नहीं मिलेगी चीन की कंपनियों के निवेश को कोई मंजूरी, भारत ने किया साफ

भारत सरकार ने साफ कर करते हुए बताया कि, चीन को लेकर भारत का रुख नहीं बदला है और न ही चीनी कंपनियों पर लगाया गया बैन हटाया जाएगा।
नहीं मिलेगी चीन की कंपनियों के निवेश को कोई मंजूरी
नहीं मिलेगी चीन की कंपनियों के निवेश को कोई मंजूरीSyde Dabeer Hussain - RE
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राज एक्सप्रेस। पिछले साल गलवान घाटी पर चीन द्वारा की गई कार्यवाही के बाद से ही भारत ने चीन के प्रति सख्त रवैया अपनाना शुरू कर दिया था। इसी बीच यह खबर सामने आई थी कि, भारत अब चीन को लेकर नरमी बरतने पर विचार कर रहा है। इस खबर के बाद भारत सरकार ने साफ कर करते हुए बताया कि, चीन को लेकर भारत का रुख नहीं बदला है और न ही चीनी कंपनियों पर लगाया गया बैन हटाया जाएगा।

भारत सरकार ने किया साफ :

दरअसल, पिछले साल भारत का सख्त रवैया देखने के बाद जब ऐसी खबर सुनने में आई कि, भारत सरकार सीमा पर कम होते तनाव के बीच चीन के प्रति अपने सख्त रवैये को नरमी में बदलने का सोचते हुए चीनी कंपनियों को निवेश की मंजूरी देने पर विचार कर रही है। इस खबर के सामने आते ही भारत सरकार ने तुरंत साफ़ करते हुए कहा कि, भारत चीन के प्रति नरमी नहीं बरतेगा और किसी भी चीनी कंपनी को भारत में निवेश करने की मंजूरी नहीं दी गई है। बता दें, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के सैनिकों के बीच वापसी करने पर सहमति बनी है। इसलिए ही इस तरह की रिपोर्ट सामने आई थी।

रॉयटर्स की रिपोर्ट :

बताते चलें, रॉयटर्स की रिपोर्ट की मानें तो, चीन के प्रति भारत के रुख में नरमी आई है। इसी के चलते भारत ग्रेट वॉल मोटर्स (GWM) और SAIC मोटर ग्रुप जैसी चीनी कंपनियों के साथ ही 45 निवेश प्रस्तावों को जल्दी ही मंजूरी देने पर विचार कर रहा है। हालांकि, यह सभी प्रस्ताव पिछले साल के हैं। जिन्हें पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण की कोशिशों के बाद सरकार ने टाल दिया था, लेकिन अब जब खबर यह आई कि, सरकार इन्हे मंजूरी देने पर विचार कर रहा है तो, भारत सरकार ने इन खबरों को गलत करार देते हुए साफ किया की। सरकार का ऐसा कोई विचार नहीं है।

पाइपलाइन में फंसे प्रस्ताव :

खबरों की मानें तो, चीनी कंपनियों के 2 बिलियन डॉलर लागत वाले लगभग 150 निवेश प्रस्ताव पाइपलाइन में फंस गए थे। इसमें जापान और अमेरिका की कई कंपनियां भी शामिल थीं, यह ऐसे निवेश के प्रस्ताव है जिन पर भी रोक लगा दी गई थी। इस रोक कर मुख्य कारण यह है कि, अब प्रस्तावों को लेकर मिनिस्ट्रियल पैनल सख्त हो चुका है। बता दें, जिन 45 प्रस्तावों को मंजूरी दी जाने की बात कही गई थी, उसमें से अधिकांश विनिर्माण क्षेत्र के हैं। उधर अभी तक लंबित चीनी FDI प्रस्तावों की जांच की जा रही है।

तीन प्रस्ताव को मंजूरी :

खबरों की मानें तो, 22 जनवरी को हुई बैठक में सरकार ने तीन विदेशी निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इनमें से एक प्रस्ताव हांगकांग का हैं। जबकि दूसरा जापान की कंपनियों का निवेश हैं और तीसरा NRI ग्रुप का निवेश है। इस प्रस्ताव को मंजूरी देने का मकसद यह है कि, भारत द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहती है, लेकिन फिलहाल वह किसी जल्दबाजी के मूड में नहीं है।

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