बेहद गोपनीय होती है बजट को तैयार करने की प्रक्रिया
छह माह पहले से ही शुरू हो जाती है बजट की तैयारी
2-3 हफ्ते अलगाव में रखे जाते हैं इस प्रक्रिया से जुड़े अफसर
राज एक्सप्रेस । चुनावी साल होने की वजह से केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं। दरअसल, यह एक अस्थाई व्यवस्था है। पूर्ण बजट से पहले केंद्र सरकार अपने जरूरी खर्चे पूरे करने के लिए अंतरिम बजट पेश करती है। आमतौर पर चुनावी साल में केंद्र सरकार अंतरिम बजट पेश करती है। चुनाव के बाद चुनकर आने वाली नई सरकार वित्तवर्ष के लिए पूर्ण बजट पेश करेगी। अंतरिम बजट में केवल कुछ समय के खर्चों को ही मंजूरी दी जाती है। इस दौरान सरकारें आमतौर पर कोई नई घोषणाएं नहीं करती हैं। संविधान में हालांकि इस बारे में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है। इस वजह से कई बार सरकारें अंतरिम बजट में कई बड़ी घोषणाएं भी करती है।
आपको याद होगा 2019 में केंद्र सरकार ने कई बड़ी घोषणाएं करके इस परंपरा का उल्लंघन किया था। आम बजट और अंतरिम बजट अलग-अलग क्यों पेश किए जाते हैं? दरअसल, पहली बार 26 नवंबर 947 में आजाद भारत का बजट पेश किया गया तब इसमें नए नियम और नए टैक्स लागू नहीं किए गए थे। इसके 95 दिन बाद वित्तवर्ष 1948-49 का पूर्ण बजट पेश किया गया था। इस बजट को पेश करते समय तत्कालीन वित्मंत्री आरके षणमुगम ने बताया कि इससे पहले अल्पअवधि का जो बजट पेश किया गया था, वह अंतरिम था। इसके बाद से अल्प अवधि के लिए पेश किए जाने वाले बजट को 'अंतरिम बजट' कहा जाने लगा।
हालांकि, देश के संविधान में इसका अलग से कोई जिक्र नहीं किया गया है। संविधान में इस तरह के बजट को वोट ऑन अकाउंट कहते हैं। अंतरिम बजट में सरकार क्या करेगी, इसके लेकर सीधे कोई दिशा निर्देश नहीं है, लेकिन आमतौर पर सरकारें अंतरिम बजट के दौरान कोई बड़ी घोषणाएं नहीं करती हैं। यह एक परंपरा है कि सरकार अंतरिम बजट में कोई बड़ी नीतिगत घोषणा नहीं करती हैं। हालांकि 2019 का अंतरिम बजट लोगों के जेहन से विस्मृत नहीं हुआ होगा, जब केंद्र सरकार ने कर छूट सीमा को बढ़ाकर दोगुना कर करने के साथ-साथ किसान सम्मान निधि और कुछ अन्य योजनाओं की घोषणा करके चुनाव के पहले एक बड़े वर्ग को साधने का प्रयास किया था।
हालांकि, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार पहले ही स्पष्ट किया है कि इस अंतरिम बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं की जाएगी। लेकिन माना जा रहा है कि चुनावी साल होने की वजह से अंतरिम बजट में कुछ बड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं। वित्तमंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस बार बजट में केंद्र सरकार गरीब, किसान, युवा और महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिहाज से कुछ बड़ी घोषणा कर सकती है। माना जा रहा है कि सरकार ब्याज अनुदान योजना की घोषणा कर सकती है। इसके साथ ही किसान सम्मान निधि के रूप में किसानों को मिलने वाले 6000 रुपए की राशि को बढ़ाकर 8000 से 9000 रुपए किया जा सकता है। महिलाओं के लिए कौशल विकास से जुड़ी योजना शुरू करने की भी योजना है।
बजट बनाने की प्रक्रिया बेहद जटिल होती है। इसकी तैयारी करीब छह माह पहले से सितंबर से शुरू हो जाती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर छह चरणों में संपन्न की जाती है। वित्तमंत्रालय सितंबर माह में मंत्रालयों, विभागों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सर्कुलर जारी कर उनसे पूरे वर्ष के लिए जरूरी फंड का डेटा उपलब्ध कराने को कहा जाता है। इस जानकारी के आधार पर ही बाद में अलग-अलग मंत्रालयों के लिए धनराशि देने का प्रावधान किया जाता है। बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद वित्त मंत्री, वित्त सचिव, राजस्व सचिव और व्यय सचिव हर दिन बैठक बैठक करके बजटीय प्राथमिकताओं पर चर्चा करते हैं। अक्टूबर और नवंबर माह के बीच वित्त मंत्रालय दूसरे मंत्रालयों-विभागों के अधिकारियों के साथ मीटिंग करके ये सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि किस मंत्रालय या विभाग को कितना फंड दिया जाना चाहिए।
बजट बनाने वाली वरिष्ठ अफसरों की टीम को इस दौरान प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और नीति आयोग से लगातार इनपुट मिलते रहते हैं। बजट बनाने वाली टीम में अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। बजट प्रारूप को पेश करने के पहले वित्तमंत्री निर्मला सीतारण उद्योग जगत के लोगों, संगठनों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों से भी चर्चा कर चुकी हैं। वित्तमंत्री सीतारमण ने इस बार भी इस परंपरा का पालन किया है। जब बजट से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी हो जाती है्, तो एक ब्लू प्रिंट तैयार किया जाता है। बजट को लेकर सब कुछ जब अंतिम रूप से तय हो जाता है, इसके बाद ही बजट दस्तावेज को प्रिंट कराया जाता है। और इस तरह बजट बनाने की श्रमसाध्य प्रक्रिया पूरी होती है।
इस दौरान लगातार यह ध्यान रखा जाता है कि बजट दस्तावेज किसी भी लीक नहीं हो जाए। बजट पेश करने के पहले तक इसे गुप्त रखने के प्रयास किए जाते हैं। बजट दस्तावेज को वित्त मंत्रालय के चुनिंदा वरिष्ठ अधिकारी तैयार करते हैं। बजट दस्तावेज किसी भी तरह लीक नहीं होने पाएं, इसके लिए बहुत सतर्कता बरती जानी चाहिए। बजट तैयार करते समय इस्तेमाल किए जाने वाले कंप्यूटरों तक को नेटवर्क से पूरी तरह से डि-लिंक कर दिया जाता है। यही नहीं, बजट तैयार करने वाले अफसरों और कर्मचारियों को 2 से 3 हफ्ते के दौरान नॉर्थ ब्लॉक में ही रहना होता है। इस दौरान उन्हें बाहर जाने और किसी बाहरी व्यक्ति से संपर्क की इजाजत नहीं होती है। जब बजट दस्तावेज तैयार हो जाता है, तो वित्त मंत्री हलुआ खिलाकर बजट तैयार करने वाले अफसरों की मेहनत के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती हैं।
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