राज एक्सप्रेस। ओएनडीसी भारत सरकार का प्रोजेक्ट है, जिसका मतलब है ओपन नेटवर्क फार डिजिटल कामर्स (Open Network for Digital Commerce)। यानी सभी प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं का ई-कामर्स नेटवर्क, जहां आप कुछ भी खरीद बेच सकते हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार ओएनडीसी पर वस्तु और सेवा दोनों उपलब्ध हैं। ओएनडीसी प्लेटफार्म के रूप में बेहद कम दामों में बायर्स को सेलर्स से जोड़ने का काम करता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसे इस्तेमाल करना बेहद आसान है। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स या ओएनडीसी का उद्देश्य ई-कामर्स (E-Commerce) के क्षेत्र में कुछ बड़ी कंपनियों के एकाधिकार को खत्म करना है। भारत के ई-कॉमर्स बाजार (E-Commerce Market) में दो बड़ी आनलाइऩ शापिंग कंपनियों (Online Shopping Companies) की 80 फ़ीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है। ओएनडीसी का उद्देश्य एक ऐसा खुला नेटवर्क स्थापित करने का है, जिसमें किसी एक कंपनी का दबदबा नहीं हो। दुकानदार किसी भी अनुकूल प्लेटफार्म से अपनी वस्तुओं और सेवाओं को बेच सकें और ग्राहक किसी भी अनुकूल प्लेटफार्म से उन वस्तुओं और सेवाओं को खरीद सकें।
ई कॉमर्स के क्षेत्र में ओएनडीसी बिल्कुल वैसा ही है जैसे ऑनलाइन पेमेंट के क्षेत्र में यूपीआई है। मौजूदा ई-कामर्स मॉडल में विक्रेता और ग्राहक किसी एक प्लेटफार्म (वेबसाइट या एप्लीकेशन) पर एक दूसरे से जुड़ते हैं और व्यापार करते हैं। ओएनडीसी एक खुला नेटवर्क है, जो विक्रेता और ग्राहक अलग-अलग प्लेटफार्म, वेबसाइट या एप्लीकेशन पर होते हुए भी एक दूसरे से जुड़ सकेंगे। यह तुलनात्मक रूप से ज्यादा उपयोगी है। ओएनडीसी कुछ वैसे ही काम करेगा जैसे यूपीआई की मदद से हम किसी के भी खाते में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं, चाहे हमारी और उसकी यूपीआई एप अलग-अलग हो। ओएनडीसी पर सेलर या सेवा प्रदाता अपनी पसंद की किसी भी ओएनडीसी अनुकूल ऐप का प्रयोग करके अपनी वस्तुओं या सेवाओं को सूचीबद्ध कर सकेगा, उनके भंडार का प्रबंधन कर सकेगा, ग्राहक से मिलने वाले ऑर्डर का प्रबंधन कर सकेगा और आर्डर पूरा कर सकेगा। ओएनडीसी की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार इसको 25 शहरों में शुरू कर चुकी है। क्रमशः इसे सभी जगह शुरू किया जाएगा। अभी तक कई कंपनियों ने ओएनडीसी की ऐप्स बनाई हैं। इनमे से कुछ सेलर्स ऐप्स हैं जबकि कुछ बायर्स ऐप्स हैं। पेटीएम और फोन पे जैसी कंपनी भी अपने उपयोगकर्ताओं के लिए ओएनडीसी से संबद्ध विक्रेता से खरीददारी कि सुविधा देने लगी हैं।
ठीक इसी इसी तरह ग्राहक अपनी पसंद की किसी भी ओएनडीसी सपोर्ट वाली ऐप का प्रयोग करके अपनी जरूरत की वस्तुएं और सेवाएं किसी भी विक्रेता से खरीद सकेगा। ग्राहक और विक्रेता दोनों की एप्लीकेशन प्लेटफार्म एक होना जरूरी नहीं होगा। यदि विक्रेता किसी एप्लीकेशन का प्रयोग करता है जबकि ग्राहक किसी और एप्लीकेशन का प्रयोग करता है तो भी वे एक दूसरे के साथ खरीद-बिक्री कर सकेंगे। ओएनडीसी प्लेटफार्म का इस्तेमाल बायर्स और सेलर्स दोनों के लिए बेहद फायदेमंद है। सेलर्स को यह फायदा है इससे उनकी अधिक से अधिक ग्राहकों तक पहुंच बनेगी और व्यापार का खर्च कम होगा। उनके पास व्यापार के डिजिटल प्रबंधन के लिए एप्लीकेशन चुनने के अधिक विकल्प होंगे। लॉजिस्टिक्स और आर्डर सप्लाई के अधिक विकल्प मिलेंगे। जबकि, ग्राहक को यह फायदा होगा कि अधिक विक्रेताओं और वस्तुओं तक उनकी पहुंच बनेगी। लोकल विक्रेताओं के कारण उन्हें वस्तुओं की जल्दी डिलीवरी मिलेगी। अपनी पसंद के किसी एक ऐप के प्रयोग से नेटवर्क के सभी विक्रेताओं और वस्तुओं या सेवाओं के विकल्प मिलेंगे।
दरअसल, ओएनडीसी कोई प्लेटफार्म या एप्लीकेशन नहीं है, यह एक ओपन नेटवर्क है। जैसे आप यूपीआई के जरिए गूगल पे, फोन पे, पेटीएम या भीम एप जैसी किसी एप्लीकेशन के बिना सीधे पेमेंट नहीं कर सकते। ऐसे ही आप सीधे ओएनडीसी पर कोई रजिस्ट्रेशन या व्यापार नहीं कर सकते। इसे और सरल भाषा में ऐसे समझिए जैसे हमें इंटरनेट पर मौजूद किसी भी जानकारी को देखने के लिए किसी ब्राउज़र की जरूरत होती है। वैसे ही ओएनडीसी पर मौजूद वस्तुओं और सेवाओं को लेने या बेचने के लिए हमें किसी अनुकूल प्लेटफार्म या ऐप की जरूरत पड़ेगी। ओएनडीसी लांच होने के बाद धीरे-धीरे हमें बाजार में बहुत सी कंपनियों की ओर से अलग-अलग प्लेटफार्म या एप्लीकेशन मिलेंगी, जिनके जरिए हम ओएनडीसी का लाभ ले सकेंगे। जैसे यूपीआई से ऑनलाइन पेमेंट के लिए हम अपनी पसंद से भीम एप, पेटीएम, फोन पे, अमेज़न पे जैसी किसी भी ऐप का प्रयोग करते हैं, ठीक ऐसे ही ओएनडीसी के जरिए ई-कॉमर्स के लिए हमारे पास जल्दी ही कई विकल्प होंगे। चाहे हम विक्रेता हों या ग्राहक, हमें ओएनडीसी को एक्सेस करने के लिए ऐसी किसी एप्लीकेशन को डाउनलोड करना होगा या सीधे प्रयोग करना होगा।
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