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कल 20 मार्च को ASM के दूसरे स्टेज से निकलकर पहले स्टेज में आ जाएंगे एनडीटीवी और अडाणी ग्रीन के शेयर

एनडीटीवी और अडाणी ग्रीन एनर्जी सोमवार 20 मार्च से लॉन्ग टर्म एएसएम फ्रेमवर्क के स्टेज 2 से स्टेज 1 में आ जाएंगे यानी इन्हें राहत मिली है। पिछले हफ्ते ही इन शेयरों को स्टेज 2 में रखा गया था।
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राज एक्सप्रेस। अगले सप्ताह के पहले दिन सोमवार 20 मार्च को जब शेयर बाजार खुलेगा तो अडाणी समूह के दो स्टॉक्स लॉन्ग टर्म एडीशनल सर्विलांस मेजर्स (एएसएम) के तहत दूसरे स्टेज से निकलकर पहले स्टेज में आ जाएंगे। बांबे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) के सर्कुलर के मुताबिक एनडीटीवी और अडाणी ग्रीन एनर्जी सोमवार 20 मार्च से लॉन्ग टर्म एएसएम फ्रेमवर्क के स्टेज 2 से बाहर निकलकर स्टेज 1 में आ जाएंगे यानी इन्हें राहत मिली है। इन शेयरों को पिछले हफ्ते ही स्टेज 2 में रखा गया था। एक दिन पहले ही अडाणी ग्रुप की तीन कंपनियों- अडाणी पॉवर, अडाणी विल्मर और अडाणी एंटरप्राइजेज को शॉर्ट टर्म एएसएम फ्रेमवर्क से बाहर किया गया है। पिछले माह अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन और अंबुजा सीमेंट्स को शॉर्ट टर्म एएसएम के तहत डाला गया था। क्या आप जानते हैं कि किसी कंपनी के शेयरों को कब लांग टर्म एडीशनल सर्विलांस में मेजर्स यानी एएसएम में डाला जाता है? दरअसल, जब शेयर बाजार नियामक को सेबी और स्टाक मार्केट एक्सचेंजों को स्टॉक मैनिपुलेशन का संदेह होता है, तो उस कंपनी के शेयर को एएसएम फ्रेमवर्क यानी अतिरिक्त निगरानी वाली लिस्ट में डाल दिया जाता है। यह काम रिटेल इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा के लिए और उन्हें जोखिम से बचाने के लिए किया जाता है।

अडाणी समूह के शेयरों की क्या है स्थिति

अडाणी समूह के जिन तीन स्टॉक्स को कल फ्रेमवर्क से बाहर किया गया है, वे सभी शेयर बाजार में ग्रीन जोन में बंद हुए। अडाणी पॉवर 0.60 फीसदी की तेजी के साथ 199.95 रुपये, अडाणी विल्मर 1.52 फीसदी के उछाल के साथ 427.35 रुपए और अडाणी एंटरप्राइजेज 1.88 फीसदी चढ़कर बीएसई पर 1877.15 रुपये पर बंद हुआ। बाकी स्टॉक्स की बात करें तो तीन स्टॉक्स रेड जोन में चल रहे हैं। अडाणी ग्रीन एनर्जी 5 फीसदी उछलकर 816.80 रुपये के अपर सर्किट पर बंद हुआ था। अडाणी ट्रांसमिशन 5 फीसदी की तेजी के साथ 1024.85 रुपए, अडाणी टोटल गैस 1.07 फीसदी चढ़कर 897.95 रुपये और अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन 0.14 फीसदी उछलकर 680.10 रुपये पर बंद हुआ। दूसरी तरफ एनडीटीवी 1.63 फीसदी टूटकर 205.70 रुपये, एसीसी 1.39 फीसदी फिसलकर 1728.80 रुपये और अंबुजा सीमेंट्स 0.09 फीसदी कमजोर होकर 378.25 रुपये के भाव पर बंद हुआ।

एएसएम फ्रेमवर्क का क्या है मतलब

जब किसी स्टॉक में बाजार नियामक सेबी और एक्सचेंजों को स्टॉक मैनिपुलेशन का संदेह होता है, तो उसे एएसएम फ्रेमवर्क यानी अतिरिक्त निगरानी वाली लिस्ट में डाल दिया जाता है। यह कभी शॉर्ट टर्म के लिए होता है तो यह उपाय लॉन्ग टर्म के लिए भी होता है। एएसएम के तहत हाई-लो वैरिएशन, क्लाइंट कंसेंट्रेशन, प्राइस बैंड हिट्स की संख्या, क्लोज-टू-क्लोज प्राइस वैरिएशन और प्राइस-अर्निंग रेशियो जैसे मानकों के आधार पर शेयर का मूल्यांकन किया जाता है। अडाणी समूह के शेयरों को अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद भारी उतार-चढ़ाव के चलते इस फ्रेमवर्क में डाला गया था। शॉर्ट टर्म एएसएम में दो स्टेज होते हैं जबकि लॉन्ग टर्म में चार स्टेज। भारतीय शेयर बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाले शेयरों को रेगुलेट करने के लिए सेबी और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों ने 2018 में एडिशनल सर्विलांस मेजर्स (एएसएम) की शुरुआत की थी। एएसएम लिस्ट सिक्योरिटीज की एक ऐसी लिस्ट है, जिस पर मूल्य में उतार-चढ़ाव, वॉल्यूम वेरिएशन आदि के चलते निगरानी रखी जाती है। यह रिटेल इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा के लिए और उन्हें जोखिम से बचाने का काम करता है।

गिरवी नहीं रखे जा सकते एएसएम लिस्ट में शामिल शेयर

एनएसई ने अपनी वेबसाइट पर एएसएम फ्रेमवर्क को लेकर बताया है कि ऑब्जेक्टिव पैरामीटर्स जैसे प्राइस, वॉल्यूम वेरिएशन आदि के आधार पर निगरानी की जाती है। इसके अलावा, स्टॉक एक्सचेंज ने यह भी कहा कि एएसएम के तहत सिक्योरिटीज की शॉर्टलिस्टिंग और निगरानी को संबंधित कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। एएसएम लिस्ट में शामिल किए जाने के बावजूद इसका कंपनी के उन एक्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जो निवेशकों के फायदे के लिए होती हैं। इस अवधि में डिविडेंड, बोनस और स्टॉक स्प्लिट जैसे कंपनी के एक्शन सामान्य प्रक्रिया के तहत पूरे होते हैं। एएसएम लिस्ट में शामिल स्टॉक को गिरवी नहीं रखा जा सकता और कवर ऑर्डर और ब्रैकेट ऑर्डर जैसे इंट्राडे लीवरेज पर भी रोक लग जाती है। स्टॉक को लिस्ट में जोड़ने के पांच दिन बाद यह 100% मार्जिन के अधीन होता है। इस प्रतिबंध के चलते प्रभावी रूप से मार्जिन ट्रेडिंग असंभव हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मार्जिन ट्रेडिंग अक्सर ट्रेडर्स को स्टॉक की रियल प्राइस से 35 से 40 प्रतिशत के बीच के डिस्काउंट पर स्टॉक खरीदने या बेचने में सक्षम बनाती है।

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