अमेजॉन, फ्लिपकार्ट पर दिखेगा मेड इन इंडिया है या नहीं!

ई.कॉमर्स कंपनियों के लिए जल्दी ही यह बताना अनिवार्य बनाया जा सकता है कि, जो माल वे बेच रही हैं वह भारत में बना है या नहीं।
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पूर्वी लद्दाख में चीन की हरकत के बाद पूरे देश में चीन के प्रति गुस्से का माहौल है और चीनी सामान के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है। सरकार भी चीन से आयात कम करने के लिए व्यापक योजना बना रही है। इसके तहत ई.कॉमर्स कंपनियों के लिए जल्दी ही यह बताना अनिवार्य बनाया जा सकता है कि जो माल वे बेच रही हैं, वह भारत में बना है या नहीं। नई ई.कॉमर्स नीति में इसका प्रावधान किया जा सकता है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय अभी इसका मसौदा तैयार कर रहा हैं।

एक अधिकारी ने कहा श्ई.कॉमर्स कंपनियों के लिए यह बताना अनिवार्य किया जाएगा कि जो उत्पाद वे बेच रही हैं वह भारत में बना है या नहीं। हम सक्रियता के साथ इस पर काम कर रहे हैं। इससे हमें चीन के आयात को कम करने में मदद मिलेगी। 31 मार्च 2020 को खत्म वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों के दौरान चीन का भारत के साथ ट्रेड सरप्लस करीब 47 अरब डॉलर रहा।

अधिकारी ने कहा यह एक तरह के चेकमार्क होगा जहां उपभोक्ता के पास भारत में बना सामान खरीदने का विकल्प होगा। उन्होंने कहा कि इस नीति को लोगों के सुझावों के लिए जल्दी ही सार्वजनिक कर दिया जाएगा।

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डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड ने पिछले साल नेशनल ई.कॉमर्स पॉलिसी का मसौदा तैयार किया था। इसमें ई.कॉमर्स कंपनियों के लिए अपनी बेवसाइट पर सभी उत्पादों के विक्रेताओं की विस्तृत जानकारी साझा करना अनिवार्य बनाया गया था।

विशेषज्ञों का कहना है कि ई.मार्केटप्लेस में सामान के बारे में साफ.साफ जानकारी देना सकारात्मक कदम है और इससे आत्मनिर्भर भारत मिशन में मदद मिलेगी। साथ ही उपभोक्ताओं को स्थानीय सामान खरीदने का भी विकल्प मिलेगा।

ई.कॉमर्स क्षेत्र के एक जानकार ने कहा कि आज देश में चीनी सामान के बहिष्कार की मांग उठ रही है और आत्मनिर्भर भारत मिशन के लिए यह सही समय है। कारोबारियों ने भी केंद्र सरकार से मांग की है कि वह ई.कॉमर्स कंपनियों को चीन में बने सामान की बिक्री बंद करने का आदेश दे।

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