करते दिखा था।
मनी-लॉन्ड्रिंग और केवाईसी उल्लंघनों की जांच की रिपोर्ट आने के बावजूद, पेटीएम के स्टॉक में आज तेजी देखने को मिली है। तीन दिनों की लगातार गिरावट की वजह से कंपनी के शेयर में 42% की गिरावट देखने को मिली है। लेकिन कल बाजार मे्ं कुछ सकारात्मक खबरें सामने आने के बाद शेयर 3% बढ़कर बंद हुए। वर्तमान तेजी की वजह से नियामक मुद्दों के बारे में निवेशकों की भावना और उन्हें संबोधित करने की पेटीएम की क्षमता शेयरों के पीछे की मुख्य ताकत बनी हुई है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक के दौरान, विजय शेखर शर्मा ने कथित तौर पर आरबीआई की चिंताओं पर कंपनी के रुख पर विस्तार से चर्चा की। जबकि, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चिह्नित गैर-अनुपालनों को संबोधित करने के लिए पेटीएम और आरबीआई के बीच बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया। इस दौरान विजय शेखर शर्मा ने 29 फरवरी की समय सीमा बढ़ाने की भी मांग की और आरबीआई की बैठक के दौरान नियामक अनुपालन को पूरा करने के प्रयासों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए एक योजना प्रस्तुत की।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मध्यप्रदेश प्रमुख विनोद बबेरवाल ने कहा कि पेटीएम फिलहाल आरबीआई के रडार पर है। ऐसी स्थिति में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और प्रमोटरों के बयानों को आधार बनाकर हम निवेश का निर्णय नहीं ले सकते। आपको याद होगा कि जब यश बैंक डूब रहा था, तब राणा कपूर कहा करते थे कि हीरे बेच दूंगा, लेकिन बैंक के शेयर नहीं बेचूगा। बाद में क्या हुआ हम सभी जानते हैं। इस लिए निवेशकों को मेरा सुझाव है कि यह स्टॉक अपने निचले स्तर की जोर जा रहा है। ऐसे में जब तक स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं हो जाती, तब तक इस स्टॉक से दूर रहने की जरूरत है।
इस स्टॉक में जल्दबाजी में निवेश नहीं किया जाना चाहिए। आशंका है जैसे ही यूपीआई भुगतान बंद होगा, इसके बाद पेटीएम के स्टॉक मे्ं गिरावट देखने को मिलेगी। जब आप जानते हैं कि पेटीएम पर नियामक कार्रवाई होने वाली है, तो आपको सावधानी के साथ ट्रेड करना चाहिए। जब शेयर बाजार में और बेहतर अवसर मौजूद हैं, तब ऐसा जोखिमपूर्ण स्टॉक में निवेश करने से बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा इसलिए और अधिक स्पष्टता आने तक मैं इस स्टॉक से बचने का सुझाव दे रहा हूं।
कल्पतरू मल्टीप्लायर्स के एमडी और निवेश सलाहकार आदित्य मनिया जैन ने कहा कि पेटीएम इस समय अब तक के सबसे निचले स्तर पर ट्रेड कर रहा है, लेकिन दिक्कत की बात यह है कि ऐसी स्थिति में आपके लिए यह जान पाना आसान नहीं है कि वास्तविक निचला स्तर क्या है। पेटीएम जब तक नियामक कार्रवाई के दायरे में है, तब तक हम किसी भी स्तर को वास्तविक निचले स्तर के रूप में नहीं स्वीकार कर सकते। इस बीच, बर्नस्टीन की एक रिपोर्ट में पेटीएम को 600 रुपए के लक्ष्य के साथ बेहतर प्रदर्शन की रेटिंग दी है। यह रिपोर्ट सामने आने के बाद निवेशकों के विश्वास को बढ़ावा मिला है।
रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि पेटीएम नियामक चुनौतियों से निपटने में जल्दी ही सफल होगा और फिर से पहले की तरह कामकाज शुरू करने लगेगा। रिपोर्ट तैयार करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि नियामक कार्रवाई से होने वाली क्षति पेटीएम पेमेंट्स बैंक (पीपीबीएल) जैसे उच्च निर्भरता वाले क्षेत्रों तक ही सीमित रहेगी। पेटीएम अन्य सेगमेंट्स के माध्यम से अपना अस्तित्व बचाने में सफल रहने वाला है। ऐसे समय में यह देखने की जरूरत है कि मार्केट सेंटीमेंट को कौन प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है और इसमें उसका क्या हित हो सकता है। इस समय निवेशकों को ऐसे निष्कर्षों पर ज्यादा गौर करने की जगह सावधानी से निवेश करने की जरूरत है।
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