मलेशिया ने जताई रुपए में द्विपक्षीय व्यापार करने पर सहमति, ग्लोबल बनने की राह पर इंडियन करेंसी
राज एक्सप्रेस। भारत का विदेश मंत्रालय (MEA) की जिम्मेदारी विदेशों के साथ भारत के सम्बन्धों के व्यवस्थित संचालन की होती है और वह भारत के संबंध सहित रुके हुए कार्य को पूरा करने की हर कोशिश करता है। वहीँ, अब खबर आई है कि, भारत और मलेशिया के बीच रुपए में द्विपक्षीय व्यापार होगा क्योंकि, मलेशिया ने अब अन्य करेंसी के अलावा ट्रेड करने के लिए सहमति जताई है। विदेश मंत्रालय ने इस बारे में जान बड़ी जानकारी दी है।
विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी :
दरअसल, अब भारत और मलेशिया के बीच के बीच रुपए में भी व्यापार करने को लेकर सहमती बन गई है। इसी बारे में आज शनिवार 1 अप्रैल को विदेश मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा है कि, 'भारत और मलेशिया अब अन्य करेंसी के अलावा ट्रेड करने के लिए भारतीय रुपए का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पिछले साल जुलाई 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इंडियन करेंसी में इंटरनेशनल ट्रेड के सेटलमेंट की अनुमति दी थी। RBI के इस फैसले के बाद ही यह कदम उठाया गया है।
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि, 'अन्य करेंसी में सेटलमेंट के मौजूदा तरीकों के अलावा इंडिया और मलेशिया के बीच ट्रेड अब भारतीय रुपए में भी सेटल किया जा सकता है। RBI की पहल का उद्देश्य ट्रेड की ग्रोथ को सुविधाजनक बनाना और भारतीय रुपए में वैश्विक कारोबारी समुदाय के हितों का समर्थन करना है। हाल ही में जारी फारेन ट्रेड पालिसी में भी रुपए में द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष उपाय करने को कहा है।'
स्पेशल रुपए वोस्ट्रो अकाउंट खोल शुरू किया सिस्टम :
विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया है कि, 'कुआलालंपुर स्थित इंडिया इंटरनेशनल बैंक ऑफ मलेशिया (IIBM) ने भारत में अपने संबंधित बैंक यानी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से एक स्पेशल रुपए वोस्ट्रो अकाउंट खोलकर इस सिस्टम को शुरू किया है।' बता दें कि डोमेस्टिक करेंसी में भुगतान करने के लिए वोस्ट्रो अकाउंट्स का इस्तेमाल किया जाता है।
रुपए में ट्रेड कर रहें हैं यह देश :
गौरतलब है कि, वर्तमान समय में भारत के साथ अब तक 18 देश रुपए में ट्रेड करने में अपनी रूचि दिखा चुके हैं। इसमें रूस के अलावा भारत के पड़ोसी देश म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल भी शामिल हैं। इंटरनेशनल मार्केट पर नजर डालें तो डॉलर की मांग सबसे ज्यादा है। भारत भी ज्यादातर चीजों के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए डॉलर में भुगतान करता है। इसके लिए भारत को अरबों डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन, जिस तेजी से कई देशों ने भारतीय करेंसी में ट्रेड के लिए हामी भरी है। इससे भारत की डॉलर पर निर्भरता कम होगी।
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