JUST IMAGINE : रितेश-जेनेलिया क्या करने जा रहे हैं?

"शाकाहारी इमेजिन मीट उनके लिए है जिनकी चाहत मांस खाने की तो है लेकिन वे इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर नकारात्मक परिणाम नहीं चाहते हैं।"
स्टार्स को भाया प्लांट बेस्ड मीट।
स्टार्स को भाया प्लांट बेस्ड मीट। - Social Media
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हाइलाइट्स –

  • खाओगे मीट रहोगे शाकाहारी!

  • इमेजिन मीट बढ़ाए शाकाहार!

  • स्टार्स को भाया प्लांट बेस्ड मीट

राज एक्सप्रेस। बॉलीवुड सितारे रितेश और जेनेलिया डिसूजा देशमुख, भारत में एक नया शुद्ध शाकाहारी मांस ब्रांड शुरू कर रहे हैं। जिसका स्वाद एकदम असली मांस की तरह होगा बस आपको इमेजिन करना होगा कि आप नॉनवेज खा रहे हैं।

इनके साथ मिलकर -

अभिनय के बाद जीवन में भी सफल इस जोड़ी ने गुड फूड इंस्टीट्यूट (GFI) इंडिया के साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया है। यह एक गैर-लाभकारी संस्थान है जो पशु उत्पादों के लिए संयंत्र-आधारित विकल्पों को बढ़ावा देता है।

इस काज में एक वैश्विक सामग्री निर्माता आर्चर डेनियल मिडलैंड (एडीएम) का भी सहयोग रहेगा।

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, एडीएम के साथ काम करने से इमेजिन मीट को खाद्य विज्ञान विशेषज्ञता, उत्पाद विकास के अलावा अमेरिका, सिंगापुर और बर्लिन के स्वाद जैसी खासियत भी मिल सकेंगी।

शाकाहारी हैं दोनों -

अंग्रेजी समाचार माध्यम के अनुसार रितेश और जेनेलिया ने खुद को शाकाहारी बताया है। रिपोर्ट कहती है कि रितेश कभी कभार मांस के स्वाद और उसके टेक्चर को तरसते हैं। हालांकि पौधे-आधारित विकल्पों ने उनकी उस लालसा का भी समाधान कर दिया है।

"प्लांट-बेस्ड मीट के साथ मैं ज्यादा खुश शाकाहारी हूं।"

- रितेश देशमुख, फिल्म स्टार (एक साक्षात्कार में)

बोलीं जेनेलिया - जेनेलिया का कहना है कि शाकाहारी इमेजिन मीट उन लोगों के लिए है जो मांस के स्वाद का आनंद तो लेना चाहते हैं, लेकिन वे पशु उत्पादों के उपभोग के पर्यावरण और स्वास्थ्य पर नकारात्मक परिणाम नहीं चाहते हैं।

उन्होंने एक बयान में कहा, "मैं हमेशा से इस बात पर केंद्रित रही हूं कि हम किस तरह के ग्रह पर अपने बच्चों को छोड़ने वाले हैं।"

शाकाहार का केंद्र भारत -

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार मांस उद्योग अनिश्चित है। विश्व स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पशृ-कृषि का हिस्सा 14.5 प्रतिशत है।

भारत में शाकाहार - चिंताजनक बात है कि दुनिया में सबसे ज्यादा शाकाहारियों का घर माने जाने वाले भारत में मांस की खपत बढ़ रही है। लोग मांसाहार को पसंद कर रहे हैं।

पशु आहार निर्माताओं के संघ CLFMA ऑफ इंडिया के अनुसार ऐसा बढ़ती डिस्पोजेबल आय के कारण हो रहा है। साथ ही बढ़ती आबादी और बदलती खाद्य आदतें भी इसका एक कारण है।

हालांकि GFI इंडिया के प्रबंध निदेशक वरुण देशपांडे को भरोसा है कि; "देश में संयंत्र आधारित मीट की भी काफी संभावनाएं हैं।"

"हमारी कृषि जैव विविधता और हमारे किसानों और प्रतिभाशाली कर्मचारियों को लाभान्वित करने के अवसर के साथ, भारत वैश्विक क्षेत्र के लिए विकास की एक धुरी हो सकता हो सकता है।"

- वरुण देशपांडे, प्रबंध निदेशक, GFI इंडिया

बड़ा बाजार संभव –

यूबीएस विश्लेषकों का अनुमान है कि आगामी वर्ष 2030 तक वैश्विक शाकाहारी मांस बाजार 85 बिलियन डॉलर के मूल्य तक पहुंच सकता है।

जेनेलिया के अनुसार उन्होंने और रितेश ने "वैश्विक खाद्य उद्योग में नवाचार को पहली बार देखा है।" इस वजह से वे "बड़ा कदम" उठाने और इमेजिन मीट के नाम से शाकाहारी मांस लॉन्च करने के लिए प्रोत्साहित हुए।"

बकौल जेनेलिया “हम चाहते हैं कि इमेजिन मीट मांस के स्वाद की मांग करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए बगैर किसी पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावों के अपराध बोध के उसकी पसंद बन जाए।"

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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