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हफ्ते में 70 घंटे काम करें व पश्चिमी बुराइयों से दूर रहें भारतीय युवा, तो प्रगति निश्चित : नारायण मूर्ति

नारायण मूर्ति ने कहा अपनी और देश की प्रगति के लिए उत्पादकता बढ़ाने पर जोर देना जरूरी है।युवाओं को अनुशासन में रहते हुए हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए।
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हाईलाइट्स

  • केवल कठिन मेहनत और ईमानदारी से ही हासिल की जा सकती है सफलता

  • विकास में भ्रष्टाचार बड़ी बाधा, प्रशासनिक कौशल से खत्म हो सकती है यह समस्या

  • पश्चिम की बुरी आदतें अपनाने की जगह सीमा में रहते हुए कड़ी मेहनत करें युवा

राज एत्सप्रेस। इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने प्रगति करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए युवा वर्ग से कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा आज के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना जरूरी है । मूर्ति ने एक वीडियो सीरीज के पहले एपिसोड में कहा कि मैं चाहता हूं कि भारत का हर युवा हफ्ते में 70 घंटे काम करे। इसके साथ ही उन्हें पश्चिम में व्याप्त बुराइयों से भी बचने की कोशिश करनी चाहिए। तभी वे अपनी और अपने देश के भविष्य की मजबूत बुनियाद रख पाएंगे।

इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई से बातचीत में नारायण मूर्ति ने सही मार्ग पर चलने पर विशेष रूप से जोर दिया। उन्होंने कहा पश्चिम देशों की बुरी आदते अपनाने की जगह युवाओं को भारतीय परंपराओं की सीमा में रहने की जरूरत है। अगर कोई युवा पश्चिम देशों की आचार-व्यवहार को अपनाता है तो इससे न उनकी उन्नति होगी और न वे अपने देश को कोई सहयोग देने की स्थिति में हो पाएंगे । उभरते बाजारों और चीन के बाजारों पर बाचतीत में नारायण मूर्ति ने कहा कि हमें इन देशों से सीखने की कोशिश करना चाहिए।

इन देशों में पिछले 25-30 सालों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। हमें उनकी प्रगति की राह में आए उतार-चढ़ावों का गहराई से अध्ययन करना होगा, तभी हम विकास की मजबूत नींव रख पाएंगे। हमें सीखना होगा कि इन उतार-चढ़ावों का उन्होंने कैसे सामना किया और आज यह मुकाम हासिल किया। इन देशों ने प्रगति के लिए कैसे नीतिगत निर्णय लिये हैं, हमें भी अपने विकास के लिए वैसे ही निर्णय लेने होंगे ताकि विकास सुनिश्चित किया जा सके।

इसके साथ ही हमें अपने प्रशासनिक कौशल पर भी जोर देना होगा। मुझे अफसोस है कि भारत उत्पादकता के मामले में दुनिया में सबसे कमजोर है। हमें अपनी उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है। प्रसासनिक कौशल के विकास से हम सरकारी कामकाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोक पाएंगे। उत्पादकता पर जोर देने की जरूरद है। भारत केवल इसी स्थिति में अन्य प्रगतिशील देशों की तरह अपना विकास क्रम जारी रख पाएगा।

नारायण मूर्ति ने जर्मनी और जापान में कॉरपोरेट्स और सरकारों ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद के पुननिर्माण के लिए किए गए प्रयासों का उदाहरण देते हुए कहा जिस तरह जर्मनी में कर्मचारियों ने निर्धारित घंटों के अलावा अलग से काम किया, ठीक उसी तरह हमें भी अपने और देश के विकास के लिए काम करने की जरूरत है। हमें उत्पादकता में सुधार करने के साथ-साथ अनुशासित रहने का सबक भी सीखना होगा। भारत की संस्कृति को दृढ़ बनाने के लिए युवाओं में परिवर्तन आने की जरूरत है। देश में युवाओं का बहुत बड़ा कार्यबल मौजूद है। इसे प्रशिक्षित करके विकास के इस महाअभियान का हिस्सा बनाया जा सकता है।

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