राज एक्सप्रेस। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी को ब्रिटेन के गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद भी वह किसी हाल में भारत आने को तैयार नहीं है। हालांकि, आज नहीं तो कल उसे भारत आना ही पड़ेगा। क्योंकि, लंदन हाईकोर्ट उसे साफ़ कर चुकी है कि, नीरव मोदी अब प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट में कोई अर्जी नही लगा सकता है। वहीँ, अब नीरव मोदी की बहन पूर्वी मेहता ने मुंबई की एक विशेष अदालत में अर्जी दायर की थी। जिसे कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है।
नीरव मोदी की बहन की याचिका हुई खारिज :
दरअसल, पंजाब नेशनल बैंक से सामने आये बड़े घोटाले के मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत सरकार द्वारा भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। वह 19 मार्च, 2019 को लंदन में पकड़ा गया था। वह तब से वह वहां की जेल में बंद है और उस पर लंदन में ही केस चल रहा था। बीते साल फरवरी में नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण मामले में लंदन की अदालत ने उसकी अपील खारिज करते हुए उसे भारत भेजने का अंतिम फैसला सुनाया था। इसके बाद भी नीरव मोदी भारत नहीं आना चाहता है। इधर, सोमवार को भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी की बहन पूर्वी मेहता ने मुंबई की एक विशेष अदालत में याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस याचिका के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका में उसके खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) को निर्देश देने की मांग की गई थी।
क्या था याचिका में ?
बताते चलें, नीरव मोदी की बहन पूर्वी मेहता ने जो याचिका दायर की थी, उसमें अमेरिका में अपने भाई के खिलाफ कार्यवाही से जुड़े केस में अदालत से हस्तक्षेप की मांग करते हुए अपील की थी कि, 'वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अमेरिका में उसके भाई के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का निर्देश दे। नीरव मोदी के खिलाफ अमेरिकी दिवालियापन मामले में पूर्वी मेहता को प्रतिवादी बनाया गया है।' इसके अलावा भी उन्होंने मांग की थी कि, PNB को अमेरिकी कार्यवाही के ट्रस्टी को सूचित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए कि प्रक्रियाओं की बहुलता और संभावित दोहरे खतरे से बचने के लिए उन्हें जारी नहीं रखा जाए।' बता दें, ये सब करते नीरव मोदी की बहन पूर्वी मेहता प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के अनुसार सरकारी गवाह बन गई हैं।
विशेष न्यायाधीश का कहना :
विशेष न्यायाधीश SM मेनजोगे ने मेहता की याचिका खारिज करते हुए कहा कि, 'FEO अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके द्वारा उनके द्वारा मांगी गई राहत दी जा सके। यह अदालत किसी भी व्यक्ति को भारत या देश के बाहर किसी भी मामले में मुकदमा चलाने से नहीं रोक सकती है।'
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