राज एक्सप्रेस। कोरोना एक ऐसी महामारी है। जो छूने से भी फैलती है। यानि यदि आपने किसी कोरोना से संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तु का इस्तेमाल कर लिया तो, आप भी कोरोना से संक्रमित हो जाएंगे। इसी डर के चलते आज हर कोई सावधानी रख रहा है। लोग घरों में लाए हर सामान को सेनिटाइज करते हैं या जरूरत का ही सामान खरीदते हैं। इसी के चलते आज कई लोगों ने घर पर आने वाले अखबार (न्यूजपेपर) को भी बंद कर दिया है। जिसके चलते समाचार पत्र उद्योग को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है।
समाचार पत्र उद्योग को करोड़ों का नुकसान :
दरअसल, भारत में कोरोना के एंट्री के बाद इससे रोकथाम के लिए देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। जिसके चलते कुछ महीनों तक सभी सेवाएं ठप्प पड़ी रहीं और भारत के कई सेक्टर्स काफी नुकसान में आ गए। इतना ही नहीं इसके बाद से कई लोगों ने बहुत से सेवाएं लेना ही बंद कर दीं जैसे कई लोगों ने न्यूजपेपर मगवाना बंद कर दिया और इसी के चलते कोरोना काल में समाचार पत्र उद्योग को 12,500 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। इसके अलावा इस पूरे साल भर में समाचार पत्र उद्योग को 16,000 करोड़ रूपए का नुकसान होने की संभावना जताई गई है।
INS के अध्यक्ष ने की मांग :
बताते चलें, समाचार पत्र उद्योग को हुए इस करोड़ों के नुकसान की जानकारी इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी के अध्यक्ष एल. आदिमूलम ने देते हुए भारत सरकार से समाचार पत्र उद्योग के लिए राहत पैकेज की घोषणा जल्द से जल्द करने की मांग की है। उनके अलावा बता दें, इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी पिछले कई महीनों से सरकार से लगातार राहत पैकेज की मांग कर रही है। बता दें, पिछले आठ महीनों में समाचार पत्र उद्योग को होने वाले नुकसान का मुख्य कारण कोरोना वायरस ही है।
क्या है INS के अध्यक्ष की मांग :
बताते चलें, इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (INS) के अध्यक्ष ने इस राहत पैकेज के अंतर्गत मुख्य रूप से सरकारी विज्ञापन की दरों में 50% की बढ़ोतरी, प्रिंट मीडिया पर सरकारी खर्च में 200% का इजाफा और पुराने बकाए का तत्काल भुगतान करने की मांग की गई है।
INS के अध्यक्ष का कहना :
INS के अध्यक्ष का कहना है कि, 'कोरोना महामारी की वजह से समाचार पत्र के विज्ञापन व प्रसार दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और इस कारण यह उद्योग अभूतपूर्व राजस्व संकट का सामान कर रहा है। परिणामस्वरूप कई प्रकाशकों ने अपने प्रकाशन को बंद कर दिया है या फिर अपने कुछ संस्करण का प्रकाशन अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है। इस स्थिति के जारी रहने पर निकट भविष्य में कई प्रकाशक अपने संचालन को बंद करने के लिए बाध्य होंगे। ऐसा होने पर समाचार पत्र उद्योग से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से जुड़े कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं।'
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