हाइलाइट्स :
नैनो के फेलियर पर डाला M&M के MD ने प्रकाश
Tata Nano की असफलता पर गोयनका ने रखी राय
कार्यक्रम में IIT कानपुर के पूर्व विद्यार्थियों से हुए मुखातिब
राज एक्सप्रेस। Tata Nano की इंडियन मार्केट में असफलता पर इंडियन आटोमोबाइल सेक्टर की बड़ी कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) के प्रबंध निदेशक का बड़ा बयान सामने आया है। IIT कानपुर के पूर्व विद्यार्थियों के एक कार्यक्रम में मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) पवन गोयनका ने नैनो कार के असफल होने के कारणों पर प्रकाश डाला।
प्रदूषण पर चिंता :
M&M के MD पवन गोयनका ने IIT कानपुर के पूर्व विद्यार्थियों के कार्यक्रम में व्हीकल इंडस्ट्री के कारण होने वाले प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए हर संभव तरीकों पर कार्य करने की रणनीति पर बल दिया। लखटकिया कार के नाम से मशहूर टाटा मोटर्स की नैनो कार के उत्पादन बंद करने के कारणों पर भी M&M के MD गोयनका ने राय रखी।
शान-ओ-शौकत :
गोयनका ने कहा कि बाजार की नब्ज के जानकारों की राय है कि भारतीय कंज्यूमर्स जरूरतों के बजाय शान-ओ-शौकत के लिये कार खरीदते हैं। टाटा नैनो कार के मार्केट में फेल होने की एक प्रमुख वजह यह भी है। उन्होंने कहा कि, अकेले चलने के लिए भी भारतीय बड़ी गाड़ी खरीदते हैं।
वजन से तुलना :
M&M के प्रबंध निदेशक ने भारतीय कंज्यूमर्स के वजन के आधार पर भी वाहनों की खरीदी के बारे में तर्क दिया। उन्होंने कहा कि 65 से 70 किलोग्राम के औसत वजन वाले भारतीय ग्राहक 1,500 किलोग्राम वजनी कार खरीदने में यकीन रखते हैं।
टाटा का था सपना :
गौरतलब है भारत की बड़ी वाहन निर्माता कंपनियों में शुमार Tata Motors ने लखटकिया कार नैनो के जरिए भारतीय बाजार में छोटी और आम भारतीय की पहुंच वाली सस्ती कारों का ताना-बाना बुना था। लेकिन यह नैनो कार इंडियन मार्केट में उतनी नहीं चल पाई जितनी इससे लार्ज पैमाने पर उम्मीद की जा रही थी। उन्होंने कहा कि भारतीय अकेले के इस्तेमाल के लिये भी बड़ी कारों को खरीदना पसंद करते हैं। इस सोच के कारण भी Tata Moters के Nano कार प्रोजेक्ट को नुकसान हुआ।
“नैनो का खराब प्रदर्शन दुर्भाग्यपूर्ण है। औसत रूप से महज 65 से 70 किलोग्राम वजनी एक भारतीय कंज्यूमर 1,500 किलोग्राम वजनी कार खरीदना पसंद करता है। हमें ऐसे वाहनों की जरूरत है, जो एक व्यक्ति के लिये पर्याप्त हो।”
पवन गोयनका, प्रबंध निदेशक, M&M
M&M का प्लान :
M&M के MD गोयनका ने कहा कि, “कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा एक व्यक्ति की जरूरतों के मुताबिक छोटी कार बनाने की दिशा में प्रयासरत है। M&M की छोटी नई कार जल्द ही बाजार में बिकने के साथ सड़क पर रफ्तार भरते नजर आएगी।”
कनेक्टेड कार खास :
गोयनका वाहनों की कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन मात्रा पर चिंतित नजर आए। उन्होंने आंकड़ों के आधार पर कहा कि, भारत में कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन की सात प्रतिशत मात्रा चिंताजनक है जिसे कम करने प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सूचना प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर सशक्त दिख रहे भारत में कनेक्टेड कार बाजार के विस्तार की असीम संभावनाएं हैं। साथ ही कनेक्टेड वाहनों के बाजार के मामले में भारत सिरमौर बन सकता है।
बढ़ाना होगा योगदान :
भारत सरकार के पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्धारित लक्ष्य पर उन्होंने कहा कि इस टारगेट को हासिल करने के लिए व्हीकल सेक्टर को महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होगी। इस सेक्टर से अर्थव्यवस्था में एक हजार अरब डॉलर का योगदान प्रदान करने की राय भी उन्होंने स्टूडेंट्स के समक्ष रखी। हालांकि गोयनका ने इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में किये जा रहे प्रयासों को सराहनीय बताया और बैटरी निर्माण के साथ ही चार्जिंग की दिशा में किए गए काम को मील का पत्थर भी माना।
नैनो कार एक नज़र :
टाटा मोटर्स ने रियर इंजन वाली कॉम्पैक्ट सिटी कार टाटा नैनो साल 2008 में लोगों के सामने पेश की थी। गुजरात के साणंद में साल 2018 तक यह कार असेंबल हुई। सिटी कार श्रेणी की पैट्रोल चलित महज 600 किलोग्राम वजनी इस कार में कंपनी ने 624 cc का इंजन इस्तेमाल किया।
भारत के व्यस्ततम यातायात और पार्किंग की समस्या से निपटने के लिए मात्र 2.30 लाख रुपये कीमत वाली कार टाटा नैनो को बेहतर समाधान माना गया था, लेकिन नैनो, मार्केट में बड़े पैमाने पर सफल नहीं हो पाई। टाटा मोटर्स का इस कार से भावनात्मक लगाव जगजाहिर है, लेकिन भारतीय ग्राहकों से उचित प्रतिसाद न मिलने से आखिरकार कार का प्रोडक्शन साल 2018 में रोक दिया गया।
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