हाइलाइट्स –
Lockdown से बढ़ रही बेरोजगारी
CMIE ने जारी किया बेरोजगारी डेटा
तालाबंदी से MSMEs की हालत पतली
राज एक्सप्रेस। गांवों में तालाबंदी और बढ़ते कोविड संक्रमण से आर्थिक गतिविधियों पर फिर ब्रेक लगने से एक सप्ताह में ग्रामीण बेरोजगारी दर लगभग दोगुनी हो गई है। खेती की सुस्ती भी बेरोजगारी को बढ़ा रही है।
सीएमआईई (CMIE) का डेटा -
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई/CMIE) यानी भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र ने बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए हैं।
जारी डेटा के मुताबिक, 16 मई को समाप्त सप्ताह में ग्रामीण बेरोजगारी दर बढ़कर 14.34 फीसदी हो गई, जो 9 मई को समाप्त सप्ताह में 7.29 प्रतिशत थी।
ताजा बेरोजगारी रिकॉर्ड -
भारत का ताजा ग्रामीण बेरोजगारी स्तर 50 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर है। पिछली बार यह लगभग एक साल पहले 7 जून को समाप्त सप्ताह में उच्चतम था।
शहरों में भी बढ़ी बेरोजगारी -
इसी तरह शहरी बेरोजगारी भी एक सप्ताह पहले की तुलना में तीन प्रतिशत अधिक बढ़कर 14.71 प्रतिशत जा पहुंची है।
राष्ट्रीय बेरोजगारी दर में वृद्धि -
भारत में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर में भी वृद्धि देखने को मिली है। दूसरी कोविड लहर (second covid wave) के बीच नौकरियों के संकट को उजागर करते हुए, राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 8.67% से बढ़कर 14.45% हो गई।
तालाबंदी से छिना रोजगार -
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि उच्च संक्रमण दर और शहरी समूहों में तालाबंदी के कारण रोजगार के अवसर कम हुए हैं। अवसरों की कमी ने ही लोगों को शहर छोड़ने के लिए मजबूर किया।
ग्रामीण इलाकों में आय के पर्याप्त अवसर नहीं हैं। इसके अलावा ग्रामीण तालाबंदी और कर्फ्यू ने औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों में लोगों को बेरोजगार कर दिया है। इसके साथ ही मई माह में कृषि गतिविधियों में आई कमी बेरोजगारी की आग को और हवा दे रही है।
कोरोना वायरस संक्रमण -
अर्थशास्त्र की नब्ज पहचानने वालों के अनुसार शहरी आवास और ग्रामीण बस्तियां इस बार (second covid wave) कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत में असंगठित विनिर्माण काफी हद तक ठप हो गया है। इससे संपूर्ण भारत में औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ रही है।
प्रमुख कारक प्रभावित -
एमएसएमई यानी माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs/ micro, small and medium enterprises) अर्थात सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम खराब स्थिति में हैं। अनौपचारिक रोजगार, बाजार, साथ ही ग्रामीण भारत में स्वरोजगार में भी उथल-पुथल व्याप्त है।
अगर हम ग्रामीण भारत में महामारी से निपटने का प्रबंधन नहीं करते हैं तो अगले कुछ हफ्तों में स्थिति और खराब हो सकती है।
मांग एक झटका है, आपूर्ति श्रृंखला एक बाधा है और आय में कमी भी एक समस्या है। यह किसी भी अर्थव्यवस्था और श्रम बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण स्थिति है।
इनका कहना –
उद्योग जगत के संगठन से जुड़े पदाधिकारी ने कोरोना के कारण उपजी बेरोजगारी के कारणों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने एमएसएमई पर पड़े प्रभाव और उसके नतीजों को कुछ इस तरह समझाया।
हजारों एमएसएमई दूसरी लहर में बंद हो गए हैं। मांग की कमी हैऔर जिन कंपनियों को उद्यम आपूर्ति करते हैं, वे ऑर्डर नहीं ले रही हैं, जिसका अर्थ है कि उत्पाद होल्ड पर हैं, जैसे भुगतान हैं।
रवि गुप्ता, अध्यक्ष, महाकौशल चैंबर ऑफ कॉमर्स जबलपुर
कुछ कारण यह भी -
लॉकडाउन में लंबे समय से ठप कारोबार का सामना कर रहे ऐसे ही एक संचालक ने एमएसई और रोजगार के संबंधों की ओर कुछ इस तरह ध्यान खींचा-
"कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिसका असर कारोबार पर पड़ रहा है। एमएसएमई के पुनरुद्धार से रोजगार क्षेत्र में सुधार होगा, लेकिन ऐसा महीनों तक होना संभव नजर नहीं आ रहा।"
रितेश श्रीवास्तव, संचालक, श्रीवास्तव मशीनरी, इंदौर
वे कहते हैं कि “पुणे, मुंबई और औरंगाबाद जैसे औद्योगिक क्षेत्रों और गुजरात, कर्नाटक एवं अन्य स्थानों के औद्योगिक समूहों से बहुत सारे श्रमिक अपने गृहनगर रवाना हो गए हैं। ऐसे में रोजगार और मजदूर दोनों एक दूसरे के संपर्क से कट गए हैं।"
कहा जा सकता है, देश उच्च बेरोजगारी दर, उच्च अल्प-रोजगार, कम उत्पादकता, और कम आय क्षमता, ग्रामीण इलाकों में और पूरे देश में देख रहा है।
डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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