सितंबर तिमाही में तेल कंपनियों को ही उठाना पड़ा करोड़ों का नुकसान
सितंबर तिमाही में तेल कंपनियों को ही उठाना पड़ा करोड़ों का नुकसानSyed Dabeer Hussain - RE

सितंबर तिमाही में तेल कंपनियों को ही उठाना पड़ा करोड़ों का नुकसान

देश की 3 सरकारी तेल कंपनियों IOCL,BPCL और HPCL को जुलाई-सितंबर तिमाही में कुल 2748.66 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हालांकि, सभी कंपनियों के आंकड़े अलग-अलग हैं।
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राज एक्सप्रेस। वैसे तो नया साल हर देश के लिए अच्छा होना चाहिए, लेकिन कोरोना वायरस और रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के चलते सभी देशों के लिए साल 2022 काफी बुरा साबित हो रहा है। ऐसा ही कुछ हाल भारत का भी है। देश में इस साल की शुरुआत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें तेजी से बढ़ी थी। हालांकि, अब यह कीमतें काफी समय से थमी चल रहीं है। इसी बीच खबर सामने आई है कि, देश की 3 सरकारी तेल कंपनियों को जुलाई-सितंबर तिमाही में कुल मिलाकर 2748.66 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हालांकि, सभी कंपनियों के आंकड़े अलग-अलग हैं।

HPCL को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान :

दरअसल, भारत की प्रमुख तीन तेल कंपनियों में शुमार इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) को जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान नुकसान का सामना करना पड़ा है। इन तीनों कंपनियों का कुल नुकसान 2748.66 करोड़ रुपए रहा है। तेल कंपनियों की मानें तो, इन्हें यह नुकसान पेट्रोल, डीजल और घरेलू LPG की कीमतों में बढ़ोतरी न करने के कारण यह नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि, तीनों कंपनियों के नुकसान के आंकड़े अलग-अलग हैं।

HPCL को उठाना पड़ा सबसे ज्यादा नुकसान :

कंपनियों के द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर तिमाही में सबसे ज्यादा नुकसान हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) को उठाना पड़ा है क्योंकि, HPCL का घाटा 2172 करोड़ रुपए रहा है, जबकि कंपनी को जून तिमाही में रिकॉर्ड घाटा 10196 करोड़ रुपए था। वहीँ, IOCL को इस दौरान 272 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है जबकि, पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 1995 करोड़ रुपए का था। इसी तरह BPCL को दूसरी तिमाही में 304 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। जबकि, कंपनी को पहली तिमाही में 6263 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

घाटे में चल रही है तेल कंपनियां :

बताते चलें, काफी महीनों से कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के लगभग नज़र आ रही है। जबकि इस हिसाब से देखा जाए तो कंपनियां रिटेल पंप की पेट्रोल-डीजल के दाम लगभग 85-86 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से बेच रही थीं। यही कारण है कि, कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा है। इस मामले में सरकार ने भी कहा था कि, 'तेल कंपनियां खुदरा कीमतों में संशोधन करने के लिए स्वतंत्र हैं।' इतना ही नहीं बीते महीने सरकार ने तेल कंपनियों के लिए बड़ा-बड़ा बोनांज देने का ऐलान भी किया था।

क्यों बढ़ती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें ?

आप हो या हम हर किसी के दिमाग में यह सवाल जरूर उठता होगा कि, आखिर पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों बढ़ती हैं ? भारत में इन दिनों एक बार फिर पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार क्यों बढ़ रही हैं? या भारत के ही अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अलग-अलग क्यों होती है तो आपको बता दें, इसके तीन मुख्य कारण हैं,

  • भारत में ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर लगने वाला टैक्स

  • डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी

  • कच्चे तेल की कीमतें

पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने के हैं ये कारण :

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने के ये मुख्य तीन कारण हैं। पहले भारत में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स जिसमें एक्साइज ड्यूटी, वैट और डीलर कमीशन की कीमत शामिल रहती हैं और भारत के सभी राज्यों में पेटोल-डीजल पर अलग अलग टैक्स लगता है। जिसके कारण सभी राज्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें एक जैसी नहीं होती है। इसके अलावा टैक्स के आधार पर प्रतिदिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें सुबह 6 बजे तय की जाती हैं। इस दौरान इन कीमतों में कमी या बढ़ोतरी दोनों हो सकती है। दूसरा कारण डॉलर की तुलना में यदि रूपये मजबूत होते हैं तो उसका असर भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दिखता है पर तीसरा कारण है 'कच्चा तेल' (क्रूड ऑइल)। पेट्रोल की कीमतें क्रूड ऑइल की कीमतों पर डिपेंड करती हैं। इसका मतलब यह हुआ यदि क्रूड ऑइल की कीमतों में कमी आती हैं तो ऑटोमेटिक पट्रोल की कीमतों में भी कमी आ जाती है। बहुत कम ही ऐसा होता है कि, कच्चा तेल गिरे और पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़े।

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