'जॉनी वॉकर' ने अचानक किया अपनी व्हिस्की की बोतलों में बदलाव

'जॉनी वॉकर' की व्हिस्की अब से एक नई पैकिंग में आएगी। कंपनी द्वारा अचानक किए गए इस बदलाव को जानने की उत्सुकता होगी। तो, चलिए जानें कंपनी ने यह बदलाव क्यों किया...
Johnnie Walker Whisky will sold in Paper Bottles
Johnnie Walker Whisky will sold in Paper BottlesKavita Singh Rathore -RE
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राज एक्सप्रेस। दुनियाभर में लाखों अल्कोहल पीने के शौकीन लोगों की पसंदीदा व्हिस्की 'जॉनी वॉकर' (Johnnie Walker) अब से एक नई पैकिंग में आएगी। जो कांच की बोतल की जगह कागज की बोतल की होगी। बताते चलें, 'जॉनी वॉकर' नाम की व्हिस्की का यह ब्रांड लगभग 200 साल पुराना और बड़ा ब्रांड है। शायद कई लोगों को कंपनी द्वारा अचानक किए गए इस बदलाव को जानने की उत्सुकता होगी। तो, चलिए जानें कंपनी ने यह बदलाव क्यों किया...

क्यों किया बदलाव :

दरअसल, अभी हाल ही में पूरी दुनिया में प्लास्टिक बैन करने ऊर्जा बचाने को लेकर कई मुहीम चलाई जा रही थी। इन्हीं से प्रेरित होकर कंपनी ने अचानक यह फैसला लिया था। इतना ही नहीं 'जॉनी वॉकर' कंपनी ने अपने लगभग सभी ब्रांड में प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने पर जोर देने के लिए भी यह कदम उठाया है। कंपनी का मकसद पर्यावरण को सुरक्षित रखना और कम से कम नुकसान पहुंचाना है।

बता दें, कांच की बोतल के निर्माण में काफी ऊर्जा का इस्तेमाल होता है। साथ ही इससे कार्बन का उत्सर्जन भी बढ़ता है और प्लास्टिक पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाता है। इन कारणों को देखते हुए ही कंपनी के मालिक डियाजियो ने कागज की बोतलें बनाने का फैसला किया है।

ऐसे निर्मित होंगी कागज की बोतलें :

'जॉनी वॉकर' कंपनी के मालिक डियाजियो ने बताया, इन कागज निर्मित बोतलों के निर्माण के लिए बोतलों को पल्प को खांचे में डालकर माइक्रोवेव में सेंका जाएगा। इस प्रकार यह कागज की बोतलें तैयार की जाएंगी। ड्रिंक कागज से ना मिले इसके लिए बोतलों के अंदर परत चढ़ाई जाएगी। डियाजियो ने आगे बताया, की कई कागज से बनी बोतलों के अंदर प्लास्टिक की परत लगाई जाती है। लेकिन हम इन बोतलों के निर्माण में किसी भी तरह से प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

कंपनियों का सराहनीय फैसला :

बता दें, 'जॉनी वॉकर' कंपनी के अलावा ‘कार्ल्सबर्ग’ बीयर कंपनी भी यह कदम उठा चुकी है। खबरों की मानें तो, मात्र यूरोप देशों में सिर्फ एक साल (2018) में फूड और ड्रिंक प्रोडक्ट्स की पैकिंग के लिए 82 लाख टन प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया था। अब आप सोच सकते हैं इनसे पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ होगा। हालांकि, कंपनियों ने अब इसको रोकने के लिए सराहनीय फैसले लेना शुरू कर दिए हैं।

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