इंटरनेट बैंकिंग को सुगम बनाने को जल्द लॉन्च होगा इंटरऑपरेबल सिस्टम, RBI के गवर्नर ने दी जानकारी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि केंद्रीय बैंक ने इंटरनेट बैंकिंग सेवा को आसान बनाने के लिए कदम उठाने का निर्णय लिया है।
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हाईलाइट्स

  • शक्तिकांत दास ने कहा यह सिस्टम इंटरनेट बैंकिंग को आसान बनाने में मदद करेगा

  • दास ने डिजिटल पेमेंट जागरूकता सप्ताह में की इंटरऑपरेबल सिस्टम लॉन्च की घोषणा

  • इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन लेनदेन का सबसे पुराना तरीका, इसे सुविधाजनक बनाएंगे

राज एक्सप्रेस । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि केंद्रीय बैंक ने इंटरनेट बैंकिंग सेवा को आसान बनाने के लिए कदम उठाने का निर्णय लिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि 2024 में इंटरऑपरेबल सिस्टम लॉन्च किया जाएगा। यह सिस्टम इंटरनेट बैंकिंग को आसान बनाने में मददगार साबित होगा। वर्तमान में इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन पेमेंट्स एग्रीगेटर्स (पीए) के माध्यम से किया जाता है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इस साल बैंकिंग सर्विस को आसान बनाने के लिए इस साल इंटरऑपरेबल सिस्टम लॉन्च को किया जाएगा। यह सिस्टम इंटरनेट बैंकिंग को आसान बनाने के लिए शुरू किया जाने वाला है। बता दें कि यूपीआई के लगातार बढ़ते चलन के बीच इंटरनेट बैंकिंग ने अब तक अपनी उपयोगिता बनाए रखी है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल पेमेंट जागरूकता सप्ताह के दौरान इंटरऑपरेबल सिस्टम लॉन्च करने की घोषणा की है। शक्तिकांत दास ने कहा कि एक बैंक को अलग-अलग ऑनलाइन व्यापारियों के प्रत्येक पेमेंट्स एग्रीगेटर्स (पीए) के साथ अलग से एकीकरण करने की जरूरत होती है। लेकिन कई बार बैंक के ग्राहक को एक स्पेशल पीए की जरूरत होती है। अगर पेमेंट्स एग्रीगेटर्स सही से काम नहीं करता है, तो व्यापारियों को भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

सभी बैंकों के लिए प्रत्येक पेमेंट्स एग्रीगेटर या पीए के साथ एकीकृत करना मुश्किल है। इस स्थितकि में डिजिटल पेमेंट के लिए लेनदेन के नियमों को सेट करना चाहिए। इससे व्यापारी को लेनदेन में आसानी होती है। शक्तिकांत दास ने कहा कि हम चालू कैलेंडर वर्ष के दौरान इंटरनेट बैंकिंग के लिए इस इंटरऑपरेबल भुगतान प्रणाली लॉन्च किए जाने की उम्मीद करते हैं। नई प्रणाली व्यापारियों को भुगतान के निपटान की सुविधा देने वाली साबित होगी। नई प्रणाली हितधारकों के लिए अधिक कुशल, सुविधाजनक और कम खर्चीली है। शक्तिकांत दास ने बताया कि इंटरनेट बैंकिंग ऑनलाइन लेनदेन के सबसे पुराने तरीकों में से एक है।

उन्होंने कहा इंटरऑपरेबिलिटी की ऐसी सुविधा 2025 के लिए आरबीआई के भुगतान दृष्टिकोण का हिस्सा थी। दास के अनुसार यह एक पसंदीदा चैनल है। इसके माध्यम से आयकर, बीमा प्रीमियम, म्यूचुअल फंड भुगतान, ई-कॉमर्स आदि जैसे पेमेंट किए जाते हैं। देश में यूपीआ्रई को 2016 में लॉन्च किया गया था। इसके बाद यूपीआई को भारी सफलता मिली। आजकल छोटे-बड़े सभी तरह के भुगतान यूपीआई के माध्यम से किए जाने लगे हैं। यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता के बाद भी लेनदेन में इंटरनेट बैंकिंग की 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है।

यूपीआई ने लांच के बाद से देश की सीमा से बाहर निकलते हुए दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है। इस इसकी लोकप्रियता का आलम यह है कि डिजिटल पेमेंट में यूपीआई की हिस्सेदारी 2023 में 80 फीसदी के करीब पहुंच गई है। साल 2017 में यूपीआई के माध्यम से 43 करोड़ से ज्यादा भुगतान किया गया था। जबकि, वर्ष 2023 आते-आते यह बढ़कर 11,761 करोड़ के ऊपर निकल गया है। देश में एक दिन में यूपीआई के जरिये लगभग 42 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाता है।

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