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नाइक ने मूर्ति का किया समर्थन, कहा केवल कठिन परिश्रम से ही आर्थिक महाशक्ति बन सकता है भारत

इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति के हफ्ते में 70 घंटे काम करने के बयान का एलएंडटी के मानद चेयरमैन एएम नाइक ने भी समर्थन किया है।
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हाईलाइट्स

  • एलएंडटी के मानद चेयरमैन ने बताया उन्होंने एक दिन में 15-16 घंटे तक काम किया

  • लंबे समय तक काम करने के बाद थककर कभी-कभी ऑफिस की मेज पर ही सो जाते थे

  • 50 साल से ज्‍यादा समय तक परिश्रम करके एलएंडटी को कारोबारी बुलंदियों पर पहुंचाया

राज एक्सप्रेस। इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति के हफ्ते में 70 घंटे काम करने के बयान का एलएंडटी के मानद चेयरमैन एएम नाइक ने भी समर्थन किया है। नारायणमूर्ति ने पिछले दिनों इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई से बात करते हुए कहा था कि अगर भारत, चीन जैसे देशों से भी बड़ी अर्थव्यवस्था बनना चाहता है, तो इसके लिए भारतीय युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना होगा। भारत को दुनिया की प्रमुख आर्थिक महाशक्तियों से आगे ले जाने के लिए भारतीय युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे कड़ी मेहनत करनी जरूरी है। भारत की वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया के अन्य़ देशों के मुकाबले काफी कम है। इसलिए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जिस तरह जापान और जर्मनी में किया गया था, उसी तरह भारत में युवाओं को अतिरिक्त घंटे काम करना चाहिए। उनके इस सुझाव पर देश में बहस शुरू हो गई है।

एलएंडटी के मानद चेयरमैन एएम नाइक ने बताया कि उन्होंने एक दिन में 15-16 घंटे तक काम किया है। लंबे समय तक काम करने के बाद थककर वह कभी-कभी ऑफिस की मेज पर ही सो जाया करते थे। उन्होंने 50 साल से भी ज्‍यादा समय तक कड़ा परिश्रम करके एलएंडटी को कारोबारी बुलंदियों पर पहुंचाया। एलएंडटी की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार एएम नाइक ने एक जूनियर इंजीनियर के रूप में कंपनी के साथ अपना करियर शुरू किया था। 1965 में एलएंडटी में करियर शुरूआत करने के बाद वह 29 दिसंबर 2003 को एलएंडटी के चेयरमैन और एमडी बन गए। 2012 से 2017 तक वह एलएंडटी के समूह के एग्‍जीक्‍यूटिव चेयरमैन रहे। अक्टूबर 2017 में उन्होंने खुद को इल जिम्मेदारी से अलग कर लिया।

नाइक ने बताया कि वह रोजाना 15 घंटे काम करने के बाद, वह घर वापस जाते थे। उसके बाद एक घंटे एलएंडटी के बारे में सोचते थे। उन्होंने कहा कि बिड़ला की तरफ से शुरू की गई कॉरपोरेट अधिग्रहण की लड़ाई के दौरान एलएंडटी को बचाने में पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने बहुत मदद की थी। फर्नांडीस अपने समाजवादी झुकाव के कारण कंपनी को किसी बड़े व्यापारिक घराने के हाथों में नहीं जाने देना चाहते थे। नाइक ने बताया अपने सुदीर्घ कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की। उन्होंने यह भी दावा किया कि कई बार प्रधानमंत्री एलएंडटी के कारण अपनी सरकार बचाए रखने में सफल रहे। हालांकि, इस बारे में उन्‍होंने विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी।

नाइक ने कहा वह सुबह की मीटिंग के लिए रातभर सफर करते थे। एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि मैं स्‍टूडेंट लाइफ में ऐसी कंपनी में शामिल होने के बारे में सोचा करता था जो मुझे मौका दे। मैं चाहता था कि कंपनी ऐसी हो जो मुझे नेशल बिल्डिंग के प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराए। उन्होंने बताया उन्हें शुरू से ही काम का जुनून था। वह घंटों काम करने के बाद बहुत थक जाते थे और कई बार ऑफिस में ही मेज पर सो जाते थे। उन्होंने बताया मैं जिस समय एलएंडटी के शीर्ष पर था, कंपनी का मार्केट कैप 4,000 करोड़ रुपये से 130 गुना बढ़कर 5 लाख करोड़ से ज्‍यादा हो गया था।

उन्होंने कहा यह स्थिति केवल कठिन परिश्रम करके ही हासिल किया जा सकता है। नारायण मूर्ति ने जो कहा है, उसे अपनी कार्य संस्कृति का हिस्सा बनाना बहुत जरूरी है। देश के युवाओं पर अपने देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी है। दुनिया के विकसित देशों के मुकाबले देश को आगे ले जाने के लिए कड़ी मेहनत बेहद जरूरी है। काम करने के मामले में हमारे देश का रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं है। अगर हमें सचमुच आर्थिक महाशक्ति बनना है तो हमें श्रम को अपनी कार्य संस्कृति का हिस्सा बनाना होगा।

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