राज एक्सप्रेस। अमेरिकी के प्रमुख समाचार पत्र वॉशिंगटन पोस्ट ने खालिस्तानियों के भारत विरोधी मौजूदा आंदोलन को लेकर बड़ा खुलासा किया है। समाचार पत्र में दावा किया गया कि खालिस्तान समर्थक भारत के खिलाफ हिंसक घटनाओं को बढ़ावा देने के लिए ट्विटर को टूल बनाकर इस्तेमाल कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खालिस्तान समर्थक एंटी-इंडिया एजेंडा चलाने के लिए ऑटोमेटेड ट्विटर अकाउंट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिए दुनियाभर में हिन्दू मंदिरों को निशाना जा रहा है। ट्विटर के इन खातों को प्रोग्राम के जरिए चलाया जाता है, यानि, इन खातों को एक बार प्रोग्राम कर दिया जाता है और फिर उसे चलाने के लिए किसी इंसान की जरूरत नहीं होती। ये ट्विटर अकाउंट अपने आप चलते रहते हैं और जिस तरह के कंटेट के लिए इन्हें प्रोग्राम किया गया रहता है, उस तरह के कंटेट, ऐसे अकाउंट अपने आप ट्वीट करते रहते हैं, उन्हें रीट्वीट करते हैं।
ऑटोमेटेड ट्विटर अकाउंट्स का इस्तेमाल वैक्सीन अपॉइनमेंट या फिर किसी आपदा से पूर्व चेतावनी जारी करने में किया जाता है। यानि, अगर ऐसे 1000 बॉट्स अकाउंट्स बना लिए जाएं, तो किसी भी एजेंडे को काफी आसानी के साथ ट्विटर पर एंजेंडे के रूप में फैलाया जा सकता है, और उन्हें ट्रेंड कराया जा सकता है, जो इन दिनों खालिस्तानी भारत के खिलाफ एजेंडा चलाकर कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट मंे बताया गया है कि ट्विटर के पास फिलहाल कर्मचारियों की संख्या काफी कम है, लिहाजा ट्विटर सिक्योरिटी को लेकर उतना कारगर नहीं रह गया है। यानि, किस कंटेट से सुरक्षा पर असर पड़ता है, उन्हें हटाने में फिलहाल ट्विटर कमजोर साबित हो रहा है। ट्विटर की इसी कमजोरी का फायदा खालिस्तान समर्थक उठा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तान के चंद समर्थक एक साथ खालिस्तान के समर्थन करने वाले पोस्ट, वीडियो और खालिस्तानियों से जुड़े कंटेट को कई ऑटोमेटेड ट्वीटर अकाउंट्स के जरिए पब्लिश कर रहे हैं। इससे ऐसा लगता है कि भारी संख्या में खालिस्तानी एक साथ किसी मुद्दे पर बोल रहे हैं, जबकि असलियत में उनकी संख्या मुट्ठी भर होती है। नेटवर्क कॉन्टैगियन रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोध के मुताबिक, इसके अलावा खालिस्तान समर्थक, टालमटोल की रणनीति का भी उपयोग कर रहे हैं, जैसे कि ट्वीट्स को बाद में हटा लिया जाता है। बम शब्द की जगह डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा फर्जी खातों को जिंदा रखने के लिए लगातार अलग अलग रणनीतियां बनाई जाती है।
यह मामला उस वक्त तब तेज हो गया जब भारत में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह पर पंजाब पुलिस ने नकेल कस दी है। अब अमृतपाल सिंह भागा भागा फिर रहा है। लिहाजा, अमृतपाल सिंह को बचाने के लिए खालिस्तानियों ने एक साथ सैन फ्रांसिस्को, यूके समेत कुछ और देशों में भारतीय वाणिज्यिक दूतावासों में तोड़फोड़ करनी शुरू कर दी। अमेरिका में भारतीय अधिकारियों और पत्रकारों पर हमला किया है। जिसके बाद स्थिति विस्फोटक हो चुकी है और भारत सरकार अत्यंत सख्त हो गई है। ऐसे मौके पर इन ऑटोमेटेड ट्विटर अकाउंट्स का भरपूर इस्तेमाल किया गया है और भारत के खिलाफ नफरती कंटेट फैलाए गये हैं। रिसर्च में पता चला है, कि ट्विटर ने ऐसे फर्जी खातों के खिलाफ कार्रवाई की कोशिश की है, लेकिन इसके बाद भी ऐसे नफरती कंटेट को प्रमोट करने के लिए ट्विटर एक काफी सुविधाजनक प्लेटफॉर्म बना हुआ है।
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कि पंजाब प्रांत के अंदर किसानों की आबादी के अंदर भी योजनाबद्ध तरीके से अलगाववाद की भावना भरने की कोशिश की गई है और किसानों के सामान्य मुद्दे, जैसे एमएसपी, किसान आंदोलन, और नौकरियों के अभाव के मुद्दे को लेकर भी लोगों को बहकाने की कोशिश की गई है। यही वजह है पिछले दिनों शुरू किया गया किसान आंदोलन का असर आज भी किसी न किसी रूप में देखा जा सकता है। अमृतपाल सिंह ने पिछले साल पंजाब के ग्रामीण इलाकों का दौरा किया था, जहां भारी हथियारों से लैस लोग उसके साथ देखे गये थे। इस दौरान अमृतपाल सिंह ने उग्र भाषणबाजी की थी और पंजाब को एक अलग देश बनाने का बयान दिया था। भारत ने अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों पर कार्रवाई की तो उसे भी मुद्दा बनाने की कोशिश की गई है।
मीडिया रिपोर्ट में लिखा है, कि भारत सरकार की कार्रवाई के बाद ऐसे ट्वीटर अकाउंट्स से भड़काऊ ट्वीट्स किए गये और खालिस्तान समर्थकों से भारत में हिंसा फैलाने का आह्वान किया गया। इन ट्वीट्स के जरिए खालिस्तान समर्थकों से भारत में बिजली प्लांट्स को जलाने, ट्रेन पटरियों को उखाड़ने, अन्य रणनीतिक लक्ष्यों पर हमला करने का आह्वान किया गया। इसके साथ ही, ट्वीट्स में लोगों को जमा करने और सीधी कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया। ऑटोमेटेड ट्वीटर अकाउंट के एक ट्वीट में एक वीडियो शेयर किया गया था, जिसमें एक रेलवे में की गई तोड़फोड़ का वीडियो शेयर किया गया था और उसका श्रेय 'सिख फॉर जस्टिस' ग्रुप को दिया गया था, कि इस ग्रुप ने रेलवे में तोड़फोड़ की है। वॉशिंगटन पोस्ट ने दावा किया है, कि उसने 'सिख फॉर जस्टिस' से इसका जवाब मांगने की कोशिश की, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं दिया गया।
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