सॉफ्टवेयर में किए गए थे जरूरी बदलाव, चांद पर सफल लैंडिंग की थी पूरी गारंटी : आकाश सिन्हा
हाईलाइट्स
मिशन नाकाम न हो जाए, इस लिए पिछली बार से सीख लेकर खामियों को सुधारा गया, इसके बाद इसरो के वैज्ञानिक सेफ लैंडिंग को लेकर आश्वस्त थे
चंद्रयान-3 बार-बार यह संदेश दे रहा था कि सब कुछ ठीक चल रहा है, चिंता की कोई बात नहीं, इस बार नहीं मिलेगी निराशा
चांद को बेस स्टेशन के रूप में इस्तेमाल के लिहाज से चांदि पर सफल लैंडिंग पहला कदम, करनी होगी भविष्य के अभियानों के लिए और तैयारी
राज एक्सप्रेस । चंद्रयान-3 के रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया है। रोवर को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि रोवर को अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके चांद की सतह पर कई चीजों की जानकारी इकट्ठा करनी है। प्रज्ञान का अर्थ होता है प्रज्ञा, बुद्धि या विवेक। प्रज्ञान के लिए सॉफ्टवेयर बनाने वाले ओमिनीप्रेजेंट रोबोट टेक के सीईओ आकाश सिन्हा से कहा कि इस बार साफ्ट लैंडिंग की पूरी संभावना थी। इसके लिए हमने पूरी तैयारी की थी। साफ्टवेयर में जरूरी बदलाव किए थे। इस लिए हमें पूरा विश्वास था कि इस बार विक्रम लैंडर चांद पर सफलतापूर्वक उतरने में सफल होगा।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने रचा इतिहास
इसरो के चंद्रयान मिशन ने नया इतिहास रच दिया है। भारत ने चांद पर सफल लैंडिंग कर ली है। अब तक अमेरिका, चीन और रूस ने ही चांद पर सफल लैंडिंग की थी। हालांकि, इनमें से किसी देश ने अब तक दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं की है। यह इलाका बेहद ठंडा है और रात के समय यहां तापमान बहुत ज्यादा गिर जाता है। लैंडर विक्रम के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, जो लैंडर के चंद्रमा के सतह पर लैंड होने के करीब एक घंटा 50 मिनट बाद उसके अंदर से बाहर निकलेगा और चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग शुरू करेगा।
सिवन बोले पिछले सबक ने सुनिश्चित की सफलता
इसरो के पूर्व प्रमुख के. सिवन ने कहा चंद्रयान-2 से मिले सबक ने ही चंद्रयान-3 की सफलता सुनिश्चित की है। उन्होंने कहा कि जिन वजहों से पिछला अभियान असफल रह गया था, उन कमियों को इस बार दूर कर दिया गया था। यही वजह है विक्रम लैंडर साफ्ट लैंडिंग में सफल रहा। थ्रस्टिंग, गाइडिंग और कंट्रोल सिस्टम में सुधार किया गया। लैंडर के मजबूत पैर और अतिरिक्त सेंसर लगाए गए। इस वजह से ही इस बार की लैंडिंग सफल रही है। उन्होंने कहा प्रज्ञान रोवर चंद्रमा को एक्सप्लोर कर ऐसी जानकारियां नीचे इसरो को भेजेगा जो अब तक हमारे पास नहीं थीं। यह चंद्रमा पर पानी और खनिज की भी तलाश करेगा।
बेस स्टेशन के तौर पर इस्तेमाल हो सकेगा चंद्रमा
चंद्रयान-3 की कामयाबी ने अनंत अंतरिक्ष के द्वार खोल दिए हैं। इस सफलता से अंतरिक्ष के बारे में जानने के लिए और लोग भी प्रेरित होंगे। मंगल ग्रह या उससे आगे उपग्रह भेजने के लिए चांद को बेस स्टेशन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। चांद पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की तुलना में छठे हिस्से के बराबर है इसलिए प्रयास कम करने होंगे। हालांकि चंद्रयान-3 इस दिशा में पहला कदम है। इसके बाद और भी कई कदम उठाने होंगे उसके बाद ही हम भविष्य की योजनाएं बना सकेंगे।
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