कोटक महिंद्रा बैंक को वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में हुआ शुद्ध लाभ
राज एक्सप्रेस। देश में कोरोना के मामलों को बढ़ता देखते हुए लागू किए गए लॉकडाउन के चलते लगभग सभी कार्यालय बंद रहे। जिससे लगभग सभी सेक्टरों को नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि, पिछले साल और इस साल के दौरान सभी बैंकों में रेग्युलर कार्य हो रहा था। इसके बाद अब भारत के प्राइवेट सेक्टर के बैंक कोटक महिंद्रा बैंक का मुनाफा भी काफी बढ़ा है। वहीं, शनिवार को कोटक महिंद्रा बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के आंकड़े जारी किये हैं। जिसमें बैंक के मुनाफे का खुलासा हुआ है।
Kotak Mahindra Bank को हुआ मुनाफा :
प्राइवेट सेक्टर के बैंक कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) द्वारा वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में कोटक महिंद्रा बैंक के शुद्ध लाभ में 26% बढ़त दर्ज हुई है। इस बढ़त के साथ बैंक को 2,071.15 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है। बैंक को हुए मुनाफे का एक कारण बैंक के फंसे कर्ज में कमी आना भी बताया जा रहा है। कोटक महिंद्रा बैंक ने शनिवार को शेयर बाजार को इस बारे में जानकारी दी है। बैंक ने बताया है कि, ' वित्त वर्ष 2021-22 की समान तिमाही में उसे 1,641.92 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था।'
Kotak Mahindra Bank की आय :
Kotak Mahindra Bank की आय की बात करें तो, अप्रैल-जून 2022 तिमाही में बैंक की कुल आय में भी बढ़त दर्ज हुई है। इस प्रकार बैंक की आय 8,582.25 करोड़ रुपये हो गई है। जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में 8,062.81 करोड़ रुपये थी। वहीं, बैंक की समीक्षाधीन तिमाही में ब्याज से प्राप्त हुई आय बढ़कर 7,338.49 करोड़ रुपये हो गई। पिछले वर्ष अप्रैल-जून में यह 6,479.78 करोड़ रुपये थी। जबकि, बैंक को शुद्ध ब्याज आय में 19% की बढ़त दर्ज हुई है और यह आय बढ़कर 4,697 करोड़ रुपये पर जा पहुंची है। जो पिछले वर्ष अप्रैल-जून तिमाही में 3,942 करोड़ रुपये थी।
Kotak Mahindra Bank का NPA :
Kotak Mahindra Bank की सकल गैर-निष्पादित संपत्तियों (NPA) की बात करें तो, जून के अंत तक परिसंपत्ति गुणवत्ता के मामले में बैंक का NPA घटकर सकल अग्रिम का 2.24 फीसदी रह गया है। 30 जून, 2021 में यह 3.56% थीं वहीँ बैंक का शुद्ध NPA यानी फंसा कर्ज भी 1.28% से घटकर 0.62% रह गया हैं। वहीं, बैंक का समीक्षाधीन अवधि में फंसा कर्ज और आकस्मिक खर्चों के लिए वित्तीय प्रावधान कई गुना घटकर 23.59 करोड़ रुपये रह गया है। जबकि, पिछले वर्ष समान तिमाही में यह 934.77 करोड़ रुपये था।
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