सोनीपत : Atlas के बाद Milton कंपनी भी साइकिल फैक्ट्री बंद करने को मजबूर

आप और हम बचपन से ही कुछ साइकिल की कंपनी का नाम सुनते आए हैं इन कंपनियों में 'मिल्टन साइकिल' (Milton Cycle) कंपनी का नाम भी शुमार है। वहीं, अब साइकिल कंपनी Milton अपनी फैक्ट्री बंद करने पर मजबूर है।
सोनीपत : Atlas के बाद Milton कंपनी भी साइकिल फैक्टरी बंद करने को मजबूर
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राज एक्सप्रेस। आप और हम बचपन से ही कुछ साइकिल की कंपनी का नाम सुनते आए हैं इन कंपनियों में 'मिल्टन साइकिल' (Milton Cycle) कंपनी का नाम भी शुमार है। पिछले साल विश्व साइकिल दिवस पर साइकिल बनाने वाली नामी-ग्रामी साइकिल कंपनी 'एटलस साइकिल' (Atlas Cycle) ने अपने दिल्ली से सटे गाजियाबाद स्थित फैक्ट्री को बंद करने का फैसला लिया था। वहीं, अब साइकिल कंपनी Milton भी यही फैसला लेने पर मजबूर है।

Milton कंपनी का फैसला :

दरअसल, देश की बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी में शुमार Milton साइकिल कंपनी ने अपने हरियाणा में स्थित बड़ी फैक्ट्री को अनिश्चितकाल तक के लिए बंद करने जैसा बड़ा फैसला लिया है। कंपनी के इस फैसले से 250 कर्मियों की नौकरी चली गई है और इन कर्मियों को कंपनी ने बिना सैलरी दिए ही निकाल दिया है। बता दें, यह वही Milton कंपनी है जो एक दशक पहले तक देश व दुनिया तक साइकिल सप्लाई करने के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब पैदा हुए हालातों के चलते हुए कंपनी अपने प्रबंधन को समेटने पर मजबूर हो चुकी है।

क्यों लिया ये फैसला :

खबरों की मानें तो Milton साइकिल कंपनी ने फैक्ट्री बंद करने का फैसला परिवार में कानूनी तौर पर बंटवारे के लिए हो रही खींचतान के चलते लिया है। कंपनी को लेकर बढ़ते विवाद के कारण कंपनी ने फैक्ट्री को बंद करने का ऐलान कर दिया। जानकारी के लिए बता दें, सोनीपत में साल 1951 में एटलस साइकिल लिमिटेड की पहली यूनिट शुरू करने के बाद दूसरी यूनिट मिल्टन साइकिल इंडस्ट्रीज लिमिटेड के नाम से उसी समय औद्योगिक क्षेत्र में शुरू की गई थी। Milton कंपनी साल 2003 तक साइकिल के पार्ट बनाकर एटलस को भेजती थी और वहां साईकिल तैयार की जाती थी।

विवाद के बाद बंटे हिस्से :

साल 2003 में परिवार के बीच विवाद शुरू होने के बाद परिवार ने कंपनी चलाने के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी तय कर दी। तब मिल्टन कंपनी जयदेव कपूर के हिस्से में आई थी और एटलस साइकिल अरुण, विक्रम व राजीव कपूर के हिस्से में। इसके बाद साल 2003 से ही मिल्टन में भी साइकिल निर्माण का काम शुरू हुआ था। कंपनी ने लगभग 700 कर्मचारियों के साथ एक महीने में 70 हजार साइकिल बना शुरू किया था। इसके बाद मांग बढ़ती देश कंपनी ने साल 2008 तक 70 हजार के आंकड़े को डेढ़ लाख साइकिल में बदल दिया था। इसके बाद कंपनी अपनी साइकिल एशिया के अधिकतर देशों में निर्यात करने लगी। सालों पर इसका बुरा असर एटलस ग्रुप पर पड़ने लगा और उसे अपनी शाखा बंद करनी पढ़ गई। इसके बाद कुछ ही समय में मिल्टन भी बंद होने की कगार पर आ गई।

कंपनी निकाल रही कर्मचारियों को :

बताते चलें, कंपनी दो साल से लगातार अपने कर्मचारियों को निकाल रही है, अब जब कंपनी में मात्र 250 कर्मचारी रह गए थे तब कंपनी को बंद करने का फैसला लिया गया और कंपनी के कर्मचारियों को मार्च 20 से मार्च 21 तक आधा वेतन दिया गया। उसके बाद से वेतन देना बंद कर दिया गया। वहीं अब मिल्टन कंपनी की फैक्ट्री बंद कर दी गई है और इन कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है। जबकि कंपनी की इस फैक्ट्री में दो साल पहले तक हजारों साइकिल बनाई गई हैं।

वर्कर्स यूनियन के प्रधान का कहना :

मिल्टन साइकिल वर्कर्स यूनियन के प्रधान सुरेंद्र सिंह का कहना है कि, 'मिल्टन में दो साल पहले तक हजारों साइकिल बनती थीं और कंपनी को ऑर्डर भी खूब मिल रहे थे। परिवार की खींचतान का असर कंपनी का पड़ता रहा और कर्मचारियों के बारे में कुछ नहीं सोचा गया। अब अचानक कंपनी पर ताला लगा दिया गया और कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दिया गया।'

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