बजट में 2024-25 के लिए बुनियादी ढांचे के विकास को दी प्राथमिकता
बुनियादी ढ़ांचे के लिए आवंटन रिकॉर्ड 11.11 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया
बुनियादी ढ़ाचे पर आवंटन में पिछले साल की तुलना में 11% की बढ़ोतरी
राज एक्सप्रेस। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2024 को संसद में प्रस्तुत किए गए अंतरिम बजट में आगामी वित्तीय वर्ष (2024-25) के लिए बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी है। बजट में बुनियादी ढांचे के लिए आवंटन को रिकॉर्ड 11.11 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है, जो कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4% है। यह पिछले वर्ष के आवंटन से 11% की वृद्धि दर्शाता है और एक मजबूत संकेत देता है कि सरकार बुनियादी ढांचे के विकास को आर्थिक वृद्धि का प्रमुख इंजन मानती है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में वित्तीय समेकन पर भी जोर दिया गया है। केंद्र सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटे को 5.1% तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के 5.8% से कम है। उल्लेखनीय है कि राजकोषीय घाटे को कम करने से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
आर्थिक सुधारों पर जोर: सरकार ने अगले पांच वर्षों में आर्थिक सुधारों की एक नई पीढ़ी को लागू करने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य देश की विकास क्षमता को बढ़ाना है। इन सुधारों में श्रम और भूमि सुधार, उद्योग जगत को प्रोत्साहन देने के उपाय और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना शामिल हैं।
सामाजिक कल्याण योजना पर ध्यान: बजट में समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण पर भी ध्यान दिया गया है। सरकार ने अगले पांच वर्षों में 2 करोड़ नए किफायती घर बनाने की योजना बनाई है। इसके अलावा, मध्यम वर्ग के लिए एक नई आवास योजना भी शुरू की जाएगी। किसानों की आय बढ़ाने के लिए भी कई उपाय किए गए हैं।
निवेश बढ़ाने का लक्ष्य: सरकार ने पूंजीगत व्यय को बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है, जो जीडीपी का 3.4% है। यह बुनियादी ढांचे, रक्षा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने में मदद करेगा।
अंतरिम बजट विकास का अहम अध्यायः अंतरिम बजट 2024 को भारत की विकास गाथा में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में देखा जा रहा है। बुनियादी ढांचे पर बढ़ा हुआ ध्यान, वित्तीय समेकन का लक्ष्य और आर्थिक सुधारों की प्रतिबद्धता देश को आर्थिक वृद्धि के एक नए युग में ले जाने में मदद कर सकती है। हालांकि, बजट में प्रस्तावित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिनमें वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और मुद्रास्फीति का दबाव शामिल हैं।
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