NASA flies air taxis in the air
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नासा ने हवाई टैक्सियों की स्वायत्त उड़ान क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए एक साथ उड़ाए कई ड्रोन्स

नासा के लैंगली रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने एयर टैक्सियों की स्वायत्त उड़ान क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए कई ड्रोन्स की सफलतापूर्वक उड़ानें संचालित की।
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हाईलाइट्स

  • बिना किसी दृश्य पर्यवेक्षक के ड्रोन्स को दृश्य सीमा से दूर तक उड़ाया गया।

  • यह प्रयोग सफल रहा तको यात्री ड्रोन्स के विकास पर काम शुरू किया जाएगा।

  • इससे शहरों के अंदर छोटी-छोटी दूरी की हवाई यात्राएं करना संभव हो सकेगा।

राज एक्सप्रेस। वर्जीनिया में नासा के लैंगली रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने एयर टैक्सियों की स्वायत्त उड़ान क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए कई ड्रोन्स की सफलतापूर्वक उड़ानें संचालित की हैं। ड्रोन्स को दृश्य सीमा से दूर तक उड़ाया गया। इस दौरान एयर टैक्सी की निगरानी के लिए कोई दृश्य पर्यवेक्षक नियुक्त नहीं किया था। उड़ान को नियंत्रित करने के लिए पायलट भी नहीं थे। ड्रोन्स ने उड़ान भरने के दौरान, नियोजित मार्ग पर आने वाली बाधाओं और एक दूसरे से सुरक्षित रहते हुए पूरी तरह से नियंत्रित तरीके से उड़ान भरी। उल्लेखनीय है कि यह परीक्षण हवाई टैक्सियों के लिए स्व-उड़ान क्षमताओं के परीक्षण के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम है।

दृश्य रेखा से परे ड्रोन्स को उड़ाना, एक जटिल प्रक्रिया

नासा लैंगली में एयरोनॉटिक्स सिस्टम इंजीनियरिंग शाखा के प्रमुख लू ग्लैब ने कहा हमारी दृश्य रेखा से परे वाहनों को उड़ाना, एक जटिल प्रक्रिया है। इस परीक्षण में हमने प्रत्यक्ष मानव अवलोकन प्रणाली का उपयोग करके न वाहन को देखा गया और न हवाई क्षेत्र की निगरानी की गई। यह स्वचालन संबंधी दक्षता हासिल करने के लिए सालों के शोध को प्रदर्शित करता है। नासा के लैंगली में एयरोनॉटिक्स सिस्टम इंजीनियरिंग शाखा के प्रमुख लू ने कहा इसे पूरा करने के लिए संघीय विमानन प्रशासन और नासा से विशिष्ट अनुमोदन की आवश्यकता होती है। बता दें कि हवाई जहाजों की तरह दिखने वाले बड़े यात्री द्रोन को विकसित करने के लिए, वैज्ञानिक पहले छोटे ड्रोन पर तकनीक का परीक्षण कर रहे हैं।

प्रयोग सफल रहा तो बड़े यात्री ड्रोन्स पर होगा काम

ये छोटे ड्रोन न सिर्फ सस्ते होते हैं, बल्कि उनके दुर्घटनाग्रस्त होने पर किसी को नुकसान होने का खतरा भी कम होता है। इस तकनीक में, ये छोटे ड्रोन आपस में टकराने से बचाव और आसपास की बाधाओं से बचने का तरीका सीखते हैं। वैज्ञानिक यह भी देख रहे हैं कि कैसे ये ड्रोन एक-दूसरे से संवाद कर सकें और सुरक्षित रूप से उड़ान भर सकें। जब, एक बार वैज्ञानिक यह सुनिश्चित कर लेंगे कि यह तकनीक पूरी तरह से सुरक्षित और विश्वसनीय है, तो बड़े यात्री ड्रोन्स के विकास पर काम शुरू किया जाएगा। इन बड़े यात्री ड्रोन्स के विकास से हमारे यातायात में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और इन बड़े ड्रोन्स के माध्यम से आपके लिए भविष्य में शहरों के अंदर छोटी-छोटी दूरी की हवाई यात्राएं करना संभव हो सकेगा।

ड्रोन और हवाई टैक्सियां हर रोज़ भरेंगी हवा में उड़ान

पूर्व में किए गए परीक्षणों के आधार पर, वैज्ञानिकों ने छोटे और सस्ते ड्रोन (ALTA 8) का इस्तेमाल कर कई उड़ानें भरीं हैं। इन उड़ानों में खास बात यह थी कि ड्रोन्स को बिना किसी इंसानी निगरानी के उड़ाया गया, यानी वे एक-दूसरे से और आसपास की चीज़ों से टकराने से बचते हुए अपने आप उड़ सकते थे। इस तकनीक को NOVO-BVLOS यानी दृश्य रेखा से परे उड़ान कहते हैं। इन छोटे ड्रोन में एक खास सॉफ्टवेयर लगाया गया था, जिसकी मदद से व हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने के लिए ज़रूरी काम जैसे हवाई यातायात के दौरान आपस में संवाद करने और दूसरे वाहनों से बचते हुए अपना रास्ता तय करने में सक्षम हो सके। यह भविष्य की उन्नत वायु गतिशीलता के लिए बहुत ज़रूरी है, जिसमें ड्रोन और हवाई टैक्सियां हर रोज़ आसमान में एक साथ उड़ान भरेंगे।

नासा विमान निर्माता कंपनियों को देगा यह तकनीक

महत्वपूर्ण बात यह है कि नासा इस परियोजना में बनाई गई नई तकनीक को सबके लिए उपलब्ध कराएगा। इससे हवाई जहाज बनाने वाली कंपनियां अपने हवाई जहाजों को डिज़ाइन करते समय इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकेंगी। नासा उन्नत हवाई यातायात (एएएम) सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है। नासा एक ऐसी रोमांचक परियोजना पर काम कर रहा है, जो भविष्य की हवाई यात्राओं को पूरी तरह से बदल सकती है। इस परियोजना में, वैज्ञानिक छोटे स्वचालित ड्रोन का उपयोग करके यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि भविष्य के स्वचालित हवाई वाहन कैसे सुरक्षित और कुशलतापूर्वक उड़ान भरेंगेा।

बिना पायलट के उड़ान भरने में सक्षम होंगे ड्रोन्स

इस परियोजना में इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन खास हैं। वे बिना किसी पायलट के उड़ान भरने में सक्षम हैं और अपने आसपास की चीज़ों से टकराने से बचते हुए यात्रा करने में सक्षम हैं। वे हवाई क्षेत्र में अन्य वाहनों के साथ जरूरी संदेशों का भी आदान-प्रदान करते हुए सुरक्षित रूप से अपनी यात्रा पूरी कर सकते हैं। यह तकनीक "नोवो-बीवीएलओएस" कहलाती है, जिसका अर्थ है "दृश्य रेखा से परे उड़ान"। नासा इस तकनीक का परीक्षण वास्तविक वातावरण जैसे हवाई अड्डों और व्यस्त शहरों के आसपास कर रहा है। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह तकनीक भविष्य की चुनौतियों के लिए कितनी तैयार है।

भविष्य में हवाई टैक्सियों से आसान होंगी छोटी यात्राएं

इस परियोजना की यह भी एक खास बात है कि नासा इस इस परियोजना में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक को सार्वजनिक करेगा ताकि विमान बनाने वाली कंपनियां इस साफ्टवेयर का प्रयोग हवाई वाहनों को डिजाइन करते समय कर सकें। इसका मतलब है कि भविष्य में हम सभी छोटी और स्वचालित हवाई टैक्सियों में आराम से उड़ान भरने का आनंद ले सकेंगे। परियोजना के उड़ान संचालन प्रमुख जेक शेफ़र ने कहा इन प्रौद्योगिकियों को स्थानांतरित करने की नासा की क्षमता से उद्योग को काफी लाभ होगा। शेफ़र ने कहा, राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र के भीतर, हवाई अड्डों और शहरी वातावरण के नजदीक उड़ान परीक्षण करके, हम भविष्य के एएएम वाहनों के लिए नियंत्रित लेकिन प्रासंगिक वातावरण में प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं का परीक्षण करने में सक्षम हैं।

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